फैक्ट्री के व्यावसायिक गतिविधियां वाले खसरा नम्बरों पर 2024-25 तक कंपनी का नामांतरण क्यो नही..?
दमोह। जिले की चर्चित सीमेंट फेक्ट्री की जमीनों से जुड़ा एक बड़ा गड़बड़ झाला सामने आया है। मायसेम फैक्ट्री के व्यावसायिक गतिविधियां वाले मोजा महुआ खेड़ा इमलाई के कुछ खसरा नम्बरों पर 2024-25 तक तो कंपनी का नामांतरण ही नही हुआ है। ऐसे में सवाल उठता है कि Bina namantran ke Diversion kaise hoga? दरअसल खसरा नंबर 134 पर पट्टाधारी किसान का नाम दर्ज है। ऐसे में फैक्ट्री की व्यावसायिक गतिविधियां इस जमीन पर कैसे संचालित हो रही हैं? उपरोक्त हालत से राजस्व विभाग के नए पुराने अधिकारी वाफिक है। क्योंकि उपरोक्त जमीन पर लंबे समय से मालिकाना हक रखने वाले शख्स के द्वारा शासन प्रशासन का ध्यान लगातार आकर्षित किया जाता रहा। इसके बावजूद कार्रवाई के नाम पर आश्चर्यजनक चुप्पी बड़े राजनीतिक संरक्षण और दबाव की ओर इशारा करती है।
क्या
वजह थी कि नामांतरण पंजी, संशोधन पंजी और diversion प्रकरणों को
नियमानुसार खसरा अभिलेख पर दर्ज नहीं किया गया? क्या उन्हें डर था कि
वास्तविक भूमि स्वामी या उसके वारिस आकर कानून के Limitation act के अनुसार
तय समय सीमा में आपत्ति लेकर अविधिक कार्यवाही की पोल खोल देंगे और सारा
मामला चौपट हो जायेगा? वर्ष
2024-25 के खसरा अभिलेख बताते हैं कि, जिन खसरा नम्बरों पर फैक्ट्री
व्यावसायिक गतिविधियां जारी रखे हुए है, उन खसरा नम्बरों पर कंपनी का नामांतरण भी नहीं हुआ है? इधर खसरा number 134 पर रोप वे लाइन गुज़रती है, जो कृषि भिन्न व्यावसायिक कार्य है. खसरा
नंबर 134 की खसरा प्रविष्टियों को देखने पर सहज ही पता लगाया जा सकता है
कि, उक्त खसरा नंबर का भूमि स्वामी करन सींग वल्द मुन्नी सींग है, और भूमि
का स्वरूप कृषि योग्य है तो फिर उस कृषि योग्य भूमि पर कृषि के अलावा और कोई
व्यावसायिक गतिविधि किस प्रकार चल रही हैं?
दमोह राजस्व को उक्त अवैध कार्य पर रोक लगाने से कौन रोक रहा है? खसरा
नंबर 134 (गाँव महुआखेड़ा) जैसे कई अन्य और भी हैं, जिनका नामांतरण
कंपनी के नाम नहीं हुआ है, diversion नहीं हुआ है या फिर राजस्व अभिलेखों
में उनके संबंध में प्रविष्टि दर्जा नहीं है। इसके लिए राजस्व अमला ही
जिम्मेदार है.
प्रशासन मौन, जिम्मेदार कौन? Atal News 24..को मिली जानकारी के अनुसार राजस्व प्रकरण क्रमांक 74 अ-6/अ, वर्ष 2017 में
जिस खसरा नंबर 169 का अनुतोष आवेदक ने नहीं चाहा था, उसके बाद भी तत्कालीन
तहसीलदार द्वारा प्रदान कर कैसे कर दिया गया. इसी प्रकरण में नामांतरण का
आदेश खसरा नंबर 134, 135 का भूमि स्वामी करन सींग बरसों पहले मर चुका है तो
मृतक के विधिक वारसांन को उनका पक्ष रखने संबंधित प्रकरण में आहूत क्यों
नहीं किया गया?
राजस्व
अपील प्रकरण क्रमांक 64 अ-6/अ, वर्ष 2018-19 में राजस्व न्यायालय तहसीलदार
और न्यायालय अनु विभागीय अधिकारी के सामने मल्टीनैशनल कंपनी की ओर से भ्रामक
आवेदन किया गया जिसमें आपत्तिकर्ता अजित उज्जैनकर की आपत्ति को स्वीकार
किया जाकर नामांतरण, diversion की प्रविष्टि संबंधी अभिलेख के सुधार कार्य
पर स्थगन आदेश जारी किया गया. अचल
सम्पत्ति रखना आज भी संवैधानिक अधिकार है, करन सींग पुत्र मुन्नी सींग के
मरने के बाद उसके विधिक वारसांन के नाम पर वो भूमि ना लाई जाकर कोई अन्य छल
पूर्वक अपने नाम कैसे करवा सकता है..
आखिर राजस्व दस्तावेज क्यों अपडेट नहीं किए गए.?
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भरपूर कोशिश की ताकि मध्यप्रदेश में उद्योग पनप सकें, और पहले से काम कर रहीं औद्योगिक इकाइयों को अधिक सहयोग मिल सके.. लेकिन, क्या ये दमोह राजस्व का failure था या सब फर्जीवाड़ा था या फैक्ट्री के अधिकारियों /कर्मचारियों की तत्कालीन कर्मचारियों/अधिकारियों के साथ मिली भगत का नतीजा.. कि राजस्व दस्तावेज़ update नहीं किए गए?
इस दौर में जहां समय ही महत्वपूर्ण है, वहाँ सरकार खुद ही किसानों का समय खेती के कार्यों की अपेक्षा राजस्व न्यायालयों सहित अन्य न्यायालयों में जाया कर रही है।
कुल मिलाकर, किसान राजस्व न्यायालयों में,राजस्व अधिकारी खेती के ठिकानों पर। नतीजा, किसान समय पर न्याय तो पायेंगे नहीं, राजस्व अधिकारी खेती कर पायेंगे नहीं.. सामान्य किसान बनकर राजस्व न्यायालय के समक्ष सच्चाई इस मामले में भी बयान की गई है. एक राजस्व अपील का मामला था, 127a-6/2018-19 आदेश
जैसे ही इसमें कहा गया कि, 24 साल बाद नामांतरण याद आया कंपनी को, और applicant के सिग्नेचर शायद applicant शायद भूल गया है, और ये 1490 करोड़ के राजस्व की चोरी का मामला भी है, ये सुनकर तुरंत माननीय ने चौंक कर कहा कि, आपत्तिकर्ता को अलग से केस फाइल करना चाहिए. लेकिन ऐसा क्यों करना चाहिए, ये उन्होंने नहीं बताया. वैसे, आज भी उस amount में कमी नहीं आयी है. खैर, अलग से कोई case फाइल नहीं किया, क्योंकि, already, civil case चल रहा था, इसकी जानकारी already उन्हें पहले ही लिखित तौर पर दे दी गई थी.
अरबों रुपए के राजस्व घोटाले का जिम्मेदार कौन..?
दूसरा राजस्व मामला 64a-6/a 2018 आदेश दिनांक 26/11/2018, इसकी कहानी थोडी अलग है. दरअसल, मध्य प्रदेश शासन के साथ कुछ राजनेताओ के साथ मिली भगत के द्वारा शासन को अरबों रुपये का पलीता लगाया जाता रहा है, इसके प्रमाणित दस्तावेजों के साथ 10.07 2019 को तत्कालीन SDM Damoh को (उपरोक्त वर्णित दोनों प्रकरणों में अधिकारी एक ही थे रविंद्र चौकसे), ये बताया कि, आखिर, उनके जिले में स्थित एक सीमेंट कंपनी, अरबों रुपये का राजस्व घोटाला प्रदेश के साथ करती आ रही है, जिस केस में मैं मुखत्यार बनकर लड रहा हूं उनके तो केवल कुछ खसरा नंबर ही इस केस में हैं. कृपया शासन का कर तो वसूल कीजिए.
इस बार SDM चौकसे जी ने शिकायत को गंभीरता से लिया और सीधे 19.07 2019 के जरिए संबंधित क्षेत्रों के पटवारियों के माध्यम से प्रतिवेदन आहूत किया। कंपनी के पास मुखबिर शायद SDM officers में ही उपलब्ध रहते रहे हों, प्रतिवेदन आ पाता उससे पहले ही कंपनी की ओर से रिकॉर्ड दुरुस्ती का आवेदन SDM कोर्ट में दिनांक 05. 08.2019 को पेश कर दिया गया. (कितना अद्भुत है ना) मैंने भी 24x7 तहसील & SDM कोर्ट में उपस्थित रहने वाले किसानों की तरह तुरंत उस आवेदन पर दिनांक 06.08.2019 को ही कंपनी के उक्त आवेदन पर आपत्ति दर्ज कर दी. (ये सब कैसे किन परिस्थितियों में हुआ होगा, ये केवल वही समझ सकते हैं जिन्होंने field पर ऐसा होते हुए देखा होगा, अन्यथा ये उन्हें केवल माया, मिथ्या या चमत्कार ही लगेगा)
आपत्ति के बाद जो हुआ वो अपने आप में अद्भुत था, 24 साल के बाद भी SDM कोर्ट ने कंपनी को अपने वरिष्ठ अधिकारी (Collector) की अनुमति लिए बिना रिकॉर्ड दुरुस्ती करने की अनुमति दे दी, शायद उन्हें ध्यान नहीं था कि, सरकारी नौकरी से अधिकारी का ट्रान्सफर, रिटायर मेंट होता है, लेकिन, रिकॉर्डस कभी समाप्त नहीं होते.
लिहाज़ा, तथाकथित stay 88/1 ल/5 खसरा नंबर पर बरकरार है, कंपनी उसके बाद भी उस खसरा नंबर का बिना नामांतरण हुए, बिना diversion के कमर्शियल यूज़ कर रही है. स्थानीय प्रशासन, राज्य शासन केवल खामोशी से मजे ले रहा है. Tex की चोरी उनके घर से थोड़ी हो रही है. वैसे 1490 करोड़ का मामला 2018-19 में था तो क्या अब कम हुआ होगा, क्या ब्याज? चक्रवृद्धि ब्याज? या फिर जुगाड से टैक्स माफी ?
Damoh Collector क्या इस और ध्यान देंगे..?
1. आपके पास ग्राम महुआखेड़ा में स्थित भूमि के अवैध तरीके से खुर्द बुर्द किए जाने संबंधी संवेदनशील शिकायत की जांच उच्च स्तर पर कराए जाने सम्बन्धी प्रतिवेदन तथा अन्य जानकारी प्रदेश स्तरीय जांच एजेंसी की ओर से मार्च 2023 से मांगा जा रहा है, लेकिन, कलेक्टर कार्यालय द्वारा कार्यवाही के बजाए टालमटोल क्यों किया जा रहा है.?
2. शिकायतकर्ता के संवैधानिक अधिकार के हनन का मामला था, उससे संबंधित शिकायत पर खामोशी क्यो?
3. मल्टीनैशनल कंपनी से संबंधित शिकायतों की आपने जांच कराए जाने को वरीयता ना देना ये सिद्ध कर रहा है कि, प्रशासन किसी अन्य दबाव से जूझ रहा है?
4. शिकायतकर्ता के संवैधानिक अधिकारों का प्रश्न है और यदि, शिकायतकर्ता को राजस्व की कार्य प्रणालियों पर विश्वास नहीं है, ऐसे में आपके द्वारा उच्चस्तरीय जांच कराए जाने की अनुशंसा क्यों नहीं की जा सकती?
5. शिकायत से संबंधित समस्त शासकीय रिकॉर्ड आपके पास है, शिकायत आपके पास है. लेकिन, जनता के पास केवल उसकी तकलीफें और शिकायतों का अम्बार है, जिसे solve करना आपका ही दायित्व है.
Note - 134, 135, 169 नंबर खसरा से जुड़ा कोई भी Diversion प्रकरण, नामांतरण प्रकरण, संशोधन पंजी 1954-55 से लेकर 2024 तक के खसरा रिकॉर्ड्स में दर्ज नहीं है..! खसरा number 134, 135, कृषि भूमि, भूमि स्वामी करन सींग s/o मुन्नी सींग, कोई आदेश दर्ज नहीं है।
Rajasv prakran kramank 74a-6/a, 2017
Aavedak ka naam darj nahi hai, खसरा नंबर 169 का अनुतोष नहीं मांगा गया है.. पिक्चर अभी बाकी है..
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