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दमोह कोर्ट ने दुराचारी को 10 वर्ष का कठोर कारावास और जुर्माना से दंडित किया.. पीड़िता ने राजीनामा किया था पेश, पर घटना की पुष्टि डीएनए रिपोर्ट से होने की बजह से हो गई सजा..

दुराचारी को 10 वर्ष का कठोर कारावास और जुर्माना 

दमोह। अपर सत्र न्यायाधीश संतोष कुमार गुप्ता द्वारा एक महिला के साथ बलात्कार करने एवं मारपीट करने के मामले में दो आरोपियों के कृत्य और मामले की परिस्थितियों को दृष्टिगत भादवि की धारा 376 323,और 450 में दस दस वर्ष के कठोर कारावास एवं पन्द्रह सौ रुपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया है। मामले में शासन की ओर से पैरवी शासकीय अभिभाषक राजीव बद्री सिंह ठाकुर द्वारा की गई।
 अभियोजन अनुसार मामला इस प्रकार है, थाना दमोह देहात अंतर्गत निवासी एक महिला दिनांक 8 अक्टूबर 2022 को रात में घर पर अकेली थी तो उसके पति के साथ काम करने वाला आरोपी रवि अहिरवार निवासी ग्राम चौरई एवं मुकेश यादव निवासी दमयंती पुरम न्यू दमोह घर पर आए और जबरदस्ती घर के अंदर घुसकर महिला के साथ मारपीट करते हुए उसके साथ रात भर बार बार बलात्कार किया। आरोपियों के जाने के बाद महिला ने घटना के बारे में अपने भाई एवं मायके वालों को बताया। महिला के लिखित आवेदन पर से थाना दमोह देहात में आरोपीगण मुकेश यादव एवं रवि अहिरवार के विरुद्ध रिपोर्ट लिखी गई।

पुलिस ने घटनास्थल से बिस्तर की चादर एवं धरना के समय पहनी हुई साड़ी डीएनए परीक्षण हेतु जब्त की। पुलिस ने दूसरे दिन आरोपियों को गिरफ्तार कर डीएनए परीक्षण हेतु उनका रक्त नमूना एवं वीर्य नमूना अस्पताल से प्राप्त कर एफ एस एल सागर भेजा और आरोपियों को न्यायालय पेश किया। मामले में न्यायालय मे अभियोजन द्वारा साक्षियो का परीक्षण कराया गया। प्रकरण के चलते दौरान पीड़िता द्वारा राजीनामा न्यायालय में पेश किया गया। डीएनए रिपोर्ट में घटना के समय पहनी हुई पीड़िता की साड़ी और बिस्तर की चादर पर आरोपी रवि के वीर्य पाए जाने का निष्कर्ष निकला। गवाही के पश्चात आरोपी के ओर से न्यायालय में तर्क प्रस्तुत किए गए कि महिला और आरोपी के प्रेम संबंध थे एवं सहमति से उनके द्वारा शारीरिक संबंध बनाए गए थे,परंतु महिला के पति को इनके संबंध में जानकारी मिल गई थी और इस कारण पति उसे छोड़ ना दे इसलिए आरोपियों को प्रकरण में में झूठा फसाया गया है। 
परंतु न्यायालय द्वारा अपने निर्णय में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णित प्रकरण स्टेट ऑफ पंजाब विरुद्ध गुरमीत सिंह एवं अन्य के मामले का उल्लेख करते हुए लिखा कि न्यायालय पीड़िता की साक्ष्य पर बिना उसकी पुष्टि के भी भरोसा कर सकता है न्यायालय को सिर्फ यह देखना होता है कि क्या पीड़िता के बयान स्वाभाविक एवं विश्वस्नीय है या नही।न्यायालय द्वारा निर्णय में आगे लिखा गया कि पीड़िता के साथ हुई बलात्कार की पुष्टि चिकित्सक की साक्ष्य एवं डीएनए रिपोर्ट से भी हो रही है ऐसे में आरोपियों के द्वारा किए गए कृत्य एवं समाज में बढ़ती बलात्कार की घटनाओ तथा उसका महिलाओं पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए आरोपियों को भादवि की धारा 376 में 10-10 वर्ष के कठोर कारावास एवं धारा 450 और 323 में भी दंडित किया जाता है साथ ही आरोपियों पर पंद्रह सौ का जुर्माना भी अधिरोपित किया जाता है।

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