प्रधानमंत्री की सभा में अपेक्षा अनुरूप नहीं जुटी भीड़
दमोह।
दमोह संसदीय क्षेत्र की आठ विधानसभा में सात पर भाजपा का कब्जा है इनमें
से दो विधायकों को प्रदेश कैबिनेट में स्वतंत्र प्रभार के मंत्री का दर्जा
प्राप्त है वही एक अन्य वरिष्ठ नेता को आयोग के अध्यक्ष के साथ कैबिनेट
मंत्री का दर्जा प्राप्त है। दो वरिष्ठ विधायक पूर्व में अनेक बार मंत्री
रह चुके हैं। इसके बावजूद प्रधानमंत्री मोदी की सभा में यदि पिछले बार की
तुलना में काफी कम भीड़ जुटी हो तो उसके लिए अकेले गर्मी या फिर प्रत्याशी को तो जिम्मेदार ठहराया नहीं जा सकता..! यानी कहीं ना कहीं पार्टी के अंदर नाराजगी चल रही है..! जिसकी तरफ अब की बार 400 पार के चक्कर में पार्टी संगठन से लेकर अन्य जिम्मेदारो का ध्यान नही जा पा रहा है। तभी तो प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मंच पर तीन मंत्री, तीन पूर्व मंत्री सहित अनेक बड़े नेताओं की मौजूदगी के बाद भी पांडाल में अपेक्षा के अनुरूप भीड़ नहीं जुट पाई। जिसके लिए कौन जिम्मेदार है यह सोचने का समय भी शायद पार्टी के बड़े नेताओं के पास नही है...
पांच महीने पहले
विधानसभा चुनाव की बेला में जब प्रधानमंत्री श्री मोदी दमोह आए थे उस समय
श्री मोदी को सुनने जो भीड़ जुटी थी उसने जिले के चारो क्षेत्रो के भाजपा
प्रत्याशियों के समर्थन में नई जान फूंक दी थी। इस बार मोदी जी चार नहीं बल्कि
आठ विधानसभा क्षेत्र के लोकसभा प्रत्याशी के समर्थन में जनसभा को संबोधित
करने आए थे। उम्मीद की जा रही थी कि आठो क्षेत्र से आने वाली जन समुदाय की
वजह से इमलाई का सभा स्थल छोटा पड़ जाएगा। लेकिन मोदी जी के आने के कुछ समय
पहले तक सभा स्थल पर भीड़ एक कोने में सिमटी हुई नजर आ रही थी। गनीमत रही
की मोदी जी के आने के पहले रहली विधानसभा क्षेत्र से दो दर्जन से अधिक बसो तथाा अन्य गाडियो का काफिला सभा स्थल पर पहुंच गया और पंडाल का सामने का हिस्सा
भरा हुआ नजर आने लगा था।
हालांकि मोदी जी के आने के बाद भी पंडाल के साइड की दोनों
तरफ की पीछे की कुर्सियां पूरी तरह से खाली पड़ी रही थी। जबकि दो दिन पहले
ही भाजपा की पत्रकार वार्ता में पथरिया और जबेरा के विधायक लखन पटेल व धर्मेंद्र लोधी जो कि प्रदेश
सरकार में स्वतंत्र प्रभार के मंत्री भी है के द्वारा 75000 सेे अधिक लोगों की भीड़ प्रधानमंत्री के सभा में के आने की
जानकारी मीडिया को दी गई थी। लेकिन आज इन दोनों ही मंत्रियों के क्षेत्र के लोगों की
संख्या कुछ खास नजर नही आ रही थी।
मलहरा क्षेत्र के पूर्व विधायक और लोकसभा
के वर्तमान भाजपा प्रत्याशी राहुल सिंह के चचेरे भाई प्रद्युम्न सिंह तो
मंच पर नजर आ रहे थे लेकिन उनके क्षेत्र के लोगों की संख्या सभा स्थल पर
तलाशने पर भी नहीं दिख रही थी। इसी तरह बंडा तथा देवरी क्षेत्र से आने
वाले भाजपा कार्यकर्ताओं की संख्या भी काफी कम थी। सभा में मौजूद करीब
20000 लोगों का आकलन किया जाए तो इसमें आधे से अधिक दमोह तथा रहली विधानसभा
क्षेत्र के लोग नजर आ रहे थे। सभा मंच पर अन्य विधानसभा क्षेत्र के नेताओं विधायक की मौजूदगी के बावजूद पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष कैबिनेट मंत्री का
दर्जा प्राप्त रामकृष्ण कुसमारिया बाबा जी की अनुपस्थित चर्चा का विषय बनी
हुई थी।
कुल मिलाकर प्रधानमंत्री की सभा में कम
उपस्थिति के लिए अकेले प्रत्याशी राहुल सिंह को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा
सकता। क्योंकि भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी तो जिले के दोनों मंत्रियों सहित
सभी सातों विधायकों की भी थी। लेकिन अधिकांश विधायकों के क्षेत्र से भाजपा
के पुराने कर्मठ कार्यकर्ताओं के मोदी जी की सभा में नहीं पहुंचने की जो एक
बजह सामने आई है वह भी चौंकाने वाली है। दरअसल देवरी तथा बड़ा मलहरा
क्षेत्र के पार्टी के पुराने कार्यकर्ता दूसरे दल से आए नेताओं को विधानसभा
चुनाव की टिकट दिए जाने के समय से ही खफा बताए जा रहे है । वही बंडा क्षेत्र के
एक पुराने नेता के समर्थक अपने बॉस की टिकट कटने का गम अभी भी नहीं भुला
पाए हैं। हटा क्षेत्र में विधानसभा चुनाव के दौरान भीतर घात करने के आरोप
में पार्टी से निकाले गए नेताजी की वापसी से पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता
खपा बताए जा रहे हैं। इसी तरह पथरिया विधानसभा
क्षेत्र में जिस तरह से कांग्रेस नेताओं की भाजपा में घुसपैठ कराई गई है
उससे भी पार्टी के पुराने नेताओ के घर बैठे होने की बात कही जा रही हैं। इधर
जबेरा विधानसभा क्षेत्र से पार्टी के बागी रहे एक नेता के विधानसभा चुनाव
में दमदार प्रदर्शन करने के बाद भी उनको लोकसभा के पहले पार्टी में वापस
नहीं लिए जाने की वजह से भी उनकी समाज तथा समर्थकों का एक वर्ग भाजपा में
होने के बाद भी घर बैठा हुआ है। दमोह में 2 साल पहले हुए विधान सभा उपचुनाव
में राहुल सिंंह की करारी हार के बाद कुछ मंडल अध्यक्षों के साथ सिद्धार्थ मलैया को
शिकायत करके सस्पेंड करा दिया गया था। उन सब की भले ही पार्टी में पिछले साल
बहाली हो गई थी लेकिन उनके समर्थक कार्यकर्ता अभी भी पुरानी टीस को पूरी
तरह से नही भुला पाए है। रहली विधानसभा क्षेत्र में पुराने सांसद के समर्थक
कुछ नेता विधानसभा चुनाव में जिस तरह से भार्गव जी की राह में कांटे
बिछाते रहे थे उसे बात को शायद भार्गव समर्थक अनेक नेता अभी तक नहीं भूल
पाए हैं।
कुल मिलाकर संसदीय क्षेत्र के आठो विधानसभा
क्षेत्र में पिछले चुनाव में जहां पार्टी के समर्पित नेता कार्यकर्ताओं का
बोल वाला नजर आता था वही इस बार दूसरे दलों से आए लोगों की भरमार दिख रही
है। शायद यही वजह है कि पार्टी के जमीनी नेता और कार्यकर्ता अब यह सोचकर घर
से निकलने को तैयार नहीं है कि अबकी बार 400 पार के नारे के साथ जब घर बैठे
प्रत्याशी जीत रहा है तो वह अपनी ऊर्जा को क्यों व्यर्थ खर्च करे। वैसे भी
घुसपैठियों की वजह से पार्टी के अधिकांश पुराने नेता कार्यकर्ताओं की
स्थिति विस्थापितो जैसी होकर रह गई है। शायद यही सभी वजह है कि 5 महीने
पहले मोदी जी के आगमन पर जो सभा स्थल भारी भीड़ से गुलजार था वह लोकसभा
चुनाव के मौके पर भारी संख्या में दूसरे दलों के नेता कार्यकर्ताओं की
घुसपैठ के बावजूद खाली खाली सा नहीं आ रहा था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दमोह आगमन सभा उपरांत प्रस्थान करते समय
हैलीपैड पर जिला मीडिया प्रभारी राघवेंद्र सिंह परिहार ने प्रधानमंत्री का
दमोह आगमन पर आभार माना। वहीं दूसरी ओर मोदी जी की
अगवानी अवसर पर हेलीपैड पर जिन नेताओं को आगे किया गया था उसमें कुछ
ठेकेदार नुमा ऐसे चेहरे भी नजर आ रहे थे जो पार्टी के पदाधिकारी तक नहीं
हैं। पार्टी संगठन ने इनको कैसे मोदी जी का स्वागत करने के लिए आगे कर दिया
यह प्रधानमंत्री की सुरक्षा के हिसाब से जहां जांच का विषय कहा जा सकता है वही पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं के लिए घर बैठने की
वजह कहा जा सकता है। मोदी जी की सभा में भीड़ कम
जुटने की एक और वजह आयोजन की माइक्रो प्लानिंग ना करके हवा बाजी में ही
पूरा काम किया जाना, व्यापक प्रचार प्रसार करने की बजाए सोशल मीडिया पर खुद
को सक्रिय दिखाते रहना स्थानीय मीडिया की जमकर अपेक्षा करना और सत्ता में होने के बाद भी खर्चे में जमकर कंजूसी करना कहा जा सकता है...
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