यह संसार काजल की कोठरी है-मुनि श्री सुधा सागर जी
दमोह।
यह संसार काजल की कोठरी है इसमें अच्छे-अच्छे महापुरुष भी फस जाते हैं
इससे निकलने के लिए महापुरुषों को भी संघर्ष करना पड़ता है बहुत संभल कर
चलना होता है गुरु का भक्त व्यसन से मुक्त होता है जो भगवान की भक्ति करता
है वह दुर्गुणों से दूर रहता है किंतु आज के समय में विपरीत हो रहा है भारत
देश में नारी की निंदा तो हो सकती है किंतु मां का आज तक अपमान नहीं हुआ।
उपरोक्त विचार निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज ने दिगंबर जैन
धर्मशाला में चल रहे शिविर में अभिव्यक्त किये। इस मौके पर मुनि संघ के पाद
प्रक्षालन का सौभाग्य मनीष मलैया को प्राप्त हुआ।
मुनि श्री ने कहा कि नारी को मां बनने के बाद अपनी गरिमा को कायम रखना चाहिए क्योंकि वह पूज्य बन जाती है मां की पूजा बेटा करता है मां की बेशभूशा शालीन होनी चाहिए ताकि किसी का मन ना बिगड़े आर्यका को जगत माता कहा जाता है और मुनि के मन को गंगाजल से भी ज्यादा पवित्र माना गया है आचार्य विद्यासागर जी की मां ने अपनी संतान को ऐसे संस्कार दिए की सभी परिवार के सदस्य मोक्ष मार्गी बन गए। क्योंकि उन्होंने संकल्प लिया था कि इस गृहस्थी के कीचड़ में फंसकर जो भी कमल खिलेंगे उन्हें मोक्ष मार्ग में समर्पित कर दूंगी। उन्होंने दुनिया को साक्षात् तीर्थंकर जैसे जगत कल्याणी महान आचार्य विद्यासागर जी को जन्म देकर पूरी मानव जाति पर उपकार किया।
उसके पूर्व प्रात काल निर्यापक मुनि श्री वीर सागर जी महाराज जीवन जीने की कला विषय पर अपनी क्लास में कहा कि आज का मानव यह नहीं जानता कि वह क्यों जी रहा है वह विज्ञान जानता है किंतु जीवन के विज्ञान को नहीं जानता वह कला विषय को पड़ता है किंतु जीवन की कला को नहीं पढ़ पाता जीवन का भी एक गणित होता है जिसे सीखना होता है जीवन संबंधी प्रश्न दिमाग में उठना चाहिए जीवन में कुछ करने के पहले मैं क्यों कर रहा हूं यह प्रश्न उठना चाहिए जीवन को सुंदर तनाव मुक्त और आनंदमय बनाने के लिए धर्म के मार्ग पर चलना आवश्यक है मन में अपराध बोध को निकालना जरूरी है जाने अनजाने में हुई गलतियों को गुरुओं के समक्ष कन्फेशन करना और प्रायश्चित लेना बहुत जरूरी होता है यदि मन का कीड़ा लगा रहता है तो जीवन का आनंद नहीं आता है मन की मवाद को दूर करना जरूरी है वरना यह कभी भी ज्वालामुखी फट सकता है जो स्वयं को समाज और परिवार को प्रभावित किए बिना नहीं रहता।पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य को मिला महा आरती का सौभाग्य.. दमोह। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं गुरु भक्त प्रदीप जैन आदित्य रविवार को दमोह पहुंचे जहां उन्होंने निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी, मुनि श्री प्रसाद सागर जी, मुनि वीर सागर जी सहित सभी मुनिराजों के दर्शन करके मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया।
विद्या सुधा व्यायाम शाला का मंगलमय शुभारंभ मंगलवार सुबह 6 बजे.. दमोह। परम् पूज्य आचार्य भगवन् विद्यासागर जी महाराज, पट्टाचार्य श्री समय सागर जी महाराज के मंगल आशीर्वाद से परम् पूज्य निर्यापक श्रवण मुनिपुंगव सुधा सागर जी महाराज सहित निर्यापक श्रवण प्रसाद सागर जी, वीर सागर जी महाराज सासंघ के मंगल सानिध्य में विद्या सुधा व्यायाम शालाका मंगलमयी शुभारंभ 28 मई को सुबह 6 से किया जा रहा है।
जैन भवन औषधालय परिसर स्टेशन चौक दमोह पर होने वाले शुभारंभ कार्यक्रम अवसर पर युवा सेना पूज्य गुरुदेव का मंगल पूजन करेंगी। श्री विद्या सुधा व्यायामशाला परिवार ने श्री दिगंबर जैन पंचायत एवं श्री दिगंबर जैन धर्मार्थ औषधालय समिती दमोह का आभार मानते हुए सभी सकल जैन समाज से मंगलवार सुबह 6 बजे 3 निर्यापक संघ के सानिध्य में आयोजित व्यायाम शाला के शुभारंभ अवसर पर उपस्थिति की अपील की है।
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