सुख चाहना बुरा नहीं है किंतु जो देता है उसे जानना जरूरी है-मुनि श्री सुधा सागर जी
दमोह।
संसार में प्रत्येक प्राणी सुख चाहता है जो देता है उसे भी चाहता है सुख
चाहना बुरा नहीं है किंतु जो देता है उसे जानना जरूरी है। चॉकलेट कौन दे
रहा है यह जानना जरूरी है। हम बामी के सांप से बच सकते हैं किंतु आस्तीन के
सांप को नहीं पहचान पाते हैं। चॉकलेट देने वाला ही अपहरण करता है। थप्पड़
मार के अपहरण नहीं किया जाता। उसी में जहर होता है आशा में विश्वास मैं विष
का वास होता है।
उपरोक्त विचार निर्यापक मुनि श्री
सुधा सागर जी महाराज ने दिगंबर जैन धर्मशाला में आयोजित अपने प्रातः कालीन
प्रवचनों में अभिव्यक्त किये। मुनि श्री ने कहा कि नींद की गोली खिला दी
जाती है सुख देने वाले इच्छा पूर्ति करने वालों से सबसे ज्यादा सावधान रहना
चाहिए अशुभ कर्म के उदय से दुख होता है वह इतना खतरनाक नहीं है नरक से
निकलने वाला जीव एक इंद्रिय योनि में नहीं जाता। किंतु पुण्य कर्म के उदय
में पाप करने से जीव एकइंद्री में भी चला जाता है।
सुख देने वाले ज्यादा
खतरनाक होते हैं केकई को पुण्य कर्म के उदय से मिला किमिक्षक वरदान नहीं
दिया होता तो रामचंद जी को वनवास नहीं होता और उसे कोई भी राजमाता बनने से
नहीं रोक पाया पांच लोगों को कभी वरदान नहीं देना चाहिए बालक स्त्री मूर्ख
उम्मत और अपरिचित को वरदान नहीं देना चाहिए।
इसके
पूर्व निर्यापक मुनि श्री वीर सागर जी महाराज ने कहा कि अपना जीवन ऐसा बनाओ
की दूसरे आपको रोल मॉडल बना सके इसके लिए किसी को गुरु बनाना जरूरी है
अधिकतर लोग जो मिला जितना मिला जैसा मिला उसी में संतुष्ट हो जाते अपने
जीवन को उठाने का प्रयास नहीं करते जीवन में पाने के लिए बहुत कुछ है ऊंचा
उठने के लिए बहुत पुरुषार्थ करना पड़ता है किंतु उसके लिए गुरु आवश्यक है।
आज के आहार दान के पुण्यार्जक परिवार..
सोमवार 21 मई को निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज को आहार देने
का सौभाग्य रविंद्र गंगरा शीशम वाला परिवार को प्राप्त हुआ। निर्यापक
मुनि श्री प्रसाद सागर के आहार राजकुमार रानू पारस परिवार को प्राप्त हुआ।
निर्यापक मुनि श्री वीर सागर जी महाराज को आहार देने का सौभाग्य मोनू
गंगरा परिवार को प्राप्त हुआ।
मुनि श्री प्रयोग सागर जी संतोष गंगरा
परिवार, मुनि श्री सुब्रत सागर राजेश हिनौती, मुनि श्री पदम सागर जी के
आहार का सौभाग्य अभिषेक भैया परिवार, मुनि श्री शीतल सागर जी को आहार देने
का सौभाग्य आगत सागर जी के परिवार तथा गंभीर सागर जी के आहार का सौभाग्य
गुड्डू भैया परिवार को प्राप्त हुआ।
श्रमण संस्कृति शिक्षण शिविर 22 से 28 मई तक, शिविर का शुभारंभ आज सुबह 5 बजे से.. दमोह।
निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज निर्यापक मुनि श्री प्रसाद सागर
जी निर्यापक मुनि श्री वीर सागर जी एवं मुनि संघ के मंगल सानिध्य में
दिनांक 22 से 28 तक आयोजित होने वाले श्रमण संस्कृति संस्कार शिविर का
शुभारंभ आज प्रातः ध्वजारोहण के साथ होगा।
दमोह के
इतिहास में प्रथम बार शिक्षण शिविर का आयोजन मुनि संघ के मंगल सानिध्य में
बहुत उत्साह एवं उमंग के साथ होने जा रहा है जिसमें लगभग 5000 से अधिक
लोगों के सम्मिलित होने की संभावना है। शिविर प्रभारी डॉ प्रदीप जैन ने
बताया कि शिविर हेतु सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं इसमें प्रातः काल 5
से 6:00 बजे आचार्य भक्ति 6 से 7 शिविर की कक्षाएं प्रारंभ हो जाएंगे
जिसमें निर्यापक मुनि श्री वीर सागर महाराज जी के द्वारा जीवन जीने की कला
एवं गंभीर सागर जी महाराज के द्वारा छहडाला की क्लास ली जाएगी।
प्रातः
7 से 8:00 बजे निर्यापक मुनि श्री प्रसाद सागर जी महाराज के द्वारा
रतनकरंड श्रावकाचार मुनि श्री पदम सागर जी इष्टउपदेश मुनि श्री शीतल सागर
जी महाराज तत्वार्थ सूत्र की क्लास लेंगे उसके पश्चात आठ से 9:30 बजे तक
निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज भक्तांबर जी पर मंगल प्रवचन होंगे
उसके बाद उनके द्वारा दोपहर में 2:30 बजे से 4:30 तक गोमटसार की कक्षा
चलेगी 5:00 से आचार्य भक्ति के पश्चात साइ 6:00 बजे से जिज्ञासा समाधान के
पश्चात छुल्लक जी के प्रवचन तत्पश्चात 8:00 से बच्चों की कैरियर काउंसलिंग
प्रतियोगिताएं एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे तत्पश्चात रात्रि में
9 से 10 छहढाला की क्लास चलेगी।
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