नए मंदिर निर्माण निरीक्षण करने पहुंचे मुनिश्री सुधासागर
दमोह।
श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर की में विराजमान मुनि श्री सुधा सागर जी
महाराज गुरुवार सुबह स्टेशन रोड स्थित श्री आदिनाथ कांच मंदिर पहुंचे जहा
उनकी भक्ति भाव के साथ मंदिर कमेटी के पदाधिकारी ने अगवानी की। मुनि श्री का श्रावकों ने पाद
प्रक्षालन किया और यहां पर प्रस्तावित नवीन जिनालय के संदर्भ में जानकारी
देते हुए प्रस्तावित स्थल बताया। जिसको लेकर मुनि श्री ने अपना आशीर्वाद
प्रदान किया।उल्लेखनीय की श्री दिगंबर जैन कांच
मंदिर समिति के द्वारा एक नए और भव्य पाषाण मंदिर का निर्माण कार्य
प्रस्तावित है। जिसको लेकर कमेटी द्वारा स्थल निरीक्षण कराए जाने के साथ
पूज्य मुनिश्री के सानिध्य में नए मंदिर का निर्माण कर प्रारंभ होने के लिए
निवेदन किया गया।
इस अवसर पर पाठशाला के बच्चो सहित
महिला मंडल, मन्दिर के आसामियों सहित भक्तजनों ने मुनिश्री की भव्य आगवानी
की। मन्दिर समिति अध्यक्ष सतीश जैन कल्लन भैया, महामंत्री सोनू नेता,
कोषाध्यक्ष महेंद्र जैन पटवारी, सुधीर जैन आर के टेंट राहुल जैन मैनेजर
सहित दिगंबर जैन समाज पंचायत कुंडलपुर कमेटी के पदाधिकारी की मौजूदगी रही।
पाप के पंख नहीं होते मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज
दमोह।
मनुष्य पाप को ज्यादा नहीं कर सकता पाप के पैर नहीं होते वह दौड़ नहीं
सकता पाप के पंख नहीं होते वह ज्यादा उड़ नहीं सकता दिन भर कोई व्यक्ति
क्रोध नहीं कर सकता लंबे समय तक व्यक्ति खराब काम नहीं कर सकता अच्छे कर
सकता है जिस तरह कोई व्यक्ति जीवन भर क्रोध के साथ नहीं रह सकता किंतु समता
के साथ रह सकता है ज्यादा क्रोध करने से सिर्फ फट सकता है अथवा वह पागल हो
सकता है
उपरोक्त विचार निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर
जी महाराज ने दिगंबर जैन धर्मशाला में आयोजित अपने प्रातः कालीन प्रवचनों
में अभिव्यक्त किय इस मौके पर दिगंबर जैन पंचायत अध्यक्ष सुधीर सिंघई
महामंत्री पदमचंद आरके जैन कुंडलपुर क्षेत्र कमेटी के पूर्व अध्यक्ष संतोष
सिंघई नवीन निराला सुनील वेजीटेरियन आलोक पलंदी संजीव शाकाहारी शैलेंद्र
मयूर रानू पारस राजेश महेश दिगंबर विनय विनम्र आदि की उपस्थिति रही
इस अवसर
पर मुनि श्री के पद पक्षालन का सौभाग्य सराफ परिवार को प्राप्त हुआ तथा
शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य मुनि श्री निर्मोह सागर जी महाराज के परिवार
जन को प्राप्त हुआ मुनि श्री को पड़गहन कर आहार दान देने का सौभाग्य रितेश
गंगरा परिवार को प्राप्त हुआ
मुनि श्री ने अपने मंगल
प्रवचन में आगे कहा कि मनुष्य दुनिया को अपने अनुसार चलना चाहता वह हर
कार्य अपनी इच्छा अनुसार करना चाहता जिस तरह दीपक अपनी इच्छा अनुसार जलना
चाहता है मनुष्य अच्छे कार्य तो करना चाहता है किंतु वह अपनी इच्छा अनुसार
करना चाहता है जिस तरह आंख देखना तो चाहती है किंतु अपनी इच्छा अनुसार कान
अच्छा सुनना चाहते हैं किंतु इच्छा अनुसार हम मोक्ष जाना चाहते हैं किंतु
अपनी इच्छा अनुसार यही इच्छा सब किए पर पानी फेर देती है..
आचार्य उमा स्वामी
जी ने इच्छा निरोध तप कहा है सयमी सम्यक दृष्टि वही है जिसने अपनी इच्छा
का त्याग कर दिया इच्छा अनुसार कार्य करना खतरनाक है ऐसा व्यक्ति किसी क्षण
इच्छा के वशीभूत होकर खुश हो जाए अथवा नाराज हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता
जिस तरह रावण अपने भाइयों को बहुत चाहता था किंतु उसमें एक दुर्गुण था वह
हर कार्य अपनी इच्छा अनुसार करता था उसकी इच्छा होती थी तो वह सिंहासन पर
बिठा देता था किंतु इच्छा विरुद्ध कार्य होने पर वह लात मार के भगा देता था
विभीषण के साथ उसने यही किया मनमौजी मनुष्य खतरनाक होते हैं उनका भरोसा
नहीं किया जा सकता मनमौजी इच्छा अनुसार कार्य करने वाला व्यक्ति स्थिर नहीं
हो सकता आज अभिषेक का लोटा पकड़ने वाला व्यक्ति कभी इच्छा होने पर मधुशाला
में बोतल भी पकड़ सकता है।
मुनि श्री आगम सागर जी ससंघ का कुंडलपुर से विहार
कुंडलपुर दमोह। सुप्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर की पावन धरा से संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य पूज्य आचार्य श्री समय सागर जी महाराज का आचार्य पद पदारोहण होने के पश्चात मुनि संघों का कुंडलपुर से पद बिहार निरंतर जारी है ।
9 मई को परम पूज्य आचार्य श्री समय सागर जी महाराज के मंगल आशीर्वाद से परम पूज्य मुनि श्री आगम सागर जी महाराज ,मुनि श्री पुनीत सागर जी महाराज, मुनिश्री सहज सागर जी महाराज, ऐलक श्री धैर्य सागर जी महाराज का मंगल विहार कुंडलपुर से हुआ।
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