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ग्वालियर लोकायुक्त की टीम ने 25% कमीशन लेने वाले लोक निर्माण विभाग के ईई को रंगे हाथों पकड़ा.. कलेक्टर बंगला पर हुए विद्युत फिटिंग कार्य का भुगतान करने ठेकेदार से मांगी थी 70 हजार रु की रिश्वत..

लोकायुक्त ने 15000 रु की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा

ग्वालियर। मप्र में विधानसभा चुनाव मतदान संपन्न होने के बाद भले ही नतीजा नहीं आए हो आचार संहिता खत्म नहीं हुई हो लेकिन रिश्वतखोरी कमीशन खोरी का खेल फिर से दोगुनी रफ्तार से शुरू हो गया है ताजा मामला ग्वालियर से सामने आया है जहां लोक निर्माण विभाग ई&एम में पदस्थ कार्यपालन यंत्री पीके गुप्ता को मंगलवार शाम Rs15000 की रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त टीम ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। 

ग्वालियर लोकायुक्त एसपी को एक दिन पहले ही बिजली ठेकेदार महेंद्र सिंह बैस ने लोक निर्माण विभाग के ई एंड एम में पदस्थ कार्यपालन यंत्री पीके गुप्ता द्वारा Rs70000 की रिश्वत मांगे जाने की शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें चार दिन पहले बिजली ठेकेदार महेंद्र सिंह बैस 55000 रुपये की रिश्वत कार्यपालन यंत्री को बतौर कमीशन दे चुका था। 15000 की शेष रकम देने के लिए ठेकेदार को इंजीनियर ने मेला ग्राउंड परिसर में बुलाया था। जहां पहले से ही सादा कपड़ों में खड़ी लोकायुक्त पुलिस ने कार्यपालन यंत्री पीके गुप्ता को 15000 की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया। 

दरअसल ठेकेदार महेंद्र सिंह बैस ने भिंड कलेक्टर के सरकारी आवास में बिजली संबंधी कार्य किया था इसमें करीब पौने तीन लाख रुपए का बिल उन्होंने पीडब्ल्यूडी में लगाया था। लेकिन कार्यपालन यंत्री गुप्ता उसके बिल को पास करने की ऐवज में 25 फ़ीसदी कमीशन मांग रहे थे। उन्होंने इस पूरे मामले में 2 लाख 72 हजार रुपए के बिल की ऐवज में 70000 रुपए की रिश्वत मांगी थी। ठेकेदार महेंद्र सिंह बैस का कहना है कि उन्होंने अपने बेटे की बीमारी का हवाला देकर रिश्वत के पैसों में कुछ कमी करने कहा था। लेकिन कार्यपालन यंत्री 70000 रुपए से कम नहीं कर रहे थे। मजबूरी में उनको लोकायुक्त के पास जाना पड़ा।  लोकायुक्त ने कार्यपालन यंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत मामला दर्ज करके कार्यवाही की गई है।

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