राहुल के बाद मुकाबले कांग्रेस ने तरवर को टिकिट दी
देश भर में लोकसभा चुनाव की पूर्व बेला में इस बार जिस तरह से बड़ी संख्या में कांग्रेस नेताओं का भाजपाईकरण हुआ है उसके बाद अनेक लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस की उम्मीदवार की तलाश अभी तक पुरी नहीं हो सकी है। वहीं अनेक क्षेत्रों में तो भाजपा ने जातिवाद का गणित साधने पार्टी के वरिष्ठ पुराने नेताओं की दावेदारी को हाशिये पर रखकर कांग्रेस से भाजपा में आये नेताओं को लोकसभा की टिकट देने में भी परहेज नहीं किया है।
दमोह लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो भाजपा के बाद कांग्रेस ने भी यहां से आखिरकार अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। जिससे चुनावी मुकाबले की तस्वीर साफ होने के साथ यह भी तय हो गया है कि दमोह से सांसद बनने के लिए मुकाबला कांग्रेस के दो पूर्व विधायकों के बीच में होने जा रहा है। कांग्रेस ने बंडा के पूर्व विधायक तरवर सिंह को प्रत्याशी घोषित कर दिया है जबकि तमिल से पूर्व में कांग्रेस के विधायक रहे राहुल सिंह को भाजपा पहले ही अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी है।
उपरोक्त दोनों ही नेता पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर विधायक निर्वाचित होने के बाद
अपना दूसरा चुनाव हार चुके हैं। दोनों ही लोधी समाज से हैं जिससे समाज की वोटो पर दोनों ही दलों की नजर लगी हुई है ऐसे में अब अन्य समाजों की भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि लोधी समाज की वोट बटना लगभग तय हो गया है। वहीं भाजपा द्वारा प्रदेश में सिर्फ एक ही लोधी को टिकट देकर इतनी बड़ी समाज कि पूरे प्रदेश में उपेक्षा किए जाने का प्रचार भी कांग्रेसियों ने शुरू कर दिया है। जिससे अन्य जातियों के रुझान पर दोनों दलों की नजरे टिक गई है। जैन समाज की बात की जाए अभी तक घोषित प्रत्याशियों में भाजपा ने एक भी जैन को टिकट नहीं दी है जबकि कांग्रेस ने झांसी से पूर्व मंत्री प्रदीप जैन आदित्य को जरूर अपना प्रत्याशी बनाया है। इधर ब्राह्मण समाज के अनेक चेहरों को BJP से टिकिट दिए जाने के बावजूद अभिषेक दीपू भार्गव को मौका नहीं दिए जाने से दमोह संसदीय क्षेत्र के ब्राह्मण युवा भी भाजपा से काफी खपा नजर आ रहे हैं। इधर विधानसभा चुनाव के दौरान अनेक क्षेत्रों में अच्छी खासी वोट प्राप्त करने वाली बहुजन समाज पार्टी तथा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी के नाम की घोषणा का भी इंतजार किया जा रहा है..
पिछली विधानसभा में कांग्रेस, लोकसभा चुनाव में बीजेपी रही थी भारी.. 2018 में हुए विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो कांग्रेस ने दमोह विधानसभा से राहुल सिंह को तथा उनके चचेरे भाई प्रद्युमन सिंह को बड़ा मलहरा विधान सभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया था वही बंडा से उनके सजातीय बंधु तरवर सिंह को पार्टी टिकिट दी थी। राहुल सिंह ने भाजपा के दिग्गज नेता और वरिष्ठ मंत्री जयंत मलैया को तथा प्रद्युम्न सिंह ने राज्य मंत्री ललिता यादव को हराकर शानदार जीत दर्ज की थी। वही बंडा से कांग्रेस के नई चेहरे तरवर सिंह ने भी भाजपा के बड़े नेता को मात देकर बड़ी जीत दर्ज की थी। कांग्रेस से लोधी समाज के तीनों चेहरे ऐसे समय में दमोह सांसदीय क्षेत्र के तीन अलग-अलग क्षेत्र से विधायक चुने गए थे जब कद्दावर नेता प्रहलाद सिंह पटेल दमोह से सांसद थे।
हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के साथ कमलनाथ मुख्यमंत्री चुने गए थे। इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को प्रदेश में विपक्ष में होने का फायदा मिला तथा 2019 के लोकसभा चुनाव भाजपा प्रत्याशी प्रहलाद सिंह पटेल उन सभी विधानसभा क्षेत्र में भारी मतों से जीते थे जहां विधानसभा में कांग्रेस ने जीत का परचम फहराया था। इस दौरान एक बात और कही गई थी की लोधी समाज की जो वोट विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में गई थी वह लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते प्रहलाद पटेल के पक्ष में आने से चुनाव नतीजे में बड़ा बदलाव देखने को मिला था।
सिंधिया के दल बदल के बाद प्रदुमन सिंह और राहुल सिंह ने भी बदला था पाला..
वहीं 2020 में ज्योतिराज सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद उनके समर्थक विधायकों के कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने से कमलनाथ सरकार गिरते देर नही लगी थी। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने का माहौल बनते ही बड़ा मलहरा से विधायक प्रदुमन सिंह ने कांग्रेस छोड़ने में देर नहीं की थी वहीं भाजपा की टिकट पर उपचुनाव लड़कर प्रदुमन सिंह ने अपनी विधायकी बरकरार रखी थी। इधर इनके चचेरे भाई राहुल सिंह ने भी कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थामने में देर नही की थी। लेकिन 2021 में हुए दमोह विधानसभा के उप चुनाव में राहुल सिंह को कांग्रेस प्रत्याशी टंडन से करारी हार का सामना करना पड़ा था। जब की भाजपा ने इस दौरान पानी की तरह पैसा बहा कर पूरी ताकत झोंक दी थी। मुख्यमंत्री से लेकर अनेक मंत्री दमोह में डेरा डालकर अपने सजातीय वोटो के लिए पूरी ताकत लगाए रहे थे। लेकिन चुनाव लोधी वर्सेस अन्य जाति का हो जाने से राहुल को 17 हजार वोटो से हार का सामना करना पड़ा था।
उपचुनाव के बाद राहुल ने हार का ठीकरा मलैया परिवार पर मढ़ दिया था.. 2021 के विधानसभा उपचुनाव में करारी हार के बाद राहुल सिंह ने हार का ठीकरा मलैया परिवार पर थोपने में देर नहीं की थी। जिसके बात पार्टी हाई कमान ने जहा पूर्व मंत्री जयंत मलैया को नोटिस देकर जवाब तलब किया था वहीं उनके बेटे सिद्धार्थ सहित आधा दर्जन मंडल अध्यक्षों को पार्टी से निलंबित कर दिया था। 2022 में हुए नगर पालिका तथा पंचायत चुनाव में मलैया पुत्र सिद्धार्थ ने अपनी टीम की ताकत दिखाते हुए नगर पालिका तथा जिला पंचायत के अध्यक्ष उपाध्यक्ष चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों के समीकरण बिगाड़ कर भाजपा को विपक्ष में बैठा दिया था। हालांकि लोकसभा चुनाव के पहले सिद्धार्थ तथा समर्थकों की भाजपा में वापसी हो गई थी।
पुरानी रजामंदी की वजह से राहुल को टिकट की चर्चा..!
दमोह लोकसभा से भाजपा टिकट के दिग्गज दावेदारों को दरकिनार कर पार्टी हाई कमान द्वारा कांग्रेस से भाजपा में आकर उप चुनाव हार जाने वाले राहुल सिंह को लोकसभा उम्मीदवार बनाकर सभी को चौंका कर रख दिया है। जबकि जानकारों का कहना है कि राहुल का लोकसभा प्रत्याशी बनना उसी दिन तय हो गया था जब दमोह सांसद और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल को नरसिंहपुर तथा पूर्व मंत्री जयंत मलैया को दमोह से विधान सभा का प्रत्याशी बनाया गया था। दरअसल राहुल द्वारा विधानसभा की दावेदारी की जा रही थी लेकिन श्री मलैया के साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने उन्हें यह कहकर मना लिया गया था कि लोकसभा की तैयारी करो और मलैया जी को विधानसभा लड़ने दो। उस समय सभी को पूरा भरोसा था कि श्री मलैया चुनाव जीत कर मंत्री बनेंगे लेकिन उनको मंत्री बनाने वाले मुख्यमंत्री को ही इस बार फिर से मौका नहीं मिल सका।
उपेक्षा से आहत भार्गव समर्थको की चुप्पी क्या गुल खिलायेगी..? मप्र के मुख्यमंत्री बनने की चाह रखने वाले वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव को भी मोहन सरकार में मंत्री नहीं बनाये जाने पर पार्टी नेता यह कहकर तसल्ली देते रहे थे कि उनके बेटे अभिषेक भार्गव को लोकसभा प्रत्याशी बनाया जाएगा। लेकिन राहुल लोधी को पहले से दिया गया आश्वासन और प्रदेश से भाजपा के अकेले लोधी प्रत्याशी होने की वजह से उनकी टिकट बदलने के चांस भी अब नहीं बन रहे। वहीं कुछ नेता यह कहकर भी मजा ले रहे हैं कि मध्य प्रदेश से अकेले लोधी सांसद बनने के बाद राहुल सिंह को केंद्रीय मंत्री मंडल में भी मौका मिलने वाला है। ऐसे में अब देखना होगा कि दमोह से प्रहलाद पटेल के उतराधिकारी बनकर भाजपा की टिकट पाने के मामले में बाजी मारने वाले राहुल सिंह अबकी बार 400 पार के नारे के साथ भाजपा की 5 लाख की जीत के दावे को कहां तक पहुंच पाते हैं.. पिक्चर अभी बाकी है..
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