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भावी आचार्य श्री निर्यापक श्रमण श्री समय सागर जी की तेंदूखेड़ा में ऐतिहासिक अगवानी, पशु चिकित्सालय का लोकापर्ण.. अहिंसा धर्म विश्वव्यापी, परोपकार, करूणा, दया अनुकम्पा को लेकर आया है.. मुनि श्री

तेंदूखेड़ा में पशुचिकित्सालय का किया गया लोकापर्ण

तेंदूखेड़ा नगर में सुबह लगभग 8 बजे महामुनिराज श्री समय सागर जी महाराज जी का सासंघ नगर में आगमन हुआ। नगर की जैन समाज के कुछ लोग 27 मील ग्राम पहुंचे जहां से महाराज जी के साथ चलकर आए एवं अधिकतर लोगो ने ग्राम नरगुवां एवं वेयर हाउस तक पहुंचकर भव्य गाजे बाजे के साथ आगवानी की गई।


महामुनि राज समय सागर जी महाराज जी को आहार दान देने का सौभाग्य सुरेश पांडे, अंशु पांडे परिवार को प्राप्त हुआ। इसके बाद लगभग 4 बजे मुनि संघ के सानिध्य में पशुपालन पालन मंत्री लखन पटैल, सांसद प्रत्याशी राहुल लोधी, पूर्व उर्जा राज्य मंत्री दशरथ सिंह लोधी एवं भाजपा के पदाधिकारियों की मौजूदगी में गौ शाला में निर्मित पशुचिकित्सालय का लोकापर्ण किया गया। इस दौरान दयोदय महासंघ ने गौशाला अध्यक्ष संजय जैन पारसमणी के द्वारा किए जा रहे कार्यो को लेकर सम्मान किया गया। इसके अलावा कार्यक्रम में मौजूद अनेक लोगो ने लगभग 7 लाख रूपए का गौशाला कमेटी को दान दिया गया। साथ ही दयोदय महां संघ के द्वारा एक्सरा मशीन एवं सोनोग्राफी मशीन के लिए सहयोग देने की घोषणा की गई।

 महामुनिराज समय सागर जी महाराज जी ने अपने प्रवचनो में कहां है कि अहिंसा धर्म की प्रसंन्नसा या व्याख्यान नहीं कर पाएगें क्योकि अहिंसा धर्म बहुत व्यापक धर्म है। यह अहिंसा धर्म जैनियों का धर्म हैं ऐसा नहीं है। यह धर्म विश्वव्यापी, परोपकार, करूणा, दया अनुकम्पा को लेकर आया है। पवित्र आत्मगत से परिणाम उत्पन्न होते है जिसका नाम अहिंसा धर्म है। मानव जीवन में अपने आप की रक्षा की बात तो करता है। उसके जीवन में प्रतिकूलता आती है, कोई संकट आता है तो उसे दूर करने के लिए सभी प्रकार से तत्पर हो जाता है। प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन को सुखमय बनाने के लिए हमेशा प्रयास करता है। आप पुरूषार्थ कर अपने जीवन का यापन करते है। किन्तु पशु क्या करेगा। वो मूक प्राणी है। कोई पालन करता है तो उसको खादय वस्तु मिलती है। लेकिन जो आवारा पशु घूम रहे है उनकी रक्षा उनके जीवन के संबंध में सोचने बाला कौन मिलता है। ऐसे पशु की सेवा करने बाले कितने लोग होगे। 

मानव अपने लिए हर प्रकार के प्रबंध करता है लेकिन पशुओ के लिए क्या प्रबंध है। गाय को सूखा भूसा मिल जाता है तो उसे चाव से खा लेती है लेकिन उसके बदले गाय आपको दूध देती है। दूध से घी के साथ अनेक बस्तु बनती है जिससे आपका जीवन पुष्ट हो जाता है। उसी घी से भगवान और गुरूओ की आरती उतारी जाती है। गुरू महाराज जी कहते है कि पशुओ का पालन आप नहीं कर रहे है किन्तु पशुओ के द्वारा आपका पालन हो रहा है। बच्चो का पालन भी गाय के दूध से ही होता है। पहले कृषि पशुअाे के माध्यम से की जाती थी। जिसकारण पशुअाे का पालन होता था। लेकिन अब मशीनो से की जा रही है। नीती न्याय के अनुरूप नित्य का अर्जन करते है और उस नित्य का प्रतिशत है वह पशुओ के पालन करने में लगाते है तो निशिचत रूप से जो पशुओ के लिए आपके द्वारा जो सुख शांति मिली है संभव है कि वह भव भव में याद करेगा। करूणा दया अनुकम्पा के साथ बिना स्वार्थ से अहिंसा का पालन करेगे तो आपका भविष्य उज्जवल होगा। 
तेंदूखेड़ा से विशाल रजक की खबर

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