निर्यापक श्रमण श्री समयसागर जी का पटेरा में प्रवेश
दमोह।
युगश्रेष्ठ संत शिरोमणि आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महाराज की
समतापूर्वक समाधि हो जाने के पश्चात उनकी विरासत को सहेजने नव आचार्य
पदारोहण 16 अप्रैल को कुंडलपुर में होने जा रहा है ।आचार्य श्री के सभी
शिष्य कुंडलपुर पहुंच रहे हैं। जेष्ठश्रेष्ठ निर्यापक श्रमण मुनि श्री
समयसागर जी महाराज का मंगल प्रवेश कुंडलपुर की पावन धरा पर 9 अप्रैल को
होने जा रहा है ।
मुनि संघ की भव्य अगवानी हेतु गांव-गांव ,नगर नगर से बड़ी
संख्या में श्रद्धालु भक्तों का काफिला कुंडलपुर पहुंच रहा है। पटेरा से
लेकर कुंडलपुर तक जन सैलाब उमड़ने अनेक जगहों से बड़ी संख्या में बसों,
कारों, दो पहिया वाहनों से लोगों के आने की सूचनाएं प्राप्त हो रही हैं।
अनेक मुनि आर्यिका संघों के भी साथ में प्रवेश करने की संभावना है। अगवानी
की भव्य तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं।
कुंडलपुर का यही प्रांगण हमारे विद्याभ्यास की पाठशाला रही..निर्यापक मुनि श्री नियमसागर जी.. सुप्रसिद्ध जैन तीर्थ सिद्धक्षेत्र कुंडलपुर में आचार्य भक्ति के
पश्चात निर्यापक श्रमण मुनि श्री नियमसागर जी महाराज ने मंगल प्रवचन देते
हुए बताया यहां कुंडलपुर क्षेत्र में आने के पश्चात ऐसी नवीनतम अनुभूति हो
रही है यहां आने के बाद ऐसा लगा इतने सारे मुनि महाराज के बीच कभी नहीं आए।
76--77 में दो चातुर्मास गुरुवर के साथ कुंडलपुर में किये ।हम 4 ही जन
क्षुल्लक थे। सन् 75में फिरोजाबाद चातुर्मास के बाद सोनागिर सिद्ध क्षेत्र
आए आचार्य श्री के साथ चार-पांच ब्रह्मचारी थे एक क्षुल्लक जी थे ।आचार्य
श्री ने सोनागिर में चारों ब्रह्मचारियों को छुल्लक दीक्षा प्रदान की। हम
क्षुल्लक दीक्षा को क्षुल्लक व्रत कहते हैं । दीक्षा का तात्पर्य जहां
रत्नत्रय धर्म प्रकट हो जाता अंतरंग परिग्रह का त्याग हो जाता। दक्षिण
कर्नाटक को छोड़कर पढ़ाई बीच में रोक कर चले आए ।निमित्त मिलता है दिगंबर
गुरुओं का लौकिक शिक्षा की ओर मन था ,प्रवचन अच्छे लगने लगे। राजस्थान के
सुप्रसिद्ध नगर किशनगढ़ में गुरु को गुरु मिले अपने गुरु हमको वही मिले
जहां हमारे गुरु को गुरु मिले वहां हमको हमारे गुरु प्राप्त हो गए। जब गुरु
का प्रथम दर्शन किया। छोटी उम्र में कोई दीक्षा लेते नहीं थे ऐसी छोटी
उम्र में ही रत्नात्रय धर्म के मार्ग पर आचार्य श्री ज्ञान सागर जी ने चला
दिया ।हमारी उम्र भी दूसरी तीसरी कक्षा पढ़ते थे लौकिक पढ़ाई चलती रही 18
साल की उम्र में क्षुल्लक दीक्षा के साथ कुंडलपुर में दो चातुर्मास 76 एवं
77 में गुरु जी के सानिध्य में हुये ।एक छोटे बालक के रूप में विद्या
अध्ययन करते थे चार लोग थे इसी प्रांगण में बैठकर मुलाचार प्रदीप का अध्ययन
किया यही प्रांगण हमारे विद्याभ्यास की पाठशाला रही ।जब उस मंदिर में जाते
गुरु नजर आते बड़े बाबा के साथ छोटे बाबा और अपनी तुलना करते वह दृश्य
घूमने लगता। पुनः वह दिन नहीं आ सकते अतीत का लौटाना किसी के वश की बात
नहीं ।अतीत व्यतीत हो जाता अतीत को याद करना और उस घटना को सुनाना संस्मरण
कहते है। हम चार ही जन क्षुल्लक थे आचार्य श्री ने बुंदेलखंड में इतने बड़े
संघ की रचना की ।गुरु चरणों तक पहुंचने की आश थी कर्मों के रहस्य को कोई
नहीं जान सकते ।अविराम रूप से 30-30 किलोमीटर रोज चले 6 दिन पहले ही निकल
सकते। बड़े-बड़े ज्योतिष भविष्य को नहीं बता सकते गुरु से प्रार्थना करते
और कितना चलना पड़ेगा परोक्ष में प्रत्यक्ष अनुभूति करता रहा कोई संकेत
प्राप्त हो गुरु दर्शन हो सके।
आहारचर्या हेतु चौकों की पर्याप्त व्यवस्था.. सुप्रसिद्ध
सिद्ध क्षेत्र, जैनतीर्थ कुंडलपुर में 16 अप्रैल को आचार्य पद पदारोहण
महोत्सव आयोजित किया गया है। कुंडलपुर की पावन धरा पर संत शिरोमणि आचार्य
गुरुवर विद्यासागर जी महाराज के शिष्यों मुनि आर्यिका संघों का निरंतर आगमन
हो रहा है ।कुंडलपुर में विराजित मुनि आर्यिका संघों की आहारचर्या हेतु
लगभग 250 चौके लगाए जा रहे हैं। जिनमें मुनि आर्यिका संघों की आहारचर्या
संपन्न हो रही है ।चौका व्यवस्था में संलग्न चौका प्रभारी गिरीश नायक अपनी
टीम के साथ रात दिन चौका आवंटन व्यवस्था देख रहे हैं ।इन्होंने जानकारी
देते हुए बताया कि आहार वाटिका एवं व्ही आई पी कॉटेज मिलाकर 225चौके आवंटित
किए जा चुके हैं। इसके अलावा धर्मशाला में भी चौके आवंटित हुए हैं । करीब
400 साधुओं के लिए 400 चौकों की व्यवस्था जुटाई जा रही है ।
चौका में चौके
का सामान बर्तन ,कुएं का जल, दूध आदि उपलब्ध कराया जा रहा है ।दूध की
आपूर्ति में अरविंद अथाई वाले निरंतर सेवारत हैं ।प्रभारी गिरीश नायक,
विद्युत चौधरी ,संजय दिगंबर, अरविंद अथाई वाले,नेमचंद डायमंड ,जवाहर जैन
,बाहुबली हटा ,तरुण हटा ,संतोष मास्साब, विकास केवीएस चौका व्यवस्था में
तत्परता से जुटे हुए हैं । जय कुमार जैन जलज ने बताया मुनि आर्यिका संघ जब
आहार चर्या हेतु निकलते हैं तब कुंडलपुर में अनुपम दृश्य उपस्थित होता है।
पूरा क्षेत्र हे स्वामी नमोस्तु नमोस्तु, हे माता जी वंदामि वंदामि-- की
ध्वनि से गुंजायमान हो जाता है। बड़ी संख्या में लोग अपने-अपने चौका में
पड़गाहन के लिए खड़े होते हैं। हाथों में कलश, नारियल, फल, द्रव्य सामग्री
लेकर नवधा भक्ति पूर्वक पड़गाहन करते हैं और आहारचर्या कराकर अपने भाग्य को
सराहते पुण्यार्जन कर रहे हैं।
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