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बांधवगढ़ से आई कजरी लगातार अपना एरिया बदल तेजगढ़ के जंगल मे छुपी.. बाघिन की तलाश में नौरादेही अभ्यारण्य से पहुंची हाथियों के साथ रेस्क्यू टीम.. आज किया जा सकता है ट्रैकुलाइज..

कजरी को पकड़ने आज हाथियों की मदद से रेस्क्यू

दमोह। लगातार अपना एरिया बदल रही बाघिन कजरी बीते दिनों नौरादेही अभ्यारण्य से झलौन तेन्दूखेड़ा होते हुए तेजगढ़ के जंगलों में पहुच गई थी। जहा शनिवार को भी वन अमला तलाश बनाम निगरानी में लगा रहा। लेकिन लोकेशन मिलने के बावजूद सफलता हाथ नहीं लगी। जिस के बाद अब तेजगढ़ के जंगल मे  बाघिन कजरी की तलाश में नौरादेही अभ्यारण्य से हाथियों के साथ रेस्क्यू टीम पहुच गई है। जो रविवार को कजरी की तलाश करेगी।


 उल्लेखनीय की   27 मार्च 2024 की रात्रि में बाधवगढ़ टाइगर रिजर्व से दो बाघों को लाकर  वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व व नोरादेही अभ्यारण्य की डोंगरगढ़ रेंज मे शिफ्ट किया गया था इन बाघों को जिस जगह रखा गया था उस क्षेत्र में पूर्व में कोई बाघ नहीं था लेकिन छोड़े गये बाघों मे कजरी नामक बाघिन उस क्षेत्र मे नहीं रुकी और वह प्रतिदिन अपना स्थान बदल बदल कर पहले तेंदूखेड़ा फिर झलोन और अब तेजगढ़ वन परिक्षेत्र के जंगलों में रुकी हुई है और इसको पकड़ने के लिए शुक्रवार को नोरादेही की टीम के साथ नोरादेही के वनमडल अधिकारी डॉ एए अंसारी दमोह वमडलअधिकारी एम एस उईके  एसडीओ रेखा पटेल तेजगढ़ रेंजर नीरज पाण्डे सर्रा रेंजर वरिंदर सिंह सहित कई रेंजों वन अमला लगा हुआ है।


 शुक्रवार से बाघिन  कजरी को पकड़ने के प्रयास में जंगलों मे डेरा जमाये हुये हैं किन्तु शनिवार की शाम तक  वन अमले और रेस्क्यू टीम कोई सफलता हाथ नहीं लग पाई है  इसलिए अब  टाइगर रिजर्व के हाथियों की मदद ली जा रही है जिनकी मदद से बाघिन को पकड़ा जाएगा 

जंगल की खाई मे छुपी  बाघिन..गुरुवार की रात बाघिन कजरी झलोन वन परिक्षेत्र की सीमा से होकर तेजगढ़ वन परिक्षेत्र की सीमा पहुंच गई थी रात मे ही उसने गुबरा के जंगलों मे एक बैल का शिकार किया था उसके बाद आगे समदई ग्राम से  लगे रयिरो के  जंगल में जानवरो के बीच एक खाई मे पहुंच गई थी।जिसको पकड़ने के लिए शुक्रवार को नोरादेही अभ्यारण्य की टीम उस स्थान पर पहुंची जहां बाघिन कजरी रुकी हुई थी मगर सफलता नहीं मिल पाई और शुक्रवार की रात फिर बाघिन ने अपना मूवमेंट बदला वहा से कंसा सेमरा और कलमली के जंगलों की और गई लेकिन शनिवार को सुबह सुबह घूमती फिरती हुई उसी खाई मे फिर से छुप गई जबकि टीम गुरुवार के दिन से ही बाघिन कजरी को पकड़ने पूरी तैयारी के साथ मौके पर रुकी हुई है लेकिन बाघिन कजरी द्वारा वन अमले को चकमा देकर यहां वहां अपना मूवमेंट बनाएं हुए हैं 

हाथियों से होगी खोजबीन शुरू मिलेगी सफलता..नोरादेही अभ्यारण्य के डीएफओ डॉ एए अंसारी और दमोह के डीएफओ एमएस सिंह उईक सहित नौरादेही अभ्यारण्य का वन अमला साथ में मौजूद रेस्क्यू टीम शनिवार को फिर तेजगढ़ के उसी स्थान पर पहुंचे जहां पर बाघिन कजरी शुक्रवार से रुकी हुई थी  और बाघिन की हर गतिविधियों पर अपनी नजर रखे हुए हैं  लेकिन बाघिन ऐसी जगह छुपी हुई है जहां पर उसका रेस्क्यू ऑपरेशन करना टीम के लिए मुश्किल हो रहा है इसलिए नोरादेही अभ्यारण्य से नील और चंदा नामक हाथियों को तेजगढ़ लाया गया है।

 जिनकी मदद से बाघिन कजरी की रविवार सुबह खोज बीन करने व उसको पकड़ने का प्रयास टीम  करेगी टीम अपने साथ पिंजरा और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से आए डॉक्टर की टीम द्वारा उसे बेहोश करके पकड़ने का कार्य किया गया था लेकिन शनिवार को सफलता नही मिली इसलिए अब हाथियों को  लाया गया है जिनकी मदद से अब रेस्क्यू टीम  उस खाई के समीप जायेगी और बाघिन का रेकस्यू आपरेशन करेगी वही सूत्रों से ये भी जानकारी मिल रही है की रेस्क्यू ऑपरेशन के पूर्व बाघिन को बेहोश किया जायेगा उसके लिए बाधवगढ़ से डॉक्टर की टीम भी तेजगढ़ पहुंच चुकी है 

सुबह थी कंसा के जंगल..बाघिन कजरी शुक्रवार की रात्रि मे ररियो के जंगलों से होते हुए कंसा के जंगलों मे पहुंच गई थी कुछ लोगो ने इसकी पुस्टि भी की लेकिन बाद मे वह बापिस उसी पहाड़ी पर पहुंच गई जहां पर शुक्रवार के दिन थी अब हाथी  शाम तक पहुंच गये है ये कब तक बाघिन को पकड़ने मे सफल हो पाते है इसकी कोई जानकारी नहीं है वही मामले को लेकर नोरादेही और दमोह वनमडल अधिकारी से जानकारी के लिए सम्पर्क किया लेकिन उनका फोन कवरेज एरिया से बाहर रहा इसलिए सम्पर्क नहीं हुआ वही नोरादेही और तेंदूखेड़ा की उपवन मंडल अधिकारी रेखा पटेल से जानकारी हेतु संपर्क करने के लिए फोन लगाया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं  किया जिससे आगे की कोई जानकारी नहीं मिल पाई।

 हाथियों की मदद से आज किया जा सकता है ट्रैकुलाइज

बाघिन कजरी को पकड़ने के लिए वन अमले सहित रेस्क्यू टीम और डाक्टरों की टीम साथ में मौजूद थे जहां बाघिन कजरी को पकड़ने के आज टीम द्वारा ट्रेंकुलाइज किया जा सकता है जहां उसे एक विशेष प्रकार की गन के जरिए बेहोशी का इंजेक्शन गन से फायर किया जाएगा जिससे बाघिन को बेहोश कर उसका रेस्क्यू किया जाएगा जानकारों द्वारा बताया गया है कि कोई भी जानवर को इस तरह बेहोश करना आसान नहीं होता है जानवर काफी चौकस और चपल होते हैं इस वजह से विशेषज्ञों की मदद से जानवरों को ट्रैकुलाइज किया जाता है साथ ही बेहोशी की दवा में मात्रा का भी ध्यान रखना पड़ता है सूत्रों द्वारा बताया गया है बाघिन कजरी को पकड़ने के लिए हाथियों की मदद से विशेष गन से फायर कर ट्रेंकुलाइज किया जाएगा जिससे वो बेहोश हो जाएगी और पकड़ने में सफलता मिलेगी।

बारिश के कारण रुका रेस्क्यू. शनिवार को तेजगढ़ क्षेत्र में आंधी तूफान के साथ हुई तेज बारिश के कारण वन अमले ने रेस्क्यू ऑपरेशन रुक दिया है जहां बाघिन को पकड़ने के लिए रविवार की सुबह टीम द्वारा फिर से रेस्क्यू किया जाएगा जहां हाथियों की मदद ली जाएगी लेकिन बाघिन कजरी पर वन अमला और टीम द्वारा लगातार नजर और निगरानी रखी जा रही है बाघिन कजरी के गले में कालर आईडी होने से उसकी पल पल की नजर रखी जा रही है। विशाल रजक तेन्दूखेड़ा!

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