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आचार्य विद्या सागर जी चमत्कार नहीं करते थे उनके चरणों की धूल से चमत्कार हो जाते थे.. मुनि श्री सुधा सागर जी.. एकलव्य विश्वविद्यालय के सह आचार्य विद्यारत्न पुरस्कार से सम्मानित.. शिविर के अंतिम दिन ऑनलाइन परीक्षा..

भगवान की चरण रज से भी हो सकता है कल्याण.. निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी

दमोह। नगर के श्री पारसनाथ दिगंबर जैन नन्हे मंदिर में आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महाराज आचार्य श्री समय सागर जी महाराज के परम् प्रभावक शिष्य तीन निर्यापक मुनि विराजमान है। जिनके सानिध्य में प्रतिदिन विविध धार्मिक आयोजन चल रहे हैं जिन में शामिल होकर प्रतिदिन सैकड़ो भक्त पुण्य अर्जन कर रहे हैं।
बुधवार को जैन धर्मशाला में भक्तांबर क्लास धर्म सभा को संबोधित करते हुए निर्यापक श्रमण श्री सुधा सागर जी महाराज ने कहा कि जैन मुनि चमत्कार नहीं करते चमत्कार उनकी चरणों की धूल में होता है। आचार्य विद्या सागर जी चमत्कार नहीं करते थे उनके चरणों की धूल से चमत्कार हो जाते थे। हमें भगवान नहीं भगवान की चरण की रज मिल जाए तो हमारे जीवन का कल्याण हो जाए। भगवान और गुरु की चरणों की धूल बन जाओ तो जीवन में चमत्कार घटित हो जाएगा..
जीवन का कल्याण हो जाएगा मोक्ष महल का रास्ता मिल जाएगा। हमारे जीवन में कोई ऐसा गुरु होना चाहिए जिसके लिए हम सब कुछ समर्पित कर दें। उनके चरणों में सब कुछ अर्पित करने का मन बन जाए। हमें ऐसा महसूस हो कि हम उनके चरणों में मिट जाएं। भगवान वे ही बनते हैं जो चरणों की धूल बन जाते हैं। भक्त की यही भक्ति है जो उसे इतनी शक्ति प्रदान करती है की एक दिन उसे भगवान बना देती है। प्रमोद भक्ति और आभार भक्ति के माध्यम से जीवन को उत्कृष्ट बनाया जा सकता है।
एकलव्य विश्वविद्यालय के सह आचार्य विद्यारत्न पुरस्कार से सम्मानित.. डॉ सुधा मलैया जी के द्वारा स्थापित एकलव्य विश्वविद्यालय दमोह मध्य प्रदेश के  कला एवं मानविकी संकाय के संस्कृत तथा हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष सह आचार्य  डॉ आशीष कुमार जैन शिक्षाचार्य और डॉ अभिषेक कुमार जैन शिक्षाचार्य को जैन दर्शन, श्रमण संस्कृति  संरक्षण, शोधकार्य तथा 23 वर्षीय सामाजिक, शैक्षणिक सेवाओं के लिए दिगम्बर जैन पंचायत समिति दमोह, आचार्य विद्यासागर आहार शाला समिति दमोह द्वारा विद्यारत्न सम्मान से सम्मानित किया गया।
 इय अवसर पर परम पूज्य तीर्थ चक्रवती, निर्यापक श्रमण मुनि पुगव 108 सुधासागर, निर्यापक श्रमण प्रसाद सागर जी, निर्यापक श्रमण वीरसागर जी, मुनि पद्म सागरजी, मुनि, प्रयोगसागर, मुनिसुव्रत् सागर जी के सान्निध्य में पंडित सुरेश चंद जी, पंडित सुभाष चंद जी, ब्रह्मचारी गण और सकल समाज की उपस्थिति में समाज अध्यक्ष श्री सुधीर कुमार सिंघई, श्री रूपचंद जैन आचार्य विद्यासागर व्रती आहार शाला अध्यक्ष, महामंत्री श्री महेश बड़कुल, अध्यक्ष नन्हे मंदिर श्री नवीन निराला, श्री शैलेन्द्र मयूर, श्री संतोष शिक्षक ने विद्यारत्न सम्मान से सम्मानित  किया । सम्मान पत्र, प्रशस्ति पत्र का वाचन श्री सुनील वेजिटेरियन ने किया । मंच का संचालन श्रमण संस्कृति शिविर के प्रभारी डॉ प्रदीप शास्त्री ने किया ।
इस मौके पर आचार्य विद्यासागर  व्रति आहार शाला समिति के द्वारा कुंडलपुर क्षेत्र कमेटी के पूर्व अध्यक्ष संतोष सिंघई को श्रावक शिरोमणि पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की इसके अलावा दानवीर महेंद्र करुणा को दान रतन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस मौके पर निर्यापक मुनि श्री प्रसाद सागर जी महाराज ने कहा कि युवा विद्वान धर्म की प्रभावना के कार्य में बहुत सक्रियता से कार्य कर रहे हैं इनका सम्मान सभी विद्वानों का सम्मान है आचार्य भगवान का भी इनको सदैव आशीर्वाद मिलता रहा निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज ने भी सभी को दोनों हाथ से आशीर्वाद दिया।
शिविर के अंतिम दिन ऑनलाइन परीक्षा आयोजित.. शिविर के अंतिम दिवस ऑनलाइन परीक्षा आयोजित की गई जिसमें बड़ी संख्या में शिवरात्रियों ने भाग लिया निर्यापक मुनि श्री वीर सागर जी महाराज ने सभी शिवरात्रियों को अपना आशीर्वाद देते हुए शिवरात्रियों से फीडबैक लेते हुए कहा की शिविर में सीखी हुई अच्छी बातों से अपने जीवन को अच्छा बना लेना चाहिए..
 शिविर तो धर्म और जीवन जीने की कला को सीखने के निमित्त होते हैं यह हमारे जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन कर देते हैं हमारा जीवन पूर्ण रूप से परिवर्तित हो जाता है हम अपने आप को जान करके अपने जीवन के दुखों का निवारण कर सकते हैं और अपने जीवन को उत्कृष्ट बना सकते हैं जीवन को सुख शांति के मार्ग पर ले जा सकते हैं और अधिक जीवन में अच्छाइयों को अर्जित कर सकते हैं।
 
आज के आहरदाता पुण्यार्जक परिवार..बुधवार को निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी का पड़गाहन करके अपने चौक में ले जाकर आहार करने का सौभाग्य संतोष गांगरा परिवार को प्राप्त हुआ।
निर्यापक मुनि श्री प्रसाद सागर जी के आहार डॉ गौरव जैन परिवार, निर्यापक मुनि श्री वीर सागर जी के आहार सुधीर सिंघई परिवार, मुनि श्री पदम सागर जी के आहार रचित जैन परिवार, मुनि श्री प्रयोग सागर जी के आहार हर्षित किराना परिवार, मुनि श्री सुब्रत सागर जी के आहार अरविंद पंकज जैन अथाई वाले परिवार मुनि श्री शीतल सागर के आहार रोहन कौशल परिवार, गंभीर सागर जी के आहार आनन्द लैब परिवार के चौके में संपन्न हुए।

 

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