श्री जिनशरणं जिनालय में याज्ञ मंडल विधान संपन्न
दमोह।
सकल दिगंबर जैन समाज दमोह और सागर नाका दमोह की जैन समाज के युवाओं और
श्रेष्ठियों के द्वारा परम पूज्य संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्या सागर जी
के पट्ट शिष्य आचार्य श्री 108 समयसागर जी के आशीर्वाद से पूज्य मुनि श्री
प्रयोगसागर जी एवं पूज्य मुनि श्री सुव्रत सागर जी के सान्निध्य में तथा
युगल प्रतिष्ठाचार्य डॉ अभिषेक जैन डॉ आशीष जैन शिक्षाचार्य के निर्देशन और
प्रतिष्ठाचार्यत्व में भारतीय जैन संस्कृति के उन्नयन, प्राचीन जिनालयों,
पूजनीय धरोहरों की सेवा, सुरक्षा, स्तुति, पूजन आदि के उद्देश्य से श्री
जिनशरणं प्राचीन जिन दि.जैन पंचायती मंदिर के नाम से श्री पदमचंद जैन के
द्वारा प्रदत्त भवन में वेदियों का निर्माण कराके श्री चंद्रप्रभ जैन मंदिर
ग्राम बकनी, श्री पार्श्वनाथ जैन मंदिर नौरू और श्री अजीत नाथ जैन मंदिर
राजा पटना के प्राचीन जिनबिम्बों की स्थापना कराने का मन सभी की सहमति से
बनाया है।
गत दिवस जैन संस्कृति के संरक्षण हेतु दमोह जैन समाज के समस्त जिनालयों की समाज तथा समस्त जैन संस्थाओं और पदाधिकारियों की उपस्थिति में 900 वर्ष प्राचीन जिनबिंबों का विमानोत्सव पूर्वक शोभायात्रा निकली गई। जिसमें उपस्थित गणमान्यों के द्वारा इस कार्य की सराहना और अनुमोदना की और सभी ने इस पावन कार्य में हर प्रकार के सहयोग हेतु अश्वासन भी दिया। पूज्य श्री के सानिध्य प्राचीन जिनबिंबों की शांति धारा करने का सौभाग्य श्री शिखरचंद जैन अभिषेक जैन रत्नेश अंकित जैन पथरिया, श्री सुरेश चंद जैन, जिनेश, मुकेश, नीलेश, संजय कुमार जैन विद्यासागर ट्रेडर्स परिवार, श्री देवेंद्र जैन कुडई परिवार को प्राप्त हुआ। याग़ मंडल विधान के सुधर्म इन्द्र, कुबेर, ईशान, माहेंद्र, महायज्ञ नायक, यज्ञ नायक, प्रतींद्र और शताधिक इन्द्रों और सामान्य पात्रों ने जिनेन्द्र महा अर्चना संपन्न की।
पूज्य मुनि श्री के चरणों में कुंडलपुर सिद्ध क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष श्री चंद्रकुमार सराफ, श्री नवीन निराला ,श्री राजेंद्र अटल, श्री संतोष जी रायगढ़,डॉ आर के जैन, डॉ आईसी जैन, डॉ पवन जैन, डॉ सविता जैन, श्री जितेंद्र जैन, श्री आनंद जैन, श्री विनय जी बनगांव ने श्रीफल भेंट किया। गुरु चरणों का पाद प्रक्षालन श्री राजेश जी लेखनी देखनी ने किया। शास्त्र भेंट 5 परिवारों ने किया ।
आज पूज्य मुनिश्री ने अपने उपदेश में कहा कि प्राचीन जिनबिंबों का अभिषेक पूजन करने का अतिशय पुण्य है और उन्हें संरक्षित करके उनकी अभिषेक पूजन करना सातिशय पुण्य है। दमोह नगर की नई गल्ला मंडी की समाज ने यह जो कार्य युगल प्रतिष्ठाचार्य अभिषेक आशीष के मार्गदर्शन में किया है अनेक पीढ़ियों तक जैन शासन की प्रभावना का कारण बनेगा।
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