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रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त, महत्व और संपूर्ण जानकारी.. रक्षाबंधन के दिन आप अपनी बहन को उपहार में चांदी की कोई वस्तु अवश्य दें.. भद्रा स्वर्ग में शुभ, पाताल की लाभ और पृथ्वी की हानि करवाती है..

 रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त, महत्व और संपूर्ण जानकारी

भाई बहन के रिश्ते को दर्शाता एक ऐसा खूबसूरत त्योहार जिसकी डोर बेहद ही मजबूत, पक्की और विश्वसनीय होती है। दरअसल सनातन धर्म में इस पवित्र और पावन त्यौहार को रक्षाबंधन कहते हैं। इस त्यौहार पर बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उनकी रक्षा की, लंबी उम्र की, उत्तम स्वास्थ्य की और जीवन में सफलता की कामना करती है वहीं बदले में भाई उन्हें तोहफे देकर ता-उम्र उनकी हिफाजत करने का विश्वास दिलाते हैं।
रक्षाबंधन मुहूर्त.. सबसे पहले बात करें समय की तो साल में रक्षाबंधन का यह त्यौहार 19 अगस्त 2024 सोमवार के दिन सोमवार.. मुहूर्त तो सूर्य उदय से ही प्रारंभ हो जाएगा.. और भद्र मुक्त मुहूर्त 13:34 से 21:07  तक.. रक्षा बंधन अपराह्न मुहूर्त :13:42 से 16:19  तक
रक्षाबंधन महत्व.. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है कि, रक्षाबंधन का त्योहार रक्षा और बंधन जैसे दो शब्दों से जोड़कर बनाया गया है जिसमें एक तरफ तो भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है तो दूसरी तरफ एक पवित्र सूत्र को बहन अपने भाई की कलाई पर बांधकर उनके उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घायु की कामना करती है। ऐसे में यह एक ऐसा बंधन होता है जो एक रिश्ते में रक्षा प्रदान करता है। 
रक्षाबंधन के इस त्यौहार को बहुत सी जगह पर राखी का त्यौहार भी कहा जाता है। इसके अलावा यहां एक बात का विशेष ध्यान रखना होता है कि राखी हमेशा शुभ मुहूर्त में ही बांधनी चाहिए। कभी भी पृथ्वी पर भद्र काल में रक्षाबंधन का त्यौहार नही मनाया जाता है। पर पाताल की भद्र अच्छी मानी जाती है और स्वर्ग की भद्र काफी अच्छी मानी जाती है इसलिए भद्रा का कोई विशेष दोष नहीं है पर भद्रा में ना बढ़े तो ज्यादा अच्छा है
स्वर्ग भद्रा शुभ कार्यं पाताले च धनागमः। मृत्यु लोके यदा विष्टिः सर्वार्थ  विनाशिनी।।
भद्रा स्वर्ग में शुभ जाती है और पाताल की भद्र लाभ देने वाली होती है और पृथ्वी की भद्र हानी करवाती है
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बात करें तो हिंदू ग्रंथो के अनुसार कहा जाता है कि जब असुरों और देवताओं के बीच युद्ध चल रहा था और इसमें इंद्रदेव हार गए थे तब उनकी पत्नी इंद्राणी ने इंद्रदेव की रक्षा और उनके युद्ध में जीतने के लिए इंद्र की कलाई पर पवित्र पीला धागा बांधा था। कहा जाता है इसके बाद वह विजई भी हुए।
जब राजा बलि ने भगवान विष्णु से वचन लेकर उन्हें अपने साथ पाताल लोक में रख लिया था तब मां लक्ष्मी ने रक्षा राजा बलि ही कलाई पर राखी बांधी थी और बदले में उपहार के तौर पर उनसे भगवान विष्णु की वापसी का अनुरोध किया था। 
महाभारत से जुड़ी कहानी के अनुसार बात करें तो रानी द्रौपदी ने एक बार कृष्ण की चोट को ठीक करने के लिए उनकी कलाई पर अपनी पोशाक से एक कपड़ा फाड़ कर बांध दिया था। भगवान श्री कृष्णा इस बात से इतनी ज्यादा खुश और प्रभावित हुए कि उन्होंने द्रौपदी को अपनी बहन बना लिया और उनकी रक्षा करने की जिम्मेदारी ली।
रक्षाबंधन नियम और सावधानियाँ.. इस दिन जल्दी उठकर भाई और बहन दोनों को स्नान अवश्य करना चाहिए। इस दिन दोनों साफ या मुमकिन हो तो नए वस्त्र धारण करें।  इसके बाद भाई पूर्व या उत्तर की तरफ मुंह करके बैठ जाए। इस बात का ख्याल रखें कि भाई की पीठ पश्चिम या फिर दक्षिण दिशा में होनी चाहिए। इसके बाद भाई अपने हाथ में दक्षिणा या फिर चावल लेकर मुट्ठी बांध ले और अपनी बहन से राखी बंधवाएँ। सबसे पहले बहन खुद का और अपने भाई का सिर ढके, इसके बाद माथे पर कुमकुम का तिलक लगाकर अक्षत लगाए, सीधे हाथ में नारियल देकर भाई के हाथ में रक्षा सूत्र बाँधें। 
राखी में तीन गांठे लगाना बेहद शुभ माना जाता है.. रक्षा सूत्र बांधने के बाद बहनें भाई का मुंह मीठा कराएं और उनकी आरती उतारें और बदले में भाई अपनी बहन के पैर छुए, उनकी रक्षा का वादा करें और बदले में अपनी यथाशक्ति अनुसार उन्हें कोई उपहार अवश्य दें। इसके अलावा इस विशेष नियम का खास करके ख्याल रखें की रक्षा सूत्र कभी भी काले रंग का नहीं होना चाहिए।
रक्षाबंधन राशि अनुसार तोहफे.. रक्षाबंधन का यह बेहद खूबसूरत त्यौहार भाई-बहन के रिश्ते की खूबसूरती को दर्शाता है। जहां हर बहन की कामना होती है कि उसका भाई स्वस्थ रहे, खुशहाल जीवन व्यतीत करें और सफलता की सीढ़ियां चढ़े वहीं भाई हमेशा अपनी बहन की हिफाजत करना चाहते हैं। ऐसे में अगर आप इस त्यौहार पर चार चांद लगाना चाहते हैं तो आप अपनी बहन को राशि अनुसार उपहार देकर भी ऐसा कर सकते हैं। 
क्या यह जानते हैं आप? मान्यता के अनुसार रक्षाबंधन के दिन आप अपनी बहन को उपहार में चाहे कुछ भी दें लेकिन चांदी की कोई वस्तु अवश्य उन्हें दें। कहा जाता है कि बहन को चांदी का तोहफा देने से ऐश्वर्य, सुख और शांति जीवन में बनी रहती है। चांदी को एक ऐसी धातु मान जाता है जो व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य बढ़ाती है। इसके अलावा इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि थाली पर अर्थात जिस थाल में रक्षाबंधन की पूजा की गई हो उसमें कुछ पैसे अवश्य रखें। इसके बिना रक्षाबंधन की पूजा अधूरी मानी जाती 

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 पं. रविन्द्र शास्त्री 7701803003
न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी माता का मन्दिर नई दिल्ली

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