राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम जांच करके लौटी.. इधर मिशन हॉस्पिटल प्रबंधन ने फ़र्जी कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर उपलब्ध कराने वाली संस्था के खिलाफ कार्यवाही की मांग की..
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम जांच करके लौटी दमोह। कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने कहा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम 07 अप्रैल को प्रात लगभग 11 बजे आई थी और आज नौ तारीख को लगभग प्रात 11 बजे आज टीम रवाना हुई है। टीम 2 दिन यहाँ पर रही है और उन्होंने जिस प्रकार की जांच पूछ्ताछ करनी थी और तथ्यों को इकट्ठा करना था उन्होंने किया हैं।
प्रशासन की ओर से जिला प्रशासन पुलिस प्रशासन ने जो.जो उन्होंने जानकारियां मांगी गई उपलब्ध कराई गई। कलेक्टर श्री कोचर ने कहा अब आगे की जांच और निष्कर्ष के बारे में इस समय कुछ भी कहना न तो संभव है न उचित है और मुझे लगता है कि अब हमें प्रतीक्षा करनी चाहिए।
इंटीग्रेटेड वर्कफोर्स यूनिक सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड से आया था फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर.. दमोह।
फर्जी डॉक्टर और उसके इलाज से सात मौत मामले के बाद मानव अधिकार आयोग की
जांच का सामना कर रहे मिशन अस्पताल प्रबंधन के द्वारा उपरोक्त डॉक्टर मामले
में अपना पक्ष स्पष्ट किया गया है। साथ ही उस दोषी संस्थान पर कार्यवाही
की मांग की है जिसनें आठ लाख रूपये प्रतिमाह वेतन पर बिना जाँच पड़ताल के
फ़र्जी कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर को मिशन हॉस्पिटल में सेवा देने को भेजा था । डॉक्टर्स
प्लेसमेंट के लिए बनी शासन से मान्यता प्राप्त एजेंसी इंटीग्रेटेड
वर्कफोर्स यूनिक सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड से उपरोक्त डॉक्टर की सेवाएं
मिशन अस्पताल के द्वारा प्राप्त की गई थी।
मिशन हॉस्पिटल की प्रबंधक पुष्पा खरे ने जारी बयान में
बताया कि बीते लगभग 30 वर्षों से संचालित दमोह का मिशन अस्पताल जो नगर व
जिले वासियों की निरंतर सेवा भाव से इलाज करता आ रहा है । जिले वासियों को
दूर ना जाना पड़े इलाज के लिए इसी मक़सद से वो सब सुविधाऐ यहाँ उपलब्ध कराई
गईं। जिसमें जिले में लोगों की सुविधाओं के लिए इकलौती कैथलैब मशीन बुलवाई
ताकि कम दामों में दमोह वासियों को भी कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर की सुविधा
दमोह में ही मिल सके इसके लिए डॉक्टर्स के प्लेसमेंट के लिए बनी मध्यप्रदेश
शासन की मान्यता प्राप्त एजेंसी इंटीग्रेटेड वर्कफोर्स यूनिक सॉल्यूशन
प्राइवेटलिमिटेड द्वारा कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर आया जिसका प्रतिमाह 8 लाख
रुपये मिशन अस्पताल देता रहा।
डॉक्टर और उतना ही उस एजेंसी को जिसने
डॉक्टर उपलब्ध कराया लेकिन डॉक्टर उपलब्ध कराने वाली संस्था ने फर्जी
कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर एन जॉन केम उर्फ नरेंद्र यादव नाम के व्यक्ति को
भेजकर मिशन अस्पताल के साथ छलावा एवं धोखाधड़ी की जिसकी शिकायत खुद मिशन
अस्पताल प्रबंधन ने भोपाल में दर्ज कराई यह बात अस्पताल प्रशासन की ओर से
सामने आई। मिशन अस्पताल प्रबंधन का यह भी मानना है कि जब शासन से मान्यता
प्राप्त संस्थाओं से हम लोगों को फर्जी डॉक्टर मिलेगें तो कार्यवाही भी ऐसी
संस्थाओं के खिलाफ होनी चाहिए । जबकी मिशन अस्पताल का संचालन 30 वर्षों से
लोगों की सेवा के लिए किया जा रहा है।
कोविड कॉल
में जब लोगों के जीवन पर कोरोना का संकट आया तब ऐसी परिस्थिति में पहला
ऑक्सीजन प्लांट मिशन अस्पताल ने ही जिले वासियों के लिए समर्पित किया
थानासिर्फ ऑक्सीजन प्लांट बल्कि पूरा अस्पताल कोविड सेंटर में तब्दील कर
दिया था इसके अलावा जब कहीं डायलिसिस मशीन नहीं थीं दमोह के लोगों को सागर
या अन्य बड़े शहरों में अपने परिजनों के लिए परेशान होंना पड़ता था वो
डायलिसिस मशीनें भी उपलब्ध कराई गई एक नहीं अनेक डायलिसिस मशीनों की
सुविधाएं दमोह जिले वासियों के लिए दी गई जबकि जिले भर में यह सुविधा कहीं
नहीं.. इसके बाद भी मिशन अस्पताल और प्रबंधन के ख़िलाफ़ कार्यवाही की बातें की
बातें की जा रहीं हैं इसमें यह भी ध्यान रखने की बात है कि सभी धर्मों के
लगभग 100 कर्मचारियों के परिवार मतलब पाँच सौ लोगों का जीवन निर्भाह मिशन
अस्पताल के माध्यम से हो रहा है । ऐसे कार्यवाही उस दोषी संस्थान पर हो
जिसनें आठ लाख रूपये प्रतिमाह वेतन पर बिना जाँच पड़ताल के एक फ़र्जी
कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर को को भेज दिया ।
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