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उच्च न्यायालय ने राज्य शासन को दिए तत्कालीन कलेक्टर और एस डी एम के विरुद्ध कार्यवाही करने के निर्देश.. पटवारी की वेतनवृद्धि रोकने के आदेश निरस्त..

पटवारी की वेतनवृद्धि रोकने के आदेश निरस्त

जबलपुर/ छतरपुर। माननीय उच्च न्यायालय ने सब डिविजनल ऑफिसर बड़ामलहरा के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें पटवारी के द्वारा अनियमितताएं करने के कारण उसकी एक वेतन वृद्धि संचयी प्रभाव से रोक दी गई थी। जिसके विरोध में डब्ल्यू पी WP-24004-2024 माधव सिंह तोमर बनाम राज्य शासन आदेश दिनांक 11.12.24 प्रकरण के तथ्यों के अनुसार माधव सिंह तोमर (पटवारी) बड़ामलहरा में पदस्थ है। उनके द्वारा की गई सीमांकन कार्यवाही में अनियमितता पाए जाने पर सब डिविजनल ऑफिसर बड़ामलहरा द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, जिसमें 24 घंटे के अंदर जवाब न देने पर एकपक्षीय कार्यवाही करने की टीप अंकित थी। पटवारी द्वारा निर्धारित समय सीमा 24 घंटे में समाधान कारक जवाब न देने से सब डिविजनल ऑफिसर ने सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण और अपील) नियम 1966 के तहत एक वेतन वृद्धि संचयी प्रभाव से रोकने का आदेश पारित कर दिया।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रत्न भारत तिवारी ने अपने तर्कों में बताया कि सब डिविजनल ऑफिसर बड़ामलहरा ने एकपक्षीय और मनमानीपूर्ण कार्यवाही करते हुए एवं नोटिस में केवल 24 घंटे में जबाव प्रस्तुत करने का समय दिया गया। साथ ही बिना किसी विभागीय जांच संस्थित किए और सिविल सेवा नियम 1966 के नियमों के विरुद्ध एक वेतन वृद्धि संचयी प्रभाव से रोकने का आदेश पारित किया गया है। जो विधिविरुद्ध है, और निरस्त किए जाने योग्य है। साथ ही उक्त आदेश की अपील कलेक्टर छतरपुर को भी की गई थी। जिसमें कलेक्टर छतरपुर ने सब डिविजनल ऑफिसर के आदेश को सही माना था। माननीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री संजय द्विवेदी जी ने अधिवक्ता रत्न भारत तिवारी के तर्कों से सहमत होते हुए याचिकाकर्ता के विरुद्ध पारित आदेश निरस्त करते हुए और सब डिविजनल ऑफिसर बड़ामलहरा और कलेक्टर छतरपुर के द्वारा अधीनस्थ कर्मचारियों पर मनमानीपूर्ण और विद्वेषपूर्ण कार्यवाही को आड़े हाथों लेते हुए राज्य शासन को आदेशित किया है। कि ऐसे अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए। जो नियमों को ताक पर रखकर अधीनस्थ कर्मचारियों के विरुद्ध आदेश कर रहे है। साथ ही शासन स्तर पर अधिकारियों को निर्देश जारी किए जाए।

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