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दमोह जनपद के स्थानांतरित सीईओ पर किसकी मेहरबानी..? तबादला आदेश के 14 दिन बाद भी नही किया गया भार मुक्त.. 15 अगस्त के बाद आने वाली बड़ी राशि के कारण रिलीव नहीं होना बड़ी वजह..! इधर संविदा उपयंत्रीयों के तबादले फिर चर्चाओं में..

 तबादला आदेश के 14 दिन पूरे फिर भी नहीं गए विनोद..

दमोह। विधानसभा चुनाव की पूर्व बेला में मप्र के विभिन्न क्षेत्रों में बरसों से जमे अधिकारियों को निर्वाचन आयोग की मंशा के अनुसार दूसरे जिले में भेजने के लिए नित्य नई तबादला सचिया जारी हो रही है तथा ऐसे मामलों में उच्च अधिकारियों को स्पष्ट दिशा निर्देश है के स्थानांतरित अधिकारी का रिलीवर आए अथवा नहीं उनको तत्काल रिलीव कर दिया जाए। 

 जनपद पंचायत के सीईओ के मामले में तो स्थानांतरित अधिकारी के स्थान पर अन्य के नहीं आने पर वैकल्पिक तौर पर उक्त पदभार संभालने सकने वाले अधिकारियों तक की सूची पहले से स्पष्ट है। इसके बावजूद दमोह जिले में 15 वर्षो से विभिन्न पदों तथा विभिन्न जनपदों में जमें रहने वाले एक चर्चित जनपद सीईओ के उपर सत्तारूढ़ दल के कुछ बड़े नेताओ की कथित कृपा बरसने से जिला कलेक्टर तथा जिला पंचायत के सीईओ भी तबादले के 14 दिन बाद उन्हें दमोह जनपद पंचायत से रिलीज करवाने का साहस नहीं दिखा पा रहे हैं।

हम बात कर रहे हैं दमोह जनपद पंचायत के चर्चित सीईओ विनोद जैन की जिनको 31 जुलाई को जारी तबादला सूची में दमोह से निवाड़ी जिले के पृथ्वीपुर स्थानांतरित किए जाने का स्पष्ट आदेश जारी किया गया था। इसके बावजूद 14 अगस्त की शाम तक वह दमोह जनपद पंचायत कार्यालय में बैठकर लंबित फाइल निपटाते तथा अपने अपनों के लंबित बिलों की भुगतान को आसान बनाने में जुटे बताए जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि लंबित बिलों के भुगतान हेतु 16 अगस्त को बड़ी राशि आने वाली है जिसका भुगतान अपने अपनों को कराने  के बाद ही वह दमोह जनपद सीईओ की कुर्सी छोड़ने की मनसा बनाए हुए हैं।

15 साल से अधिक से दमोह जिले में डटे है विनोद जैन..
दमोह जनपद पंचायत के सीईओ विनोद जैन का दमोह जिले में विभिन्न स्थानों पर पदस्थापना का कार्यकाल 15 साल पूरे कर चुका है। उसके बावजूद दमोह जनपद
 की कमान नही छोड़ पाने की बजह  इनके नजदीकी सजातीय बंधु जो दमोह जनपद पंचायत में वेंडर के रूप में कार्यरत रहते हुए लंबे समय से अधिकांश ग्राम पंचायतों में सामग्री सप्लाई कर रहे है उनके विभिन्न फर्जी बिलों का भुगतान लंबित रहना बताया जा रहा है। जिनमे अनेक बिल बिना रॉयल्टी बिना जीएसटी के होने की बात भी जानकार करते नजर आ रहे है। यहां पर यह भी उल्लेखनीय है कि बिल भुगतान के बदले में सबसे अधिक पांच पर्सेंट कमीशन लेने को लेकर भी यह चर्चाओं में रहे है।

वर्ष 2007 में मनरेगा अधिकारी के रूप में हुई थी पोस्टिंग

जानकारों का कहना है कि वर्ष 2007 में जिला पंचायत के ग्रामीण विकास अभिकरण में मनरेगा अधिकारी के रूप में विनोद जैन की पोस्टिंग हुई थी। शुरुआत से हीअपनी कार्यप्रणाली को लेकर चर्चाओं में रहे विनोद के कार्यकाल का नर्सरी घोटाला लोग अभी भूले नहीं है। ऐसे अनेक मामले उस समय मीडिया की सुर्खियों में रहने के साथ अधिकारियों द्वारा की गई जांच में लीपापोती की भेंट चढ़ गए थे। यदि उन मामलों की परतें फिर से उधेड़ी जाए तो अखबार का आधा पेज भी छोटा पड़ जाएगा। फिलहाल इतना ही जल्द एक और अपडेट के साथ मिलते हैं..

संविदा उपयंत्री तबादला फेरबदल सूची फिर चर्चाओं में

दमोह जिला पंचायत के पूर्व मुख्य कार्यपालन अधिकारी अजय श्रीवास्तव द्वारा प्रभारी मंत्री की बिना मंजूरी और कलेक्टर के कथित अनुमोदन से 7 जुलाई को जारी की गई तेरा संविदा उप यंत्री के की तबादला सूची को 1 महीने से अधिक का समय हो चुका है इसमें दो बार नए जिला पंचायत सीईओ अर्पित वर्मा द्वारा संशोधन किए जाने और फिर और फिर पुरानी आदेश को ही अमल में लाए जाने जैसे हालात बन गए है।

जिससे जिला पंचायत से लेकर मनरेगा तक और मनरेगा से लेकर ग्रामीण यांत्रिकी विकास विभाग के संभागीय कार्यालय में चलने वाले गड़बड़झाला के हालात को उजागर कर के रख दिया है। यदि इन तबादला सूचियां को लेकर की गई अनुशंसा तथा नोट शीट की बात की किया जाए तो उसे जानकर कलेक्टर से लेकर प्रभारी मंत्री को हैरत में पढ़ते देर नहीं लगेगी। पिक्चर अभी बाकी है

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