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मुनि श्री प्रयोग सागर जी एवं मुनि श्री सुब्रत सागर जी के मंगल सानिध्य में.. श्री सिध्द चक्र महामंडल विधान में 64 अर्ग समर्पित.. ब्रह्मचारी संजीव भैया ने कराया चंदन षष्ठी विधान..

सिद्ध चक्र महामंडल विधान में 64 अर्ग समर्पित हुए..

दमोह। दिगंबर जैन धर्मशाला में मुनि श्री प्रयोग सागर जी एवं मुनि श्री सुब्रत सागर जी महाराज के मंगल सानिध्य एवं ब्रह्मचारी संजीव भैया कटंगी के निर्देशन में लहरी परिवार के द्वारा आयोजित श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान में आज तीसरी दिवस 64 अर्ग समर्पित किए गए।

 इसके पूर्व प्रात काल श्री जी के अभिषेक एवं शांति धारा उपरांत मुनि श्री को शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य विमल लहरी के परिवार को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर मुनि श्री सुब्रत सागर जी महाराज ने अपने मंगल प्रवचन में कहा कि आज का दिन पावन बनने का दिन है आज महिलाएं चंदन छठ के रूप में आज के दिन व्रत करती हैं आज का दिन अशुद्ध अवस्था के प्रक्षालन का दिन है।

 उन्होंने चंदन छठ की कथा सुनाते हुए कहा कि एक राजा और एक रानी बहुत ही समर्पित श्रावक श्राविका थे जो हमेशा दिगंबर साधुओं को पूरे राजशाही वैभव के साथ आहार दान दिया करते थे कोई भी दिगंबर साधुओं का आगमन हो जाए तो किसी का चौक लगे अथवा ना लगे किंतु उस राजा का चौका अवश्य लगता था अभी दमोह में तो बहुत सारे ऐसे लोग होंगे जिनके घरों में कभी दिगंबर साधु के चरण ही नहीं पड़े होंगे तो वह भूत बंगला के समान है एक बार साधु के चरण पड़ जाए तो बांग्ला जिनेंद्र भगवान का मंदिर जैसा बन जाता है।

 प्रयास करना क्योंकि शक्ति द्रव्य का दुरुपयोग करना सबसे बड़ा पाप होता है शक्ति का सदुपयोग करना सबसे बड़ा पुण्य है। राजा ने अपनी रानी को अशुद्ध अवस्था में भी चौका लगाने के लिए मजबूर किया। रानी के अत्यधिक मना करने पर भी राजा नहीं माना। रानी को चौका लगाना पड़ा, चौका लग गया। मुनिराज का आहार हो गया सारे नगर में शहर में जैसी प्रतिष्ठा थी वैसा यश भी फैल गया। लेकिन मुनिराज आहार की आंतरिक विषय किसी को ज्ञात नहीं होते। साधु आहार करके चले गए।

 जब आहार अशुद्ध होता है तो साधु की सामाएक धर्म ध्यान से थोड़ा सा विचलित हो जाते हैं इसी तरह घर में अशुद्ध भोजन के प्रभाव से बेटा पति पिता मोक्ष मार्ग से विचलित हो जाते है आहार करके महाराज चले गए और यहां पर धीरे-धीरे समय गुजरा और दोनों राजा रानी को कुष्ठ रोग की पीड़ा होने लगी मुनिराज से पूछने पर उन्होंने बताया कि तुमने पिछली पर्याय मैं अशुद्ध अवस्था में दिगंबर साधु को आहार दिए होंगे उसके परिणाम स्वरुप तुम्हारे लिए ऐसा रोग हो गया महाराज इसका उपचार क्या है उपवास के साथ अनुष्ठान हो जाए उसके उद्यापन के साथ अच्छे दिन लौटने लगेंगे इसके पश्चात राजा रानी स्वस्थ हो गए स्वस्थ होने के बाद से जब से अब तक चंदन छठ की परंपरा चलती आ रही है।

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