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दमोह कोर्ट ने चैक बाउंस के आरोपी को 6 माह का कारावास एवं 9,99,200 क्षतिपूर्ति के निर्देश दिए.. इधर दमोह वनमंडल में नियमानुसार कार्यवाहक वनपाल नहीं बनाने से आक्रोश..

 चैक बाउंस के आरोपी को 6 माह का कारावास.. 

दमोह। न्यायिक दण्डाधिकारी सुश्री प्रिया राठी द्वारा चैक बाउंस के मामले में आरोपी को दोषी मानते हुए 6 माह कारावास एवं 9,99,200 रूपये क्षतिपूर्ति राशि दिये जाने का दण्डादेश पारित किया है। 
अधिवक्ता मनीष चौबे द्वारा बताया कि मामला इस प्रकार है कि परिवादी सौरभ राय बल्द सुबोध राय साकिन यूनियन बैंक के सामने दमोह आरोपी तिलक सिंह लोधी बल्द रतन सिंह लोधी साकिन ग्राम मंगोलपुरा कुड़ी तहसील पटेरा जिला दमोह परिवादी एवं अनावेदक के मध्य काफी लम्बे समय से अच्छी जान पहचान एवं मधुर संबंध थे संबंधों के चलते अनावेदक ने परिवादी से माह अप्रैल 2018 में कृषि कार्य के लिये एवं अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को बताकर 6,30,000 राशि की मांग की उधार मांगने पर परिवादी से संबंधो के कारण आरोपी की आवश्यकता को समझकर 6,30,000 रूपये उधार दिये।
 कुछ दिन बाद परिवादी ने अपने रूपये आरोपी से मांगे तो उसने यूनियन बैंक शाखा दमोह का चैक राशि 6,30,000 रूपये का परिवादी को प्रदान कर दिया परिवादी ने जब चैक बैंक में लगाया तो बैंक में राशि नहीं होने से परिवादी को रूपये नहीं मिले और चैक बाउंस हो गया।
 परिवादी ने इसकी सूचना आरोपी को दी परंतु सूचना के बाद भी आरोपी ने रूपये नहीं दिये तो परिवादी के विरूद्व न्यायालय में केस लगा दिया। न्यायालय ने दोनों पक्षों की साक्ष्य होने के बाद तर्क सुनकर आरोपी तिलक सिंह लोधी को परिवादी सौरभ राय के उधार दिये पैसे नहीं देने और बैंक खाते में पैसे नहीं होने के बाद भी चैक जारी करने का दोषी मानते हुए 6 माह का कारावास एवं 9,99,200 रूपये क्षतिपूर्ति के रूपये में दिये जाने का आदेश पारित किया। मामले की पैरवी मनीष चौबे ने की।
दमोह वनमंडल में नियमानुसार कार्यवाहक वनपाल नहीं बनाने से आक्रोश..
 
दमोह। दमोह वनमंडल में नियमानुसार कार्यवाहक वनपाल नहीं बनाने से वनपालो में जमकर आक्रोश बना हुआ है। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश शासन के आदेशा नुसार पुलिस विभाग की तरह वन विभाग में भी कार्यवाहक वनपाल बनाए जा रहे हैं।

 उसी क्रम में दमोह वनमंडल में 1अप्रेल 2023 की वरीयता सूची वनरक्षकों की बनाई जानी थी और उसमें किसी तरह की आपत्ति दर्ज कराने का समय भी दिया जाना था। लेकिन दमोह वनमंडल में सालों से पदस्थ वनरक्षक जो गैर कानूनी तरीके से लिपिकीय काम देखते आ रहे हैं उन्ही को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से वनरक्षकों की वरीयता सूची गोपनीय तरीके से जारी करके मुख्य वन संरक्षक महोदय सागर को भेजी गई जिसके आधार पर वनरक्षक से कार्यवाहक वनपाल बनाए जा रहे हैं। जिसकी शिकायत दर्ज कर्मचारियों ने और मध्यप्रदेश कर्मचारी कांग्रेस संगठन ने कई बार दमोह वनमंडल से लेकर भोपाल तक सभी जिम्मेदार अफसरों से शिकायत करी लेकिन किसी तरह का संशोधन 1अप्रेल 2023 की वनरक्षकों की वरीयता सूची में नहीं किया गया है।

और उसी को आधार मानते हुए मुख्य वन संरक्षक महोदय सागर द्वारा कार्यवाहक वनपाल बनाए जा रहे हैं। कर्मचारियों  और मध्यप्रदेश कर्मचारी कांग्रेस संघ दमोह की शिकायत थी कि जो वनक्षक स्वयं के व्यय पर स्थानांतरण कराके अन्य जिले से दमोह जिले आए हुए हैं उन्हें वनरक्षकों की वरीयता सूची में दमोह जिले में उपस्थित दिनांक से वरिष्ठता क्रम पर रखा जाना चाहिए था लेकिन दमोह वनमंडल के कर्मचारियों ने उन्हें नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता सूची में नाम दर्ज कर दिया जबकि जो वनक्षक स्वयं के व्यय पर सागर जिले से 2009 से आए हुए थे उनके स्थानांतरण आदेश पर साफ लिखा था कि वनरक्षक की वरिष्ठता त्यागने और दमोह जिले में वनरक्षकों की वरीयता सूची में कनिष्ठ रखने का उल्लेख था फिर भी वरीयता सूची बनाने वाले कर्मचारियों ने किसी तरह के निर्देशों को ध्यान मे नही रखा गया और अपने पसंद के वनरक्षकों को नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता सूची में शामिल कर दिया जिससे दमोह जिले के वनरक्षकों में निराशा का माहौल बना हुआ है।

जब कर्मचारीयों की पीड़ा को कार्यकारी प्रांताध्यक्ष महोदय शारदा प्रसाद राय के संज्ञान में आया तो उन्होंने तुरंत उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर दमोह वन मंडल की वरीयता सूची 1 अप्रैल 2023 में सुधार करने और जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों पर कार्यवाही करने की मांग दिनांक 23/9/24 को पत्र लिखकर कर दी।अब देखते हैं कि दमोह वनमंडल के वनरक्षकों की वरीयता सूची 1 अप्रैल 2023 के संशोधित करने में और योग्य वनरक्षकों को कार्यवाहक वनपाल बनाने में प्रशासनिक अधिकारी कितनी शीघ्रता करते हैं। या ठंडे बस्ते में पत्र को डालते हैं।

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