पंचकल्याणक में गर्भ कल्याणक माता की गोद भराई
दमोह। शिवनगर पंचकल्याणक महोत्सव के दूसरे दिन गर्भकल्याणक उत्तर के साथ माता की गोद भराई की गई। तीसरे दिन शुक्रवार को सुबह तीर्थंकर बालक के जन्म की खुशियां मनाई जाएगी। आज दोपहर में माता-पिता की गोद भराई का कार्यक्रम संपन्न हुआ कल दोपहर में सौ धर्मेंद्र द्वारा 1008 कलश से जन्मभिषेक किया जाएगा।
शिवनगर पंचकल्याणक महोत्सव में
गुरुवार को प्रातः श्री जी के अभिषेक उपरांत शांति धारा पूजन संपन्न हुई।
इस अवसर पर शांति धारा करने का सौभाग्य डॉ अमित प्रकाश पंडित अखिलेश जैन
एवं आशीष सिंघई को प्राप्त हुआ। विधान के महापात्रों के साथ इंद्र
इंद्राणियों ने नव देवता पूजन करके 24 तीर्थंकर भगवान के गर्भ कल्याण के
अर्घ्य समर्पित किये। इस मौके पर मुनि श्री अभय सागर जी महाराज संघ के मंच पर मंगल आगमन पर सैकड़ो की संख्या में उपस्थित इंद्राणियों ने मंगल अगवानी की।
कुंडलपुर क्षेत्र कमेटी के पूर्व अध्यक्ष संतोष सिंघई एवं जैन पंचायत
के अध्यक्ष सुधीर सिंघई, अंकित मित्र और डॉ अनिल चौधरी ने मुनि संघ को
शास्त्र भेंट किये। टण्डन बगीचा मन्दिर एवं राजीव कॉलोनी के भक्त जनों ने
द्रव्य समर्पित की। दोपहर में माता-पिता की गोद भराई का कार्यक्रम संपन्न
हुआ सोधर्म इंद्राणी ने अपनी सहेलियों के साथ मां की गोद भराई संपन्न हुई।
रात्रि में महाराज नाभि राय के दरबार के साथ इंद्र सभा हुई। तीर्थंकर बालक के माता के गर्भ में आने की सूचना सभी को प्राप्त हुई।
तीर्थंकर बालक का जन्म कल्याणक आज मनाया जाएगा.. पंचकल्याण
महोत्सव में आज 6 दिसंबर को जन्म कल्याणक महोत्सव मनाया जाएगा। अयोध्या
नगरी में शुक्रवार भगवान का जन्म प्रातः 8.23 पर वाद्य यंत्रों के साथ
धूमधाम से जन्म कल्याण की क्रियाएं जैन संस्कार और जन्मोत्सव अतिशय होंगे। शची संवाद होगा
सोधर्मेंद्र द्वारा 1008 नेत्रों के द्वारा तीर्थंकर बालक का प्रथम दर्शन किया जावेगा 9 बजे मुनि श्री के मंगल प्रवचन होंगे। 12:30 जन्मभिषेक ऐरावत हाथी से सुमेरु पर्वत की ओर इंद्रगमन होगा। पडु्कशीला पर सौधर्मेंद्र द्वारा 1008 कलश से जन्मभिषेक होगा। सचि इंद्राणी द्वारा दोपहर 3:00 घटयात्रा मंदिर बेदी शुदी कलश शुद्ध ध्वज शुद्ध शाम को 4:00 बजे मुनि श्री के मंगल प्रवचन होंगे।
शाम को 7 बजे महा आरती, 7:30
शास्त्र सभा, रात्रि 8 बजे महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण द्वारा तांडव
नृत्य आनंद कूट नाटक पालना बाल कीड़ा संपन्न होगी। महोत्सव समिति के संयोजक
महेश दिगंबर एवं सह संयोजक रेशु शंघई ने व्यवस्थाओं में सहयोग और
कार्यक्रम में सम्मिलित होने की अपील की है।
तीर्थंकर के पंचकल्याणक होते हैं-मुनि श्री प्रभात सागर जी.. तीर्थंकर
भगवान के पंचकल्याणक होते हैं पंच कल्याणक सभी मोक्ष गामी जीवों के नहीं
होते संसार का यह विशेष पद आश्चर्य पैदा करता है तीर्थंकर के वैभव को
शोधर्म इंद्र भी नमस्कार करता है तीर्थंकर बनने वाले की पांच कल्याणक भारत
एवं ऐरावत क्षेत्र में होते हैं सम्यक दृष्टि जीव ही सदैव तीर्थंकर बनता है
सम्यक दृष्टि गृहस्त भी हो सकता है तीर्थंकर जहां जन्म लेते हैं वहां
चारों तरफ खुशहाली छा जाती है।
उपरोक्त विचार मुनि
श्री प्रभात सागर जी महाराज ने पंचकल्याणक के दूसरे दिवस प्रातः काल अपने
मंगल प्रवचनों में अभिव्यक्त किये। मुनि श्री ने कहा कि सोधर्म इंद्र रतन
वृष्टि करता है वह एक बार में 3:30 करोड़ रतन की वर्षा करता है ऐसा तीन बार
होता है तीर्थंकर बालक का जन्म होने के पूर्व मां के गर्भ में संस्कार दिए
जाते हैं आज मां अपने बच्चों को संस्कार नहीं दे पा रही हैं उसके
दुष्परिणाम समाज में देखने को मिल रहे हैं बच्चे मोबाइल से संस्कार विहीन
हो रहे हैं वे उसका उपयोग कम दुरुपयोग ज्यादा कर रहे हैं बच्चों के मोबाइल
के उपयोग पर माता-पिता को नजर रखनी चाहिए।
आज मां की कोख में संस्कारवान
अभिमन्यु पैदा नहीं हो रहे हैं भारतीय संस्कृति में संस्कारों को बहुत अधिक
महत्व दिया गया है जो आज भूलते जा रहे आज की माता-पिता अपनी संतानों को
अच्छे संस्कार नहीं दे पा रहे हैं जिसकी बहुत आवश्यकता है बहुत से
माता-पिता अपने प्राण से प्यार संतान का गर्व में ही गर्भपात करा देते हैं
मां जन्म दातरी है किंतु वह गर्भ गिराती है तो वह हथियारन है उसे नर्क में
भी स्थान नहीं मिलता।
इसके पूर्व प्रात काल शांति
धारा का पाठ करने के बाद मुनि श्री प्रयोग सागर जी महाराज ने अपने मंगल
प्रवचन में कहा कि पंचकल्याणक की क्रियाएं सामान्य नहीं है यह हमारे जीवन
में बहुत प्रभाव डालते हैं हमारे जीवन में सात परम स्थान हैं उत्कृष्ट
पर्याय उच्च कुल उच्च धर्म विवेक बुद्धि और उत्कृष्ट संयोग मिलना बहुत कठिन
है जिन लोगों ने पंचकल्याणक में अपने धर्म का प्रयोग किया है वे अत्यंत
सौभाग्यशाली हैं।
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