युवक की हत्या करने वाले बदमाशों का नहीं लगा सुराग..
बुंदेलखंड क्षेत्र में सत्तर के दशक में दस्यु प्रभावित अनेक क्षेत्र रहे है। जिनमें दमोह जिले के छतरपुर लगने वाले सीमावर्ती बटियागढ़ रजपुरा मडियादो थाना क्षेत्र के भी अनेक गांव व जंगली क्षेत्र शामिल थे। दस्यु समस्या के समाधान के साथ वन क्षेत्र में कच्ची पक्की सड़कें बनने, आवागमन के साधन बढ़ने, वन भूमि पर कब्जा करके खेती व रहवास होने लगने, शिकार, जंगल कटाई आदि होने लगने से लोगों का जंगल में दखल और घुसपैठ लगातार जारी है। ऐसे में लकड़ हारो और चरवाहों को जंगल में जाने से रोकने के लिए यदि दहशत का माहौल बनाया जाए तो उसके पीछे वहीं गंभीर साजिश या फिर वजह होना लाजमी है।
दमोह जिले के बटियागढ़ थाना अंतर्गत छतरपुर जिले की सीमा से लगे वन क्षेत्र में पिछले एक पखवाड़े से कुछ असामाजिक अराजक तत्वों की मौजूदगी की खबर तहसील मुख्यालय तक लगातार पहुंच रही थी। वही जंगल में जाने चरवाहा लकड़हारा वर्ग के लोगों को धमकाने दोबारा नजर नहीं आने जैसे चेतावनी दिए जाने की जानकारी भी सामने आ रही थी। इस बीच शनिवार को जंगल में गए एक युवक की सोमवार को लाश मिलने और उसकी मौत की वजह गोली मारकर हत्या कर दिया जाना सामने आने से आसपास के लोगों में दहशत का माहौल बढ़ गया है।
हत्या की वारदात के बाद बटियागढ़ थाना पुलिस से लेकर एफएसएल टीम और दमोह जिले के पुलिस कप्तान राकेश कुमार सिंह भी घटनास्थल पर पहुंच कर जायजा ले चुके है। दरअसल पढ़ाई के जंगल में छतरपुर मार्ग पर एक युवक का शव पड़े मिलने की खबर से सोमवार को आसपास के क्षेत्र में सनसनी फेलते देर नहीं लगी थी। पुलिस के साथ ग्रामीणों के पहुंचने पर मृतक की पहचान सुरेंद्र सिंह पिता मुकुंद सिंह 35 वर्ष निवासी आगरा की टपरिया थाना बटियागढ़ के रूप में हुई थी। शनिवार से वह अपने घर से लापता था जिसकी गुमशुदगी की शिकायत रविवार को बटियागढ़ थाने में दर्ज कराई गई थी। सोमवार को पुलिस इसकी में जुटती इसके पहले ही इसकी लाश मिलने की खबर आ गई।
घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने जब पंचनामा कार्यवाही शुरू की तो यह स्पष्ट होते देर नहीं लगी कि सुरेंद्र की गोली मारकर हत्या की गई है। जिसकी जानकारी तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को दिए जाने के बाद एसपी राकेश कुमार सिंह भी घटनास्थल पर पहुंचे। जहां उन्होंने पूरे हलात का जायजा लिया और आरोपियों को पता लगाकर कार्रवाई के निर्देश दिए। शव का पोस्टमार्टम करा कर परिजनों के सुपुर्द किया गया। इस दौरान परिजनों द्वारा किसी से भी उनकी दुश्मनी या पुरानी बुराई नहीं होने की बात कही जाती रही। ऐसे में सवाल यही उठता रहा कि आखिर सुरेंद्र को गोली किसने मारी ? क्यों मारी..?
इधर पिछले 15 दिनों से क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गर्म था की जंगल में बाहरी लोग मारपीट कर रहे हैं। मगर इस ओर पुलिस प्रशासन का न ध्यान गया और न किसी अधिकारी ने कोई संज्ञान लिया। अब जबकि गोली मारकर हत्या का यह मामला सामने आ गया है तो लोग इस को जंगल में सक्रिय अज्ञात तत्वों से जोड़कर देख रहे हैं। लोगों का यहां तक कहना है कि छतरपुर क्षेत्र के कुछ फरार बदमाशों की टोली जंगल में छिपी हुई है। लोग उन तक ना पहुंचे और उनकी उपस्थिति की सूचना भी पुलिस तक ना पहुंचे इस को लेकर ही उनके द्वारा जंगल में पहुंचने वाले चरवाहों लकड़हारो को डराया धमकाया रहा है। अब जबकि यह घटनाक्रम सामने आ गया है ऐसे में पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती अज्ञात बदमाशों को पता लगाकर उनकी गिरफ्तारी बनी हुई है..
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