जागेश्वर नाथ मंदिर के इतिहास पर बनने जा रही फिल्म की शूटिग मे मुंबई से आया फिल्म कैमरा
दमोह
के इतिहास में पहली बार दमोह की धरती पर फिल्म कैमरा चला जागेश्वर नाथ पर
बनने जा रही फिल्म की शुरुआत जटाशंकर धाम से हुई जटाशंकर धाम में सुबह 7:30
पर पहले क्लेप शाट के साथ फिल्म की शूटिंग की शुरुआत हुई चूकि बांदकपुर
धाम में यह भी दिखाया जाना है कि दमोह से मंदिर कितनी दूरी पर है और दमोह
होते हुए किस किस रास्ते से बांदकपुर जा सकते हैं उसी को देखते हुए इसकी
शूटिंग दमोह के ही विभिन्न अलग-अलग चौराहों पर की जा रही है इसके साथ ही
बांदकपुर में भी शूटिंग की जाएगी.स्वयंभू श्री जागेश्वर नाथ के नाम से बन
रही इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म का निर्माण और निर्देशन ओम शिव शक्ति फिल्म
इंटरनेशनल के बैनर तले किया जा रहा है
जिसमें बतौर प्रोडक्शन कंट्रोलर मनोज
गुप्ता सहायक निर्देशक के तौर पर देवेश चौबे मोहित ठक्कर गौरव रोहिताश और
संजय रजक और दिनेश विश्वकर्मा कैमरा सहायक के तौर पर काम कर रहे हैं दमोह
में निर्देशक हरीश पटेल की सभी फिल्में हमेशा समाज को मैसेज देते हुए बनाई
गई है हाल ही में उनकी डॉक्यूमेंट्री फिल्म ये गांव मेरा ने महाराष्ट्र
जैसे राज्य में आयोजित देवगिरी फिल्म फेस्टिवल में सर्वोत्कृष्ट प्रथम
पुरस्कार प्राप्त किया था हरीश पटेल ने बताया कि बांदकपुर धाम बुंदेलखंड के
दमोह के सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर के साथ-साथ सभी की आस्था का
केंद्र है इनके इतिहास पर आज तक कोई ऐसी फिल्म नहीं बनी जिससे लोगों को
इनके बारे में संपूर्ण जानकारी मिल सके हम तथ्यों को खंगाल कर और काफी
लोगों से मिलकर इस फिल्म के विषय पर कहानी बनाकर इसको डॉक्यूमेंट्री में
पिरोकर दर्शकों के सामने प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहे हैं ये पूछने पर कि
इस फिल्म को बनाने के लिए फिल्म कैमरे की आवश्यकता क्यों महसूस हुई तो
उन्होंने बताया कि मैं स्वयं कई वर्षों से फिल्म इंडस्ट्रीज में इन्हीं
फिल्म कैमरे पर काम कर रहा हूं और जब हमारे दमोह के राजा जागेश्वर नाथ के
ऊपर फिल्म बनाने की बात आई तो जब उन्होंने मुझे इस काबिल बनाया है कि मैं
इन्हीं कैमरों से मुबंई मे काम करके देश-विदेश में अपने दमोह का नाम रोशन
कर रहा हूं तो फिर हमारे बाबा जागेश्वर नाथ के ऊपर उसी कैमरे से फिल्म
क्यों ना बनाई जाए और ये पहली बार होगा कि दमोह में और बांदकपुर धाम में
फिल्म कैमरा से शूटिग होगी..
आज तक के इतिहास में दमोह में किसी भी फिल्म को
लेकर फिल्म कैमरा नहीं आया है दमोह के आसपास के दूरदराज के क्षेत्रों में
जरूर फिल्म कैमरा से शूटिग हो चुकी हैं हाल ही की उनकी डॉक्यूमेंट्री फिल्म
ये गांव मेरा आजकल फिल्म फेस्टिवलो में धूम मचा रही है अपनी सफलता से
उत्साहित हरीश पटेल कहते हैं जब किसी भी काम को लगन संयम और निस्वार्थ भाव
से किया जाता है तो वह अवश्य सफलता प्राप्त करती है हम यही चाहते हैं कि इस
डॉक्यूमेंट्री फिल्म के माध्यम से श्री जागेश्वर नाथ की ख्याति देश दुनिया
तक पहुंचे और लोग उनके बारे में जान सकें हरीश पटेल कहते हैं कि उनकी
प्रेरणा से इस फिल्म पर काम कर रहा हूं ये मेरा सौभाग्य है कि श्री
जागेश्वर नाथ ने मुझे इस कार्य के लिए चुना और उनके ऊपर फिल्म बनाने का
अवसर प्राप्त हुआ हरीश ने बताया कि फिल्म के लिए इन्होंने मंदिर कमेटी से
परमिशन लेकर उनसे मिलकर और मंदिर के प्रामाणिक तथ्यों पर पर जानकारी
प्राप्त करके फिर इस पर निर्माण कार्य शुरू किया है हम इस फिल्म को जल्दी ही पूर्ण करके सबके समक्ष लाएंगे..
महाशिवरात्रि पर संगीतमय भजन संध्या के साथ जिले भर से आने वाली बरातों का स्वागत सम्मान
दमोह।
श्री जागेश्वर नाथ महादेव की नगरी बांदकपुर धाम में महाशिवरात्रि के
महापर्व पर लाखों श्रद्धालुओं भक्तों की उपस्थिति रही। महाशिवरात्रि के 1
दिन पहले से ही जहां मां नर्मदा का जल लेकर हजारों कावड़ यात्री बांदकपुर
धाम पहुंचे। जिसमें चिलोध, माला बमोरी, रोन,बनवार क्षेत्र से लगभग 2 से
3000 कावड़ यात्रियों का जत्था बम बम भोले की गूंज के साथ ग्वारीघाट जबलपुर
से बांदकपुर धाम पहुंचा।बरमान घाट से भी हजारों कावड़िया भक्त बांदकपुर
धाम पहुंचे।कावड़ियो के स्वागत सम्मान में दमोह से लेकर जगह जगह सभी समन्ना
आदि प्रमुख मार्गो पर अनेकभक्तों द्वारा भोग भंडारे चलाए गए। महाशिवरात्रि
महामहोत्सव पर बांदकपुर मंदिर का दृश्य देखने लायक था सुबह से ही
लंबी-लंबी कतारें भोलेनाथ के दर्शन के लिए बम बम भोले के नारे के साथ लग गई
। जहां सुबह 4 बजे भोले बाबा की भव्य आरती के साथ सभी भक्तों को दर्शन
प्रारंभ हुए।
अनेक श्रद्धालुओं भक्तों ने भी
अपनी अपनी ओर से जगह जगह भोग भंडारे यात्रियों श्रद्धालुओं के लिए चलाए हुए
थे जिसमें दमोह अनेक भक्तों द्वारा जगह जगह भंडारे चलाए गए ,मुड़ा समाज
द्वारा भंडारा,राधे फ्लैक्स पटेल जी द्वारा भंडारा,संजय यादव द्वारा
भंडारा, कैलाश सैलार द्वारा भंडारा और बांदकपुर के स्थानीय जनों द्वारा श्री
पप्पू विश्वकर्मा,शुभम पांडे,गोलक प्रजापति व अनेक भक्तों द्वारा जगह जगह
भंडारे चलाए गए।भोले बाबा की नगरी में लाखों भक्तों श्रद्धालुओं की
उपस्थिति से अद्भुत दृश्य बांदकपुर धाम में दिखाई दे रहा था वही शाम होती
ही रोशनी लाइट सजावट से बांदकपुर धाम का सुंदर दृश्यअद्भुत दिखाई दे रहा
था ।रात्रि को मंदिर के पास प्रतिवर्ष की तरह मंदिर बाजार चौक पर संगीतमय
भजन संध्या का भव्य आयोजन शिवभक्तों की ओर से रखा गया था ।जिसमें अनेक
कलाकारों ने सुंदर धार्मिक गीत प्रस्तुत कर आने वाले श्रद्धालुओं को
मंत्रमुग्ध कर दिया। साथ ही दमोह जिले के कोने कोने से अनेक बारातें भी
सुंदर सुंदर झांकियों के साथ बांदकपुर धाम पहुंची जिनमें दमोह से तीन
गुल्ली की भव्य बारात, पुराना थाने की प्रसिद्ध बारात, साथ ही बांदकपुर के
पास केवलारी ग्राम से आने वाली बारात, गुंजी ग्राम से आने वाली बारात,
कुडई देवडोंगरा से आने वाली बारात, बम्होरी माला से आने वाली बारात के साथ
बांदकपुर धाम से भी बारात भोलेनाथ के द्वार पर पहुंची जहां मंच के माध्यम
से शिवभक्तों ने बारातियों का फूल बरसा कर माला श्रीफल भोलेनाथ की फोटो के
साथ यथासंभव स्वागत सम्मान किया
मंच पर उपस्थित अनेक अनेक भक्तों ने अपनी
अपनी ओर से बांदकपुर धाम के विकास की बात प्रमुखता से रखी जिसमें अनेक
भक्तों ने कहा कि मंदिर मुख्य द्वार का अतिक्रमण की शीघ्र हटना चाहिए
क्योंकि मंदिर के आसपास पर्याप्त जगह न होने के कारण यात्रियों को खड़े
होने बैठने की भी पर्याप्त जगह नहीं है और बांदकपुर भोलेनाथ का मंदिर भी
वर्षों से ढका हुआ है अतिक्रमण हटने के बाद पूरा मंदिर भव्य रुप से दिखाई
देगा साथ ही मंदिर के आसपास व्यवस्थित सुविधाएं आदि भी संभव हो सकेगी इसलिए
शीघ्र ही राजनेताओं को वर्तमान सांसद विधायक,सरकार और जिला प्रशासन को
प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ भोलेनाथ की मंदिर से शीघ्र अतिक्रमण हटाकर भव्य
कॉरिडोर का निर्माण करना चाहिए । जैसे श्री अयोध्या धाम का विकास हो रहा है
, वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण हुआ है, मध्यप्रदेश
में बाबा महाकाल की नगरी मैं महाकाल लोक का भव्य कोरिडोर बना है वैसे ही
श्री जागेश्वरनाथ धाम बांदकपुर में भी भव्य कॉरिडोर का निर्माण होना चाहिए..
सभी भोले भक्तों की यही मांग है इस प्रकार से अनेक अनेक भक्तों पत्रकारों
ने अपनी बात शासन राजनेताओं तक पहुंचाने का प्रयास किया है और भोलेनाथ से
भी प्रार्थना की है कि अगली महाशिवरात्रि के पहले यह भव्य कार्य निश्चित
रूप से संपन्न होगा। जिला प्रशासन ने भी पूरे मेला आयोजन को सफल बनाने में
पूरा सहयोग किया,साथ ही दमोह जिले के सभी प्रिंट मीडिया,इलेक्ट्रॉनिक
मीडिया के पत्रकार बंधुओं ने भी बांदकपुर धाम के महामहोत्सव को प्रमुखता से
दिखाया।कार्यक्रम में मनीष राजौरिया,पुरषोत्तम चौबे,तुलसीराम तिवारी, अशोक
पाठक, राम गुड्डा रैकवार, विक्रम सोनी, शंभू विश्वकर्मा, विनय असाटी, संदीप
पाठक, सीताराम यादव,ओम प्रकाश शर्मा, लखन ठाकुर सहित अनेक अनेक भक्तों की
उपस्थिति रही।राम गौतम शंकर ने सभी का आभार जताकर बांदकपुर धाम के लिए
विकास व्यवस्था हेतु एक एक भक्त से प्रयास करने की लिए प्रार्थना आव्हान
किया।
सोमवती अमावस्या आज जागेश्वर नाथ महादेव का होगा विशेष रूद्राभिषेक पूजन
दमोह। आज 20 फरवरी को सोमवती अमावस्या विशेष योग बन रहा है देव श्री जागेश्वर नाथ जी मंदिर ट्रस्ट कमेटी के प्रवक्ता आचार्य पंडित रवि शास्त्री महाराज ने बताया कि आज सोमवती अमावस्या के विशेष अवसर पर जागेश्वर नाथ जी का विशेष रूद्राभिषेक पूजन कराया जाएगा मंदिर ट्रस्ट के द्वारा देव दर्शनार्थ आने बाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवथाए कराई गईं है. सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। ये वर्ष में लगभग एक अथवा दो ही बार पड़ती है। इस अमावस्या का विशेष महत्त्व होता है। विवाहित स्त्रियों द्वारा इस दिन अपने पतियों के दीर्घायु कामना के लिए व्रत का विधान है। इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्र गोदान का फल मिलता है। शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत की भी संज्ञा दी गयी है। अश्वत्थ यानि पीपल वृक्ष।इस दिन विवाहित स्त्रियों द्वारा पीपल के वृक्ष की दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन इत्यादि से पूजा और वृक्ष के चारों ओर १०८ बार धागा लपेट कर परिक्रमा करने का विधान होता है और कुछ अन्य परम्पराओं में भँवरी देने का भी विधान होता है। धान, पान और खड़ी हल्दी को मिला कर उसे विधान पूर्वक तुलसी के पेड़ को चढाया जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व समझा जाता है। कहा जाता है कि महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त होगा। ऐसा भी माना जाता है कि स्नान करने से पितरों कि आत्माओं को शांति मिलती है पीपल के पेड़ में सभी देवों का वास होता है अतः, सोमवती अमावस्या के दिन से शुरू करके जो व्यक्ति हर अमावस्या के दिन परिक्रमा करना देता है, उसके सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। जो हर अमावस्या को न कर सके, वह सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या के दिन १०८ वस्तुओं कि भँवरी देकर सोना और गौरी-गणेश कि पूजा करता है, उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पीपल के पेड़ में सभी देवताओं का वास होता है अतः पीपल के वृक्ष पर शनिवार को प्रातः काल एक लोटा जल में काले तिल, फूल डालकर चढ़ाने एवं सायंकाल के समय सरसों के तेल का दीपक जलाने, शिव चालीसा, हनुमान चलीसा, शनि चालीसा का पाठ करने से मनुष्य के सुख और समृद्धि के सभी बन्द द्वार धीरे-धीरे स्वयं ही खुलने लगते हैं ऐसी परम्परा है कि पहली सोमवती अमावस्या के दिन धान, पान, हल्दी, सिन्दूर और सुपाड़ी की भँवरी दी जाती है उसके बाद की सोमवती अमावस्या को अपने सामर्थ्य के हिसाब से फल, मिठाई, सुहाग सामग्री, खाने कि सामग्री इत्यादि की भँवरी दी जाती है। भँवरी पर चढाया गया सामान किसी सुपात्र ब्रह्मण, को दिया जाता है।
दमोह। आज 20 फरवरी को सोमवती अमावस्या विशेष योग बन रहा है देव श्री जागेश्वर नाथ जी मंदिर ट्रस्ट कमेटी के प्रवक्ता आचार्य पंडित रवि शास्त्री महाराज ने बताया कि आज सोमवती अमावस्या के विशेष अवसर पर जागेश्वर नाथ जी का विशेष रूद्राभिषेक पूजन कराया जाएगा मंदिर ट्रस्ट के द्वारा देव दर्शनार्थ आने बाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवथाए कराई गईं है. सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। ये वर्ष में लगभग एक अथवा दो ही बार पड़ती है। इस अमावस्या का विशेष महत्त्व होता है। विवाहित स्त्रियों द्वारा इस दिन अपने पतियों के दीर्घायु कामना के लिए व्रत का विधान है। इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्र गोदान का फल मिलता है। शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत की भी संज्ञा दी गयी है। अश्वत्थ यानि पीपल वृक्ष।इस दिन विवाहित स्त्रियों द्वारा पीपल के वृक्ष की दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन इत्यादि से पूजा और वृक्ष के चारों ओर १०८ बार धागा लपेट कर परिक्रमा करने का विधान होता है और कुछ अन्य परम्पराओं में भँवरी देने का भी विधान होता है। धान, पान और खड़ी हल्दी को मिला कर उसे विधान पूर्वक तुलसी के पेड़ को चढाया जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व समझा जाता है। कहा जाता है कि महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त होगा। ऐसा भी माना जाता है कि स्नान करने से पितरों कि आत्माओं को शांति मिलती है पीपल के पेड़ में सभी देवों का वास होता है अतः, सोमवती अमावस्या के दिन से शुरू करके जो व्यक्ति हर अमावस्या के दिन परिक्रमा करना देता है, उसके सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। जो हर अमावस्या को न कर सके, वह सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या के दिन १०८ वस्तुओं कि भँवरी देकर सोना और गौरी-गणेश कि पूजा करता है, उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पीपल के पेड़ में सभी देवताओं का वास होता है अतः पीपल के वृक्ष पर शनिवार को प्रातः काल एक लोटा जल में काले तिल, फूल डालकर चढ़ाने एवं सायंकाल के समय सरसों के तेल का दीपक जलाने, शिव चालीसा, हनुमान चलीसा, शनि चालीसा का पाठ करने से मनुष्य के सुख और समृद्धि के सभी बन्द द्वार धीरे-धीरे स्वयं ही खुलने लगते हैं ऐसी परम्परा है कि पहली सोमवती अमावस्या के दिन धान, पान, हल्दी, सिन्दूर और सुपाड़ी की भँवरी दी जाती है उसके बाद की सोमवती अमावस्या को अपने सामर्थ्य के हिसाब से फल, मिठाई, सुहाग सामग्री, खाने कि सामग्री इत्यादि की भँवरी दी जाती है। भँवरी पर चढाया गया सामान किसी सुपात्र ब्रह्मण, को दिया जाता है।
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