भाजपा का पथरिया में राम के बजाय लखन पर भरोसा
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव की घोणा के पहले ही भाजपा ने 39 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करके कांग्रेस सहित सभी दलों को चौंका कर रख दिया है। यहां तक की घोषित प्रत्याशियों में से भी अनेक को यह उम्मीद नहीं थी कि इतनी जल्दी उन्हें पार्टी टिकट घोषित कर दी जाएगी। प्रत्याशी घोषणा के मामले में बाजी मारने वाली भाजपा का यह प्लस पॉइंट कहा जा सकता है लेकिन भाजपा शासित अन्य राज्यों के मुकाबले पेट्रोल डीजल और गैस की कीमत कम करने की और ध्यान नहीं देना फिलहाल माइनस मार्किंग कहा जा सकता है..
भाजपा के घोषित प्रत्याशियों में दमोह जिले के पथरिया विधानसभा क्षेत्र से पार्टी ने एक बार फिर राम कृष्ण को छोड़ कर लखन पर भरोसा जताया है। तथा इस बार भी इन का मुकाबला बसपा विधायक श्रीमती रामबाई सिंह से ही होने की पूरी संभावना है। पिछले चुनाव में बसपा प्रत्याशी श्रीमती रामबाई सिंह से कुछ हजार वोटो के अंतर से मात खाने वाले लखन पटेल इस बार भी भाजपा की तरफ से सबसे सशक्त और मजबूत दावेदार थे तथा उन्हें पूर्व की तरह इस बार भी पूर्व वित्त मंत्री तथा भाजपा घोषणा पत्र समिति के प्रमुख जयंत मलैया का आशीर्वाद प्राप्त था। दूसरी और वह दमोह सांसद और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल का भी विश्वास प्राप्त करने में सफल रहे।
यही वजह रही कि भाजपा की पहली सूची में ही उनके नाम को लेकर सर्वसम्मति बनते देर नहीं लगी।हालांकि पिछले दिनों भाजपा द्वारा 75 साल से अधिक उम्र के नेताओं को भी टिकट देने की मंशा जताने पर पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसुमरिया की टिकिट को लेकर भी अटकलें लगाई जाने लगी थी। लेकिन लखन पटेल की टिकट घोषणा के साथ इन पर विराम लग गया है।
यही वजह रही कि भाजपा की पहली सूची में ही उनके नाम को लेकर सर्वसम्मति बनते देर नहीं लगी।हालांकि पिछले दिनों भाजपा द्वारा 75 साल से अधिक उम्र के नेताओं को भी टिकट देने की मंशा जताने पर पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसुमरिया की टिकिट को लेकर भी अटकलें लगाई जाने लगी थी। लेकिन लखन पटेल की टिकट घोषणा के साथ इन पर विराम लग गया है।
पिछली बार रामकृष्ण की नाराजगी पड़ी थी भारी..
उल्लेखनीय है कि पिछले चुनाव में श्री कुसमरिया भाजपा से बगावत करके दमोह तथा पथरिया से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े थे। उनकी दोनों जगह से जमानत जप्त हो गई थी लेकिन उनकी नाराजगी के चलते भाजपा के हाथ से यह दोनों परंपरागत सीट निकल गई थी । हालांकि बाबाजी की बगावत की वजह तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल माने गए थे जिन्होंने स्वयं अपना नामांकन वापस ले लिया था लेकिन बाबा जी को नहीं लेने दिया था। इस वार भाजपा द्वारा लखन पटेल को समय के पहले प्रत्याशी घोषित कर दिए जाने से उनको नाराज नेताओं कार्यकर्ताओं को मनाने का पर्याप्त समय मिल गया है वही अब सबकी नजर कांग्रेस की टिकट पर गढ़ी हुई है।
अब कांग्रेस की तरफ से प्रत्याशी होगा कौन..?
कांग्रेस की तरफ से जिला पंचायत अध्यक्ष पति गौरव पटेल और हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए उपाध्यक्ष पति धर्मेंद्र कटारे प्रबल दावेदार हैं वही भाजपा प्रत्याशी कुर्मी समाज से घोषित हो जाने के बाद कांग्रेस की तरफ से लोधी प्रत्याशी के तौर पर राव बृजेंद्र प्रताप सिंह की दावे दारी को भी मजबूती से देखा जा सकता है। पिछली बार कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ने वाले गौरव पटेल अपनी पत्नी को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने के बाद फिर से कांग्रेस टिकट के लिए आशान्वित है। लेकिन पिछली बार के मुकाबले में उनका चौथे नंबर पर रहना इस बार माइनस मार्किंग साबित हो सकता है। इसी तरह हाल ही में कांग्रेस में शामिल मंजू धर्मेंद्र कटारे को टिकट दिए जाने पर कांग्रेस का कुर्मी वोट बैंक भी भाजपा की तरफ खिसकने की आशंका जताई जाने लगी है।
जल्दी सूची जारी करना भाजपा का दूरदर्शी निर्णय
बुंदेलखंड में कहावत है कि दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक कर पीता है और इस बार के चुनाव पूर्व के हालात को ध्यान में रखकर वह कहावत भाजपा पर काफी कुछ सटीक उतरती नजर आ रही है। पिछले विधानसभा चुनाव के पहले ओवर कॉन्फिडेंस में चल रही भाजपा को मामूली अंतर से प्रदेश की सत्ता से बेदखल होना पड़ा था। हालांकि दलबदल व ज्योतिरादित्य सिंधिया की दम से शिवराज वापस मुख्यमंत्री पद पाने में सफल रहे थे। पिछली बार से इस बार खराब हालात को केंद्रीय नेतृत्व ने समय से पहले से भांप लिया था। तभी तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा और टीम के भरोसे इस बार के विधानसभा चुनाव को नहीं छोड़ा गया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री श्री अमित शाह तक के मप्र में अनेक दौरे इस बात का गवाह है।
पेट्रोल गैस के दाम कम नहीं होना माइनस पॉइंट..
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी अधिकारी कर्मचारियों से लेकर सभी वर्गों की बरसों से लंबित मांगों को लेकर संवेदनशीलता दिखाते हुए सभी को कुछ ना कुछ देने में लगे हुए हैं इसके बावजूद प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा मध्य प्रदेश में भाजपा शासित राज्यों के मुकाबले पेट्रोल तथा गैस की कीमत अधिक होने के मामले में सीएम शिवराज का ध्या नहीं जाना आश्चर्य का विषय बना हुआ है।
कांग्रेस को ओवर कॉन्फिडेंस पड़ सकता है भारी..
मध्य प्रदेश में कांग्रेस और कमलनाथ के लिए सरकार और मुख्यमंत्री कांग्रेस का बनने को लेकर ओवरकॉन्फिडेंस भारी पड़ सकता है। आज से 6 महीने पहले जिस तरह से प्रदेश में शिवराज और भाजपा के खिलाफ जो माहौल था उसको एक हद तक कंट्रोल में करने में पार्टी संगठन सफल रहा है। पुराने कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दूर करने समन्वय की नीति भाजपा को फिर से मुकाबले में खड़ा कर रही है। जबकि कांग्रेस के अंदर पनप रहा ओवर कॉन्फिडेंस कहीं सत्ता की मृग मारीजका ना बन जाए। इस और भी ध्यान देने की कांग्रेस के नेताओं को जरूरत है..पिक्चर अभी बाकी है
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