कलेक्टर द्वारा गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट में देरी क्यों ?
दमोह के गंगा जमुना इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ने वाली हिंदू छात्राओं को हिजाब पहनने को मजबूर किए जाने के तूल पकड़ने के बाद कलेक्टर द्वारा विस्तृत जांच हेतु गठित की गई 5 सदस्य कमेटी 5 दिन बाद भी अपनी रिपोर्ट प्रशासन को नहीं दे सकी है इधर राज्य बाल आयोग की टीम के द्वारा की गई जांच के बाद स्कूल की प्रिंसिपल से लेकर दो शिक्षिकाओं के धर्मांतरण का मामला गरमाया हुआ है वही एक डरी सहमी हिंदू छात्रा के बयान से स्कूल में बच्चो को नमाज पढ़ने के लिए मजबूर करने का चौकाने वाला खुलासा हुआ है।
दमोह के फुटेरा वार्ड में वर्ष 2012 से संचालित गंगा जमुना हायर सेकेंडरी स्कूल में हिंदू छात्राओं को हिजाब पहनने को मजबूर किए जाने के मामले का पर्दाफाश 30 मई को उस समय हुआ था जब एमपी बोर्ड के टॉपर स्टूडेंट मैं शामिल 18 छात्र छत्राओं के फ्लेक्स में स्कूल प्रबंधन द्वारा हिंदू छात्राओं को भी हिजाब में दिखाया गया था।
कलेक्टर मयंक अग्रवाल द्वारा इस मामले को सोशल मीडिया के जरिए उसी दिन संज्ञान में लेकर जिला शिक्षा अधिकारी और कोतवाली टीआई को जांच के निर्देश दिए गए थे। लेकिन इनके द्वारा छात्राओं के अभिभावकों को कोई आपत्ति नहीं होने का हवाला देकर कुछ ही घंटों में स्कूल प्रबंधन को क्लीन चिट दे दी गई थी। जिसके बाद इस मामले के गर्माते देर नहीं लगी थी। यदि प्रशासन ने उपरोक्त रिपोर्ट को ट्वीट करके वायरल करने में जल्दबाजी नहीं की होती तो शायद यह मामला इतना ज्यादा तूल भी नहीं पकड़ता।
इसके बाद 31 मई को विभिन्न हिंदू संगठनों द्वारा प्रदर्शन करके ज्ञापन दिए जाने और प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के संज्ञान में हिंदू छात्राओं को हिजाब पहनाने का मामला सामने आने पर कलेक्टर द्वारा गहन जांच के निर्देश दिए गए थे। तहसीलदार की अध्यक्षता में गठित की गई तीन सदस्य वाली कमेटी तहसीलदार नगर पालिका सीएमओ और डीपीसी को शामिल करके जांच के निर्देश दिए थे। इधर राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने भी मामले को संज्ञान में लेकर ट्वीट करने में देर नहीं की थी।
1 जून को विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, विद्यार्थी परिषद, भारतीय शक्ति चेतना पार्टी सहित अन्य संगठनों द्वारा इस मामले को लेकर प्रदर्शन ज्ञापन का दौर जारी था। जिला शिक्षा अधिकारी की संदिग्ध भूमिका को लेकर विद्यार्थी परिषद की टीम तो उनके कार्यालय में कालिख लेकर पहुंच गई थी। इधर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल द्वारा भी स्कूल प्रबंधक पर कड़ी कार्यवाही का बयान दिए जाने जाने पर कलेक्टर ने जांच समिति में दो और सदस्य डिप्टी कलेक्टर तथा सीएसपी के रूप में बढ़ा दिए गए थे।
मामला बढ़ता देख कर 2 जून को स्कूल प्रबंधन ने आनन-फानन में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर हिजाब की अनिवार्यता को खत्म करने का ऐलान कर दिया था। वही एसपी राकेश कुमार सिंह ने भी आनन-फानन में अपने कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर तथा कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने भी इसमें शामिल होकर स्कूल प्रबंधन के निर्णय की जानकारी मीडिया को देने में देर नहीं की थी। वहीं जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद आगे कार्रवाई की बात कही गई थी।
लेकिन 2 जून की दोपहर राज्य बाल संरक्षण आयोग की टीम के जांच हेतु गंगा जमुना स्कूल पहुंचने के बाद स्कूल में छात्राओं को हिजाब पहनने के लिए मजबूर किये जाने तथा इस्लामिक शिक्षा दिए जाने की बात साफ हो गई थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा भी गंगा जमुना हिजाब मामले में सूक्ष्मता से जांच के निर्देश देने पर शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक सागर ने अन्य मामलों को लेकर 2 जून की शाम गंगा जमुना स्कूल की मान्यता निलंबित करने का आदेश जारी करके मामले को ठंडा करने की कोशिश की थी।
लेकिन हिन्दू संगठनों के पास जब इस आदेश की कॉपी पहुंची और उसमें हिजाब मामले की बजाए अन्य वजह से मान्यता निलंबन की स्थिति साफ हुई तो उनका गुस्सा बरकरार रहा। लेकिन शनिवार रविवार होने तथा प्रशासन की 5 सदस्य कमेटी की जांच रिपोर्ट पेंडिंग होने की वजह से सभी को सोमवार का इंतजार था। इधर सोमवार सुबह के दैनिक भास्कर में राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्यों के हवाले से गंगा जमुना स्कूल की प्रिंसिपल तथा 2 टीचरों की धर्मांतरण की खबर सामने आई तो लोगों के होश उड़ गए।
उसके बावजूद प्रशासन द्वारा गठित जांच कमेटी ने क्या कुछ किया इसका लोगों को दिन भर इंतजार बना रहा लेकिन शाम तक इस बारे में कोई भी साफ नहीं हो सकी अलबत्ता सोमवार रात IBC24 द्वारा गंगा जमुना स्कूल की एक हिन्दू छात्रा के नमाज कराने के बयान की खबर से सनसनी के हालात बने रहे। लेकिन इस मामले में ही प्रशासन का कोई अधिकृत बयान सामने नहीं आया। वही देर रात तक प्रशासन द्वारा गठित 5 सदस्य कमेटी की रिपोर्ट सामने नहीं आ सकी थी। जिसके बाद एक बार पुनः चर्चाओं का बाजार गर्म होते देर नहीं लगी।
गंगा जमुना स्कूल को लेकर एक के बाद एक हो रहे खुला से तथा जांच कमेटी की रिपोर्ट में देरी के चलते मंगलवार को यदि एक बार फिर विभिन्न संगठन सड़क पर उतर कर प्रदर्शन करते नजर आए तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा। पिक्चर अभी बाकी है
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