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तीन निर्यापक संघ का मुनि संघ से महा मिलन, श्रावकों ने की मंगल अगवानी.. दुर्जन को दूध पिलाना सांप को दूध पिलाने जैसा है- निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी

तीन निर्यापक संघ का मुनि संघ से महा मिलन मंगल अगवानी 

दमोह। कुंडलपुर में आचार्य पद पदारोहण महोत्सव के बाद आचार्य भगवान श्री विद्यासागर महाराज एवं आचार्य श्री समय सागर जी महाराज के शिष्य मुनि राजो का मंगल विहार कुंडलपुर से चल रहा है। मुनि श्री प्रयोग सागर जी एवं मुनि श्री सुब्रत सागर जी महाराज के कुंडलपुर से दमोह नगर आगमन पर सोमवार को सकल जैन समाज के द्वारा धरमपुरा नाका पहुचकर मुनि संघ की मंगल अगवानी की गई।
इस अवसर पर  दमोह नगर में पूर्व से विराजमान तीन निर्यापक मुनि मुनि श्री सुधा सागर जी, श्री वीर सागर जी श्री प्रसाद सागर जी के साथ मुनि श्री पदम सागर एवं शीतल सागर जी ने सैंडे चौराहे पर पहुंचे। जहां पर सभी मुनि राज का ऐतिहासिक मंगल मिलन हुआ। तीनो निर्यापक मुनियो का दोनों मुनि राज् ने चरण वंदन करते हुए नमोस्तु किया।
इस मौके पर उपस्थित श्रद्धालु गणों ने जयकारों के साथ हर्ष ध्वनि की। इसके पश्चात ढोल नगाड़ों के साथ मुनि संघ  जैन धर्म शाला पहुंचे। रास्ते मे जगह-जगह पद पक्षालन करके आरती उतारी गई।
दुर्जन को दूध पिलाना सांप को दूध पिलाने जैसा है- मुनि श्री सुधा सागर जी.. दमोह के श्री पारसनाथ दिगंबर जैन नन्हे मंदिर जी धर्मशाला में आयोजित धर्म सभा को संबोधित करते हुए निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज ने अपने मंगल प्रवचनों में कहा कि साधु का सबसे बड़ा लक्षण अपनी गलती को स्वीकार कर लेना है। सज्जन व्यक्ति गलती होने पर क्षण भर में भी अपने जीवन भर की धारणा को पल में बदल देता है सज्जनता की परख इसी से होती है किंतु दुर्जन अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता दुर्जन को दूध पिलाना सांप को दूध पिलाने जैसा है जो सत्य को जानकर भी स्वीकार नहीं करता वैराग्य हट बहुत दृढ़ होता है उसे कोई नहीं समझा सकता क्योंकि वह लोभी होता नहीं अज्ञानी होता नहीं और गलत होता नहीं वह इतना दृढ़ होता है की दुनिया हिल जाए किंतु बैरागी नहीं हिलता..
वह कितनी भी कठिनाई आए अपने पथ पर चलता रहता है क्षयौप्सम लब्धि सम्यक दर्शन प्रताप की योग्यता में होती है तो वह ऐसा ही हटी हो जाता है सम्यक दर्शन की प्राप्ति के लिए हमारे सभी इच्छाएं समाप्त हो जाना चाहिए थोड़ी भी इच्छा होने पर छहउपसम लब्धि नहीं होती मुनि श्री ने कहा कि इस पंचम काल में सभी प्रतिकूलताओं के बावजूद मुनि  चरिया को पालना सबसे बड़ा अतिशय है मुनि श्री प्रयोग सागर जी अपनी बीमारी के बावजूद मुनि  धर्म का सही पालन कर रहे हैं यह किसी चमत्कार से कम नहीं है यदि मेरी सारी उम्र की तपस्या की फल से ठीक होते हूं तो मैं देने को तैयार हूं पंचम काल में हीन संघनन के साथ मुनि  क्रिया को पालना सबसे बड़ा चमत्कार है।
मुनिराजो की आहार चर्या का सौभाग्य पाने वाले परिवार..  सोमवार को जैन धर्मशाला में मुनियों का पड़गाहन करके अपने चौके में ले जाकर आहार कराने के लिए  50 से अधिक परिवार जनों के द्वारा हे स्वामी जी नमोस्तु करते हुए निवेदन किया जा रहा था। निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज  को अपने चौके में ले जाकर आहार देने का सौभाग्य सौभाग्य दिगंबर जैन पंचायत के अध्यक्ष सुधीर सिंघई परिवार को प्राप्त हुआ। 
निर्यापक मुनि श्री प्रसाद सागर के आहार प्रदीप शास्त्री परिवार के चौके में हुए। मुनि श्री वीर सागर जी को आहार देने का सौभाग्य मुनि श्री निर्मोह सागर जी के गृहस्थ जीवन के परिजनों को प्राप्त हुआ। मुनि श्री प्रयोग सागर जी के आहार राजेश पालर वाले परिवार, मुनि श्री सुब्रत सागर के आहार नेमचंद बजाज परिवार, मुनि श्री पदम सागर के आहार बह्मचारी  स्वतंत्र भैया भैया  परिवार, मुनि श्री शीतल सागर के आहार संतोष सिंघई परिवार एवं छुललक गंभीर सागर जी के आहार बाबूलाल खजरी परिवार के चौके में संपन्न हुए

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