मुनिश्री जी के सानिध्य में आचार्य छत्तीसी विधान
दमोह। संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के प्रथम समाधि स्मृति दिवस के अवसर पर देशभर में विविध धार्मिक सामाजिक आयोजन किए गए। इसी कड़ी में दमोह के श्री पारसनाथ दिगंबर जैन नन्हे मंदिर जी में आचार्य श्री समय सागर जी के शिष्य मुनि श्री प्रयोग सागर जी के सानिध्य में प्रथम समाधि स्मृति दिवस भक्ति भाव के साथ मनाया गया।
इस अवसर पर जैन
धर्मशाला में आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम श्रृंखला तहत गुरुवार को प्रातः
बेला में श्री जी के अभिषेक शांति धारा उपरांत भक्ति भाव के साथ आचार्य
छत्तीसी विधान करते हुए आचार्य के 36 मूल गुणों के अर्घ्य समर्पित किए गए।
इसके पूर्व मुनि श्री प्रयोग सागर जी के मुखारविंद से चार शांति धारा
संपन्न हुई। प्रथम शांति धारा का सौभाग्य सुदेश जैन परिवार, द्वितीय शांति
धारा पत्रकार राजेंद्र अटल परिवार, तृतीय शांति धारा आनंद लैब परिवार तथा
चतुर्थ शांति धारा का सौभाग्य महेश दिगंबर परिवार को प्राप्त हुआ।पांच कलश
स्थापना कर श्रावक श्रेस्ठि बनकर पूजन का सौभाग्य अभय बनगांव परिवार,
संतोष सिंघई परिवार, नेमचंद बजाज परिवार, डॉ गौरव राकेश नायक परिवार, रानू
पदम खजरी परिवार को प्राप्त हुआ। मुनि श्री को शास्त्र भेंट करने का
सौभाग्य मुकेश जैन हटा सहित अन्य परिवार को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर वैज्ञानिक संत निर्भय सागर महाराज के दो मुनि राजो का सानिध्य
भी सभी को प्राप्त हुआ।
इस
अवसर पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री प्रयोग सागर जी महाराज ने
कहां की उन्होंने आचार श्री शांति सागर जी महाराज से लेकर आचार्य ज्ञान
सागर जी महाराज को नही देखा लेकिन उनके बारे में जो अध्ययन किया जो सुना
उसके आधार पर यह कह सकता हूं कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज में
पूर्ववर्ती सभी आचार्य के के गुण समाहित थे। शिष्यों से लेकर भक्तों की
प्रति उनका उदार रवैया सभी को धर्म पथ पर निरंतर अग्रेषित होने प्रेरित
करता रहता था। मुनि श्री ने कहा कि गुरु के उपकार की कोई कीमत नही होती।
सारी दुनिया की दौलत देकर भी गुरु का उपकार नहीं चुकाया जा सकता।
आचार्य
श्री विद्यासागर जी महाराज से दीक्षा के बाद के वर्षों में मिले सानिध्य के
दौरान के अनेक प्रसंग मुनि श्री प्रयोग सागर जी महाराज ने सुनाए। आसमान में उड़ने वाली पतंग का
उदाहरण देते हुए मुनि श्री ने भक्त तथा शिष्य के बीच का अंतर बतलाया।
उन्होंने कहा भक्त भगवान से मांगता रहता है। लेकिन शिष्य को गुरु से कभी भी
कुछ नही मांगता। उसे गुरु जो दे देता है उससे वह सहज स्वीकार कर लेता है।
तथा जीवन भर गुरु के दिए नियम और वचनों का पालन करता है। आचार्य श्री
विद्यासागर जी महाराज मैं अपने शिष्यों को अपने भक्तों को धर्मपथ का मार्ग
दिखाकर जो शिक्षा दी जो प्रेरणा दी उसी का नतीजा है कि संपूर्ण बुंदेलखंड
से लेकर देश प्रदेश में धर्म पता का फहरा रही है तथा आगे भी फ़हराती रहेगी।
कुंडलपुर में आचार्य श्री समाधि दिवस पर दी गई विनयांजलि.. सुप्रसिद्ध सिद्धक्षेत्र कुंडलपुर में समाधि सम्राट संत शिरोमणि आचार्य
श्री विद्यासागर जी महाराज के प्रथम समाधि दिवस पर विविध धार्मिक कार्यक्रम
आयोजित किए गए। इसअवसर पर प्रातः भक्तामर महामंडल विधान, आचार्य छत्तीसी
विधान ,बड़े बाबा का अभिषेक, शांतिधारा पूजन हुआ। इस अवसर पर प.पू.
उपाध्याय श्री विश्रुतसागर जी महाराज ने संत शिरोमणि आचार्य श्री
विद्यासागर जी महाराज के प्रति विन्यांजलि व्यक्त करते उनके व्यक्तित्व
कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा आत्मा का मरण नहीं होता आचार्य भगवन ने
मनुष्य भव को सार्थक किया है।
स्वयं तो सार्थक किया है हजारों लाखों लोगों
का कल्याण किया है। सन् 1976 में यहां बुंदेलखंड में उनका पदार्पण हुआ उस
समय विरले साधु मिलते थे दर्शन लाभ विरले ही कर पाते थे। कुंडलपुर को
उन्होंने अपनी तपस्थली बनाया यहां साधना आराधना की। इस क्षेत्र पर रहकर
निर्मल साधना कर कठोर तपस्या की। उनके अथिक परिश्रम उनकी परिकल्पना से यहां
बड़े बाबा का विशाल जिनालय तैयार हुआ हजारों सालों के लिए । आचार्य श्री
का अपूर्व योगदान रहा अनेक प्रतिभाये निकाली जो जिन शासन की धर्म ध्वजा
फहरा रहे हैं।बुंदेलखंड के लिए उन्होंने बहुत कुछ दिया ।आचार्य विद्यासागर
जी जैसे संत अब देखना दुर्लभ रहेंगे। गुरुदेव के उपकारों को जितना कहे कम
है समाधि सम्राट गुरुदेव के चरणों में बारंबार नमोस्तु। सायंकाल भक्तामर
दीप अर्चना एवं पूज्य बड़े बाबा की महाआरती ,आचार्य श्री की आरती की गई।
उपस्थित भक्तजनों ने आचार्य श्री के अनेक संस्मरण सुनाते हुए अपनी भावांजलि
व्यक्त की। कुंडलपुर स्थित संयम कीर्ति स्तंभ पर दीपोत्सव किया गया एवं
आचार्य श्री की आरती भक्ति की गई। कुंडलपुर में वार्षिक माघ मेला 8 से 12 तक.. सुप्रसिद्ध
सिद्धक्षेत्र कुंडलपुर में वार्षिक माघ मेल 8 फरवरी से 12 फरवरी 2025 तक
आयोजित है। 8 फरवरी को दोपहर 1:00 बजे से कुंडलपुर न्यास के सामान्य सभा के
सदस्यों की वार्षिक आमसभा विद्याभवन कुंडलपुर में आयोजित की गई है। 12
फरवरी 2025 बुधवार को प्रातः भक्तामर विधान ,श्री बड़े बाबा जी का अभिषेक,
शांतिधारा ,पूजन ,विधान होगा। दोपहर 3:00 बजे विमानोत्सव का कार्यक्रम
आयोजित है। सायंकाल भक्तामर दीप अर्चना, बड़ेबाबा की संगीतमय महाआरती होगी।
विरागोदय में समाधि दिवस पर आचार्य छत्तीसी विधान महाअर्चना.. जैन संप्रदाय में महान संत जिन्हें सारा विश्व परम तपस्वी महामनीषी
के रूप में जानता है ऐसे समाधि सम्राट आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
महराज का प्रथम समाधि दिवस एवं पथरिया विरागोदय महामहोत्सव की द्वितीय वर्षगांठ पर
नगर के विरागोदय तीर्थ धर्मधाम में पूज्य उपाध्याय मुनि श्री 108 विरंजन
सागर जी महराज के ससंघ में आयोजित हुआ..
जिसमें प्रातः काल की वेला में
अभिषेक, शांतिधारा एवं 251 मंडलीय श्री आचार्य छत्तीशी विधान महा अर्चना
भक्तिभाव के साथ हज़ारों जैन श्रद्धालुओं की संलग्नता के साथ संपन्न हुई।
आचार्य श्री ने यहां कुण्डलपुर जैसे तीर्थ की पहचान विश्व के मानचित्र पर
दी है। महिला मिलन अध्यक्ष्य शोभना जैन ने बताया कि श्रमदान जैसे
हस्तकरद्या का कारोबार फैला कर लोगों रोजगार कि अवसर मिले है। शोभना जैन ने
बताया कि श्रमदान जैसे हस्तकरद्या का कारोबार फैला कर लोगों रोजगार कि
अवसर मिले है। आचार्य श्री के हटा में बिताये क्षणों को भी सभी ने याद
किया। इस अवसर पर संजय जैन, विवेक रजपुरा, एडवोकेट विपुल जैन, पारस,
संस्कार जैन, तरूण जैन, चक्रेश लालू जैन द्वारा गौ अस्पताल में गौ भण्डारा
कराया। औषधि दान करने में मीना जैन, कविता, आराधना,
वंदना, प्रियंका, दीप्ति, संगीता, खुशी, आस्था, शालिनी, शोभना, प्रतिभा,
शीला, ऊषा, आशा आदि का विशेष सहयोग रहा। आयोजन में जैन महिला मिलन एवं जैन
मिलन का सहयोग रहा।सुरभि गौअस्पताल परिवार की ओर से अंशुल तिवारी एडवोकेट
पवन सिंह द्वारा आभार व्यक्त किया गया।
सिंग्रामपुर आचार्यश्री का प्रथम समाधि स्मृति दिवस मनाया..
सिंग्रामपुर में जैन मुनि, संत शिरोमणि, परम श्रद्धेय आचार्य श्री 108
विद्यासागर जी महाराज का प्रथम समाधि स्मृति दिवस है। विगत वर्ष आज ही के
दिन यानि माघ शुक्ल अष्टमी तिथि पर विद्यासागर जी ने समाधिपूर्वक संलेखना
ली थी। आज पूज्य महाराज श्री भौतिक रूप से भले ही हमारे साथ नहीं हैं,
परंतु उनकी असीम करुणा, दया और आशीर्वाद की वर्षा प्रतिपल हम सब पर हो रही
है पूज्य महाराज श्री का प्रथम स्मृति दिवस आज सिग्रामपुर में मनाया गया..
इस
अवसर पर आचार्य श्री की छवि को हांथ ठेले पर सजाकर गाजे बाजे के साथ शोभा
यात्रा निकाली गई जो जैन मंदिर से प्रारंभ होकर भक्ति उत्साह जय कारों के
बीच मुख्य बाजार पाण्डुक शिला पोड़ी तिराहे होते कार्यक्रम स्थल पर समापन
हुआ इस अवसर पर ग्राम वासियों शोभायात्रा में शामिल श्रद्धालुओं को प्रसाद
वितरण किया गया जिसकी तत्पश्चात समकालीन मंदिर प्रांगण में आरती आचार्य
श्री पर आधारित जीवन गाथा कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।
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