कुंडलपुर में मुनि संघो का निरंतर आगमन, मंगल मिलन
कुंडलपुर दमोह। सुप्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र जैन तीर्थ कुंडलपुर मे 16 अप्रैल को आचार्य पद पदारोहण दिवस का आयोजन प्रथम बार किया जा रहा है। जिसको लेकर सभी तैयारियां जहां तेजी से जारी है वही आचार्य भगवन विद्यासागर जी महाराज के शिष्यों का कुंडलपुर की पावन धरा पर पदार्पण भी लगातार जारी है। निर्यापक श्रवण मुनि श्री समय सागर जी का तेजगढ़ अभाना मार्ग से, मुनि श्री प्रमाण सागर जी का कुम्हारी मार्ग से तथा मुनि श्री सुधा सागर जी का हटा मार्ग से कुंडलपुर की और विहार चल रहा है। आसपास के नए क्षेत्रों में अभी अनेक मुनि एवं आर्यिका संघ सनगग विहार रत विराजमान है।
कुण्डलपुर की पावन धरा पर मुनि संघो का निरंतर आगमन हो रहा है। शनिवार को संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य पूज्य निर्यापक श्रमण मुनि श्री प्रसाद सागर जी महाराज एवं मुनि श्री अजित सागर जी महाराज ससंघ 5 मुनिराज, पूज्य मुनि श्री प्रयोगसागर जी महाराज ससंघ तीन मुनिराज, पूज्य मुनि श्री सौम्यसागर जी महाराज ससंघ 6 मुनिराज ,पूज्य मुनि श्री निर्दोष सागर जी मुनिराज ससंघ तीन मुनिराज का मंगल प्रवेश कुंडलपुर में हुआ।
इस अवसर पर कुंडलपुर में पूर्व से विराजित पूज्य निर्यापक श्रमण मुनि श्री अभयसागर जी महाराज, पूज्य निर्यापक श्रमण मुनि श्री संभव सागर जी महाराज ,मुनि श्री प्रभात सागर जी महाराज, मुनि श्री चंद्रसागर जी महाराज, मुनि श्री आनंदसागर जी महाराज, मुनि श्री निर्णयसागर जी ससंघ, मुनि श्री विनम्र सागर जी ससंघ, मुनि श्री विशदसागर जी ससंघ, मुनि श्री विराट सागर जी ससंघ, आर्यिकारत्न श्री ऋजुमति माताजी ससंघ आर्यिका रत्न श्री चिंतनमति माताजी ससंघ,आर्यिकारत्न श्री सोम्य मति माताजी ससंघ का मंगल मिलन हुआ। कुंडलपुर में बड़ी संख्या में उपस्थित यात्री गण, ब्रह्मचारी भैया ,दीदी, कुंडलपुर क्षेत्र कमेटी पदाधिकारी सदस्य, महोत्सव समिति के संयोजक, सह संयोजक प्रभारी सदस्य गण, कुंडलपुर जैन समाज आदि की उपस्थिति रही।
मुनि पुंगव सुधा साग़र जी का हटा में मंगल प्रवेश 31 को
निर्यापक श्रमण मुनि पुंगव श्री सुधा सागर जी महाराज के चरण तेजी से बड़े बाबा की नगरी कुंडलपुर की ओर बढ़ रहे हैं।
शनिवार को मडियादो से काटी गांव में मंगल प्रवेश के साथ आहारचार्य संपन्न हुई और फिर दोपहर में हटा की और बिहार हुआ। कनकतला में रात्रि विश्राम उपरांत रविवार 31 मार्च को मुनिश्री के हटा मंगल प्रवेश को लेकर सकल जैन समाज के द्वारा जोरदार तैयारी की गई है।
मुनि श्री धर्म सागर एवं पुनीत सागर का संघ पथरिया में
पथरिया में शुक्रवार को मुनि संघों का आत्मीय मिलन हुआ। मुनिश्री 108 धर्मसागर जी महाराज मुनिश्री 108 निरापद सागर जी महाराज मुनि श्री 108 भावसागर जी महाराज एवम मुनि श्री 108 आगमसागर मुनि श्री 108 पुनीत सागर जी महाराज का मंगल मिलन संत नगरी पथरिया में हुआ। मुनि संघ की भव्य आगवानी सकल समाज ने की । शनिवार को धर्म सभा एवं आहारचार्य पथरिया में सम्पन्न हुई।
आर्यिका द्र्णमति माताजी संघ दमोह नगर आगमन
दमोह। संत शिरोमणि आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज की परम प्रभावक शिष्या आर्यका द्र्णमति माताजी का 19 माता जी के साथ सागर मार्ग से दमोह नगर आगमन हुआ। इस अवसर पर सकल जैन समाज के द्वारा भव्य अगवानी की गई।
इस अवसर पर दमोह में विराजमान आर्यका संघ ने भी जैन भवन स्टेशन चौराहा तक पहुंचकर आर्यका संघ की मंगल अगवानी की मंगल अगवानी करने वालों में दिगंबर जैन पंचायत के अध्यक्ष सुधीर सिंघई नन्हे मंदिर कमेटी अध्यक्ष नवीन निराला कुंडलपुर कमेटी के पूर्व प्रचार मंत्री सुनील वेजीटेरियन रिशु सावन सिंघई शैलेंद्र मयूर संदीप मोदी रानू पारस विनय विनम्र राजेश आदि की विशेष उपस्थिति रही।
आर्यका संघ एकलव्य विश्वविद्यालय से पदयात्रा करते हुए सागर नाका जैन मंदिर पहुंच कर मंदिर की में दर्शन लाभ लिए तत्पश्चात गाजै बाजैके साथ दिगंबर जैन धर्मशाला पहुंचे जहां पर मंगल प्रवचन हुए प्रवचन के पूर्व आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की मंगल पूजन हुई इस मौके पर आर्यका दृढ़ मति माताजी ने अपने मंगल प्रवचनों ने कहा कि हम अपने गुरु का उपकार सिद्ध बनकर भी नहीं चुका सकते गुरु हमारे जीवन में मां से बढ़कर होते है वह मां की तरह हमें भरण पोषण के साथ उंगली पकड़कर चलना सीखाते हैं गुरु ने हमें चलना सिखाया अटकने भटकनेपर मोक्ष मार्ग पर पुनः स्थापित किया गुरु हमें समता और साहस दोनों सीखाते हैं संत के लिए समता और साहस दोनों की आवश्यकता होती है।
इसके पूर्व दो वर्ष पहले कुंडलपुर में संतों का महामिलन हुआ था पर उस समय गुरु के दर्शन की ऊर्जा हमारे अंदर थी गुरु का आशीष पाने की ललक थी अभी भी सभी लोग इस दिशा की ओर बढ़ रहे हैं पर अब हमारी दशा कुछ अलग है किंतु हमें धैर्य और साहस के साथ अपने आप को जागृत रखना है और गुरु के बताएं मार्ग पर चलना है किसी को नहीं पता था कि कुंडलपुर महोत्सव के बाद गुरुदेव का महाबिहार हो जाएगा।
आर्यका गुरु मति माताजी ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा कि कभी हमारा सम्यकत नहीं छूटना चाहिए मरण हमारा उच्च संलेखना पूर्वक होना चाहिए इसी में हमारे जीवन की सार्थकता है हमारे गुरुदेव एक महान व्यक्तित्व थे उनके बारे में जो कुछ भी कहा जाए थोड़ा है जो गुरु जी ने कहा उसे अपने जीवन में आचरण में उतारा उन्होंने पूर्व से ही संकेत दिए थे किंतु हम उनके संकेत को नहीं समझ पाए और वह उत्कृष्ट सल्लेखना के साथ अपने जीवन का कल्याण कर गए उनका पुण्य तीर्थंकर के समान है, कर्म के उदय में साधारण व्यक्ति घबरा जाते हैं जिस तरह नदी के तेज बहाव में अच्छे तैराक भी डगमगा जाते हैं अच्छा तैराक भी कई वाले पत्थर पर फिसल जाता है इसलिए हमें उसे बचना है गुरुदेव आज हमारे बीच में नहीं है किंतु वह हमारे हृदय से कभी नहीं जा सकते
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