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सप्‍तरंगों के त्‍यौहार पर ग्रहण के अंधविश्‍वास का काला रंग रखें दूर.. विज्ञान चंद्रग्रहण का समझे अपार और मनाईये खुशियों भरा होली का त्‍यौहार– सारिका घारू.. इधर पं. रविन्द शास्त्री ने बताया होली के दिन क्या करें और क्या न करें..

हर साल दो त्‍यौहारी पूर्णिमा पर हो सकता है चंद्रग्रहण
सोमवार को सुबह एवं दोपहर में जब आप भारत में होली के रंगों मे सराबोर होंगे तब यूरोप का अधिकांश भाग, उत्‍तर पूर्व एशिया, अधिकांश आस्‍ट्रेलिया , अधिकांश अफ्रीका , उत्‍तरी और दक्षिण अमेरिका के भूभाग पर उपछाया चंद्रग्रहण की खगोलीय घटना हो रही होगी । भारत में इस ग्रहण के समय चंद्रमा क्षितिज के नीचे होगा इस कारण यहां यह दिखाई नहीं देगा । 
नेशनल अवार्ड प्राप्‍त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि यह उपछाया ग्रहण भारतीय समय के अनुसार सोमवार प्रात: 10 बजकर 23 मिनिट के बाद आरंभ होकर दोपहर लगभग 3 बजकर 3 मिनिट पर समाप्‍त होगा । लगभग 4 घंटे 39 मिनिट तक चलने वाले इस पूरे ग्रहण को एक गणना के अनुसार लगभग विश्‍व की लगभग 11 प्रतिशत आबादी देख पायेगी ।
सारिका ने बताया कि कोई ग्रहण अकेला नहीं आता है । इस चंद्रग्रहण के दो सप्‍ताह के अंतर पर आगामी 8 अप्रैल को पूर्ण सूर्यग्रहण होगा  लेकिन इसे भी भारत मे नहीं देखा सकेगा । भारत में अगला चंद्रग्रहण 18 सितम्‍बर को सुबह सबेरे केवल कुछ मिनिट के लिये केवल पश्चिमी नगरों में होगा लेकिन वह भी उपछायाग्रहण होने के कारण महसूस नहीं किया जा सकेगा । चंद्रमा और सूर्य के बीच तथा एक सीध में पृथ्‍वी के आ जाने से पृथ्‍वी की उपछाया वाले भाग से जब चंद्रमा निकलता है तो उसकी चमक में कुछ अंतर आ जाता है , इसे उपछाया चंद्रग्रहण कहते हैं । चमक में बहुत कम अंतर होने के कारण देखने पर इसे पहचानना मुश्किल होता है । सारिका ने बताया कि एक वर्ष मे आमतौर पर दो चंद्रग्रहण होते हैं और ये पूर्णिमा को घटित होते है और अनेक भारतीय पर्व पूर्णिमा को ही मनाये जाते है इसलिये इसे एक नियमित खगोलीय घटना के रूप में कीजिये स्‍वीकार और मनाईये खुशियो के साथ होली का त्‍यौहार।- सारिका घारू @GharuSarika

होली के दिन क्या करें और क्या न करें.. रविन्द शास्त्री 

माघ के बाद फागुन माह आता है। फागुन का जिक्र होते ही लोगों को होली का इंतज़ार होने लगता है। खुशियों के इस त्योहार में हर किसी को रंगों में सराबोर होने का अवसर मिलता है। होली पर्व की शुरुआत वास्तव में होलिका दहन से होती है। फागुन माह की पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है और उसके अगले दिन होली का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलिका दहन के पर्व को बुराई पर हुई अच्छाई की जीत के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों में होलिका दहन के सन्दर्भ में नारायण भक्त प्रह्लाद की कथा का वर्णन किया गया है। जिसमें लिखा गया है कि एक अत्याचारी राजा हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद की हत्या के लिए कई षड्यंत्र रचा था, जो भगवान नारायण की कृपा से असफल होते रहे। भारत के विभिन्न हिस्सों में होलिका दहन को छोटी होली और होलिका दीपक के नाम से भी जाना जाता है। 
होलिका दहन मनाने के पीछे कारण.. हिन्दू धर्म में होलिका दहन के पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, इसी दिन राक्षस राजा हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने प्रह्लाद को अग्नि में जलाने की कोशिश की थी लेकिन भगवान विष्णु ने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करके उस अग्नि में होलिका को जलाकर राख कर दिया था। ऐसे में, इस दिन अग्नि देव की पूजा का विधान है और उस अग्नि में अनाज और जौ, मिष्ठान आदि डाला जाता है। होलिका दहन की राख को बेहद ही पवित्र और शुद्ध माना गया है। लोग होलिका दहन के बाद इसकी राख को अपने घर लाते हैं और उसे अपने मंदिर या कोई पवित्र स्थान पर रखते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और हर तरह की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात में होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के बाद अगले दिन लोग रंगों वाली होली खेलते हैं और एक-दूसरे को रंग लगाते हैं।
होलिका दहन का महत्व.. सनातन धर्म में होलिका दहन का विशेष महत्व है। ऐसे में, इस दिन लोग अपने घर और जीवन में सुख शांति और समृद्धि के लिए होलिका की पूजा करते हैं। मान्यता है कि होलिका दहन करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा आती है। होलिका दहन की तैयारियां कई दिनों पहले से ही शुरू हो जाती है। लोग लकड़ियां, गोबर के उपले आदि इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं और उसके बाद होलिका वाले दिन इसे जलाकर बुराई पर अच्छाई के जीत का जश्न मनाते हैं। होलिका दहन की लपटें बहुत लाभकारी होती हैं। माना जाता है कि होलिका दहन की अग्नि में हर समस्या व मुश्किलें जलकर दूर हो जाती है। इसके अलावा, लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और देवी-देवताओं की विशेष कृपा बनी रहती हैं।
होली के दिन क्या करें और क्या न करें..होलिका दहन के दिन घर में सुख समृद्धि की कामना की जाती है इसलिए इस दिन भूलकर भी मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। यदि आप धन वृद्धि की कामना करते हैं तो होलिका दहन के दिन कितनी भी बड़ी समस्या क्यों न आ जाए किसी को भी पैसे उधार देने और लेने से बचना चाहिए। बुजुर्गों को हमेशा सम्मान देना चाहिए और उनका अपमान नहीं करना चाहिए लेकिन खासतौर पर होलिका दहन के दिन बुजुर्गों का अपमान करने से बचें। यदि संभव हो तो होलिका दहन के दिन किसी दूसरे के घर में खाना खाने से बचना चाहिए। मान्यता है कि होलिका दहन के दिन कई तरह की नकारात्मक शक्तियां घूमती हैं इसलिए महिलाओं को इस दिन अपने बाल खुले नहीं छोड़ने छोड़ने चाहिए और बांध कर रखना चाहिए। यदि कोई महिला गर्भवती है तो उसे होलिका दहन के दिन  होलिका की परिक्रमा नहीं करनी चाहिए।
इन कामों को जरूर करें.. होलिका दहन के बाद आपको अपने पूरे परिवार के साथ मिलकर चंद्र देव के दर्शन करने चाहिए। ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। इसके अलावा, होलिका दहन से पहले होलिका की सात या 11 बार परिक्रमा करके उसमें मिठाई, उपले, इलायची, लौंग, अनाज, आदि चीज़ें डालना चाहिए इससे परिवार के सुख में वृद्धि होती है। पं. रविन्द्र शास्त्री.. न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी माता का मन्दिर नई दिल्ली

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