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शिवनगर पंचकल्याणक महोत्सव में भव्य समोशरण से मुनि आदिकुमार की दिव्य देशना.. भगवान के मोक्ष कल्याणक पश्चात विश्व शांति महायज्ञ एवं गजरथ फेरी आज

समोशरण से मुनि आदिकुमार की दिव्य देशना..
दमोह। शिवनगर में चल रहे पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में पंचम दिवस विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुए। प्रातः नित्य पूजन अभिषेक उपरांत 24 तीर्थंकर के तप कल्याण के अर्घ्य समर्पित किए गए। मुनि आदि कुमार प्रथम आहार चर्या को निकले। दोपहर में ज्ञान कल्याणक मनाया गया। समवसरण की रचना की गई। रात्रि में महा आरती हुई। सोमवार को गजरथ फेरी से महोत्सव का समापन होगा।

शिव नगर पंचकल्याणक महोत्सव में रविवार को ज्ञान कल्याणक की क्रियाये संपन्न हुई। निर्यापक मुनि श्री अभय सागर जी महाराज के ससंघ  मंगल सानिध्य एवं पं जय कुमार जी निशांत तथा पंडित आशीष जैन के निर्देशन में प्रातः कालीन अभिषेक पूजन एवं शांति धारा संपन्न हुई। आज मुनि आदि कुमार आहारचार्य को निकले, सबसे पहले राजा सोम और श्रेयांश ने आहार दान का सौभाग्य प्राप्त किया। 

दोपहर में समावशरण से भगवान की दिव्य देशना हुई। इस मौके पर प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री एवं दमोह के विधायक जयंत मलैया एवं मध्य प्रदेश शासन के पशुपालन मंत्री लखन पटेल ने पंच कल्याणक महोत्सव स्थल पहुंचकर मुनि संघ को श्रीफल अर्पित कर आशीर्वाद ग्रहण किया।

महोत्सव समिति के ओर से पंचकल्याणक महोत्सव समिति के अध्यक्ष सुनील डुबौलिया कार्यकारी अध्यक्ष रिंकू खजरी संयोजक महेश दिगंबर सहसंयोजक रिशु सिंघई जैन पंचायत अध्यक्ष सुधीर  सिंघई महामंत्री पदम खली शेरा जैन प्रिंस जैन आदि ने दोनों मंत्रियों का भाव भीना स्वागत किया गया।
भावना से ही भगवान बनते हैं- श्री गरिष्ट सागर जी- इस अवसर पर छूलक श्री गरिष्ट सागर जी महाराज ने अपने मंगल प्रवचन में कहा कि भावना भवनासनी होती है भावना से ही भगवान बनते हैं परम उपकारी गुरुदेव ने मुझे जोड़ा और मोक्ष मार्ग पर आगे बढ़ाया मुनि श्री सुब्रत सागर जी महाराज का मुझ पर बहुत बड़ा उपकार है वह मुझे गुरु के पास ले गए धर्म की राह दिखाई व्रत को ग्रहण कराया मुनि श्री आदि सागर जी महाराज 6 माह तक ध्यान में लीन रहे उसके बाद आहरों को निकले किंतु कोई भी श्रावक पढ़हन की विधि नहीं जानता था कोई सोने रतन दे रहा था कोई अपना महल दे रहा था।

श्रावक सब कुछ देने को तैयार थे किंतु मुनि महाराज आहार नहीं ले रहे थे तब हस्तिनापुर की राजा सोम और श्रेयांश राजा ने मुनि श्री आदि कुमार को पड़गाकर अक्षय तृतीया को आहार कराया तब रतन की वृष्टि हुई दुदंबी बाजी सुगंध भरी पवन चली और चाहूं और जय जयकार हो गई वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन मुनि महाराज के आहार प्रगहन के साथ हुए इसे अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है अक्षय जिसमें चक्रवर्ती की सेना भी भोजन ग्रहण कर ले तो भोजन कम नहीं पड़ता मुनि महाराज को आहार देने में सभी प्रकार का दान हो जाता है इसमें औषध दान अभय दान सभी कुछ सम्मिलित है।

दोपहर में समवशरण की रचना रात में महाआरती-पंचकल्याणक प्रतिष्ठा अवसर पर अयोध्या नगरी में रविवार दोपहर में समावशरण की भव्य रचना की गई। भगवान की दिव्या देशन हुई केवल ज्ञान की प्राप्ति के बाद भगवान ने भव्य जीवन के कल्याण के लिए उपदेश दिया।  इस अवसर पर निर्यापक श्रमण अभय सागर जी महाराज का संघ सहित सानिध्य सभी को प्राप्त हुआ। रात महारती का सौभाग्य संचित सेठ परिवार को प्राप्त हुआ

मोक्ष कल्याणक पश्चात विश्व शांति महायज्ञ एवं गजरथ फेरी आज- सोमवार को महोत्सव के अंतिम दिन प्रातः बेला में भगवान को मोक्ष प्राप्त होगा। इस अवसर पर विश्व कल्याण की भावना से हवन यज्ञ किया जाएगा। उसके बाद दोपहर में गजरथ फेरी निकाली जाएगी। जो शिवनगर स्थित अयोध्या नगरी पंडाल की सात परिक्रमा करके संपन्न होगी।

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