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हिंदू बेटियों के हिजाब मामले को लेकर देश प्रदेश में चर्चाओं में आए.. दमोह के गंगा जमुना इंग्लिश मीडियम स्कूल की मान्यता को.. संयुक्त संचालक लोक शिक्षण सागर ने निरस्त किया.. अभी कलेक्टर द्वारा गठित 5 सदस्य कमेटी की रिपोर्ट बाकी..

 गंगा जमुना विद्यालय की मान्यता को निरस्त किया गया

सागर/दमोह। 2 दिन पहले हिंदू छात्राओं को हिजाब वाले फोटो के साथ पोस्टर में प्रदर्शित करने के मामले में चर्चाओं में आए दमोह के इंग्लिश मीडियम गंगा जमुना हायर सेकेंडरी स्कूल की मान्यता को आखिरकार निरस्त कर दिया गया है। लोक शिक्षण संयुक्त  संचालक सागर द्वारा 2 जून की शाम जारी किए गए आदेश में तत्काल प्रभाव से गंगा जमुना एक स्कूल की मान्यता को निलंबित किए जाने का उल्लेख किया गया है। लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने ट्वीट में विद्यालय की मान्यता को निरस्त करना लिखा है

 मध्यप्रदेश माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शालाओं की मान्यता नियम 2017 के नियम-11(1) के तहत अशासकीय शिक्षण संस्था-गंगा जमुना उच्चतर माध्यमिक विद्यालय दमोह (डाइस कोड-23120318304) की मान्यता, नियम 5 और 9 के अधीन विहित मानको, शर्तो और उत्तरदायित्वों तथा समय-समय पर जारी निर्देशों का प्रथम दृष्टया पालन नहीं किए जाने के फलस्वरूप लोक शिक्षण सागर संभाग सागर के संयुक्त संचालक ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह आदेश तत्काल प्रभावशील होगा।


 अपने कार्यालयीन पत्र के माध्यम से जिले में संचालित अशासकीय शिक्षण संस्था गंगा जमुना उच्चतर माध्यमिक विद्यालय दमोह के किए गए निरीक्षण में मध्यप्रदेश माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शालाओं की मान्यता नियम 2017 एवं मान्यता संशोधन नियम 2020 में वर्णित निर्धारित मापदण्ड का विद्यालय में पालन नहीं करना प्रतिवेदित किया गया है।

बाल संरक्षण आयोग की टीम ने भी किया था निरीक्षण

उल्लेखनीय है कि आज ही मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग की टीम ने सदस्य ओमकार सिंह एवं मेघा पवार के साथ गंगा जमुना स्कूल पहुंचकर दस्तावेजों की जांच की थी। सभी छात्राओं की तस्वीरें हिजाब में पाई गई थी वही इंग्लिश मीडियम स्कूल में उर्दू साहित्य भी मिला था जांच के बाद सदस्य ओमकार सिंह का कहना था कि भले ही संस्थान द्वारा हिजाब हिजाब पहनने को स्वेच्छा से कर दिया गया हो लेकिन इससे इनके अपराध में कमी नहीं होती।

हिजाब की स्वेच्छा की रणनीति नहीं आई काम..

उल्लेखनीय है कि आज ही गंगा जमुना स्कूल प्रबंधन द्वारा पत्रकार वार्ता बुलाकर मीडिया को यह जानकारी दी गई थी की यहां पर हिजाब पहनना अब छात्राओं की सुरक्षा के अनुसार रहेगा वह इसी मामले को लेकर एसपी ने तत्काल प्रेस कॉन्फस बुलाई थी। जिसमें कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने भी स्कूल प्रबंधन द्वारा दिए गए निर्णय की जानकारी दी थी इसके बाद मध्य प्रदेश बाल आयोग की टीम द्वारा की गई जांच में हिजाब की अनिवार्यता पाए जाने जैसे हालात स्पष्ट होने पर सागर के लोक शिक्षण संचालक को स्कूल की मान्यता निरस्त करने में देर नहीं लगी।

जिला शिक्षा अधिकारी की कार्रवाई पर उठते रहे थे सवाल

उल्लेखनीय है कि इस मामले में सबसे पहले 30 मई को प्रशासन ने मामला संज्ञान में लेकर जिला शिक्षा अधिकारी और कोतवाली टीआई को जांच के निर्देश दिए थे लेकिन उन्होंने अपनी जांच में गंगा जमुना स्कूल प्रबंधन को क्लीन चिट दे दी थी जिसके बाद मामला तूल पकड़ा था और विद्यार्थी परिषद की टीम तो शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में कालिख पोतने तक के लिए पहुंच गए थे। 

यदि प्रशासन इस मामले को पहले गंभीरता से ले लेता तो शायद यह इतना तूल नहीं पकड़ता और मुख्यमंत्री से लेकर केंद्र मंत्री तक को जांच कार्रवाई के निर्देश नहीं देने पड़ते। वही स्कूल प्रबंधन को अनेक महत्वपूर्ण साक्ष्य मिटाने का अवसर नहीं मिलता। वही शिकायत यहां तक सामने आ रही है कि स्कूल के रिजल्ट को बेहतर बनाने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी से मिलीभगत करके बोर्ड परीक्षा का सेंटर मनपसंद लिया गया था। शायद यही वजह है कि हिंदू संगठनों द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी के निलंबन की मांग भी की जा रही है।

 कुल मिलाकर देर आए दुरुस्त आए की तर्ज पर प्रशासन में इस गंभीर मामले को संज्ञान में लेकर जो कार्यवाही की है उससे स्कूल की मान्यता भले ही निरस्त कर दी गई हो लेकिन अभी विभिन्न संगठनों द्वारा दिए गए ज्ञापन ओं के लिए गठित की गई 5 सदस्य वाली कमेटी की रिपोर्ट आना बाकी है जिसको लेकर आगे क्या कार्रवाई होती है इसका फिलहाल सभी को इंतजार है। पिक्चर अभी बाकी है


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