Ticker

6/recent/ticker-posts
1 / 1

मप्र के पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया को मछली पकड़ने के जाल में फसाया.. विलुप्त हो रही परम्परा को जीवित करने रैकवार माझी ने चलाया नजर उतारन अभियान..

 रैकवार माझी ने चलाया नजर उतारने का अभियान

दमोह। बुंदेलखंड के समूचे अंचल में रैकवार माझी समाज के द्वारा दीपावली के दूसरे दिन घर-घर जाकर परिवार के सभी सदस्यों के लिए मछली पकड़ने वाला जाल ओढ़ाया जाता है। यह परम्परा विलुप्त हो रही थी जिसे सहेजने के लिए दमोह में माझी समाज के संभागीय अध्यक्ष राकेश धुरिया, जिला अध्यक्ष राकेश रैकवार, ग्रामीण जिला अध्यक्ष मोंटी रैकवार, समाज के वरिष्ठ लेखराम रैकवार, पवन रैकवार, नरेश रैकवार, लकी रैकवार के द्वारा विभिन्न परिवारों की आल बलाएं नज़र उतारकर दमोह के बेलाताल तालाब में विसर्जित की गई।

इस दौरान प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री और दमोह विधायक श्री जयंत मलैया सहित अनेक लोगों के आवास पर पहुंचकर
रैकवार माझी समाज के वरिष्ठ जनों ने जाल डालकर नजर उतारा किया। बाद में इन सभी बलायो का बेला ताल में विसर्जन किया गया। मोंटी रैकवार ने बताया कि बरसों पुरानी ये परम्परा आज भी जारी है।
बुजुर्गों ने हमें बताया है कि गांव-गांव में रैकवार माझी समाज के लोग मछली पकड़ने का जाल लेकर लोगों के घरों में जाते हैं। परिवार के लोगों को यह जाल ओढ़ाया जाता है और माना जाता है कि इसके बाद उस घर परिवार के लोगों के जीवन की समस्याएं इस जाल में फंसकर बाहर आ जाती हैं। शुभता और समृद्धि: मछली के जाल को शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसे डालने से घर में शुभता और समृद्धि आती है। 
नकारात्मक ऊर्जा का निवारण: मछली के जाल को नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए भी माना जाता है। इसे डालने से घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
स्वास्थ्य और सुख: मछली के जाल को स्वास्थ्य और सुख का प्रतीक भी माना जाता है। इसे डालने से घर में स्वास्थ्य और सुख आता है। उन्होंने कहा कि यह परम्परा विलुप्त हो रही थी जिसे पुनः चालू करने के लिए  दमोह में रैकवार माझी समाज ने यह परम्परा पुनः प्रारंभ की है। संभागीय अध्यक्ष राकेश धुरिया ने बताया कि समाज मुख्य तौर पर मछली पालन के काम से जुड़ा होता है। जाल ही उनकी आय का जरिया होता है। जिस तरीके से पानी से मछली निकाली जाती है वैसे ही लोगों की समस्याओं को इस जाल से निकालने की मान्यता है। प्रार्थना की जाती है कि लोग के जीवन में सुख रहे। जाल को बुंदेलखंड में सौखी भी कहा जाता है।
माझी समाज के जिला उपाध्यक्ष पवन रैकवार ने बताया कि परिवार की एकता: मछली के जाल को परिवार की एकता का प्रतीक भी माना जाता है। इसे डालने से परिवार में एकता और सामंजस्य बढ़ता है।यह प्रथा विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है, लेकिन इसका मूल महत्व शुभता, समृद्धि, और सुख की प्राप्ति है। कार्यक्रम का  संचालन लेखराम रैकवार,लकी रैकवार और आभार नरेश रैकवार ने व्यक्त करते हुए कहा है कि यह परम्परा प्रतिवर्ष चलाई जाएगी जिसमें माझी समाज के प्रत्येक युवाओं को जोड़ा जाएगा।

Post a Comment

0 Comments