ग्वालियर आडिट टीम के तीन सदस्यों को केंद्रीय विद्यालय के प्राचार्य से रिश्वत मामले में चार चार की सज़ा के साथ 14-14 हजार का जुर्माना
दमोह। न्यायालय
विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, श्रीमती डॉ आरती शुक्ला
पाण्डेय की अदालत ने तत्कालीन आरोपी गणों को सीनियर अकाउंटेंट ऑफिसर जीएस
यादव, तत्कालीन सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी एजीएमपी ग्वालियर एल के
श्रीवास्तव व तत्कालीन सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी एजीएमपी ग्वालियर अशोक
पाल को दोष सिद्ध पाते हुए 4-4 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 14000 -14000
रुपये. जुर्माना से दण्डित किया है। अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक अनंत सिंह ठाकुर द्वारा की गई।
अभियोजन
के अनुसार 5 मई 2016 को आवेदक अनूप अवस्थी प्राचार्य, केन्द्रीय विद्यालय
दमोह ने लोकायुक्त कार्यालय में उपस्थित होकर पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त को
एक टाइपशुदा आवेदन विरुद्ध जी. एस. यादव (सीनियर ऑडीटर, ए.जी. ऑडिट शाखा
ग्वालियर) एवं उनके सहयोगी एल. के श्रीवास्तव (सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी
ए.जी.एम.पी. ग्वालियर) एवं अशोक पाल (सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी
ए.जी.एम.पी. ग्वालियर) के द्वारा रिश्वत मांगने संबंधी आवेदन प्रस्तुत किया
था। उक्त आवेदन में प्रार्थी द्वारा लेख किया गया कि, वह केन्द्रीय
विद्यालय दमोह में प्राचार्य के पद पर कार्यरत है. विद्यालय में महानिदेशक
लेखा परीक्षा (केन्द्रीय प्राप्ति) नयी दिल्ली के कार्यालय शाखा ग्वालियर
से तीन सदस्यीय ऑडिट टीम जिसमें मुखिया जी. एस. यादव सीनियर एकांउट ऑफिसर
तथा उनके सहयोगी एल.के. श्रीवास्तव (सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी
ए.जी.एम.पी. ग्वालियर) एवं अशोक पाल (सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी
ए.जी.एम.पी. ग्वालियर) है, दिनांक 02 से 06 मई 16 तक विद्यालय के लेखा
परीक्षा हेतु भ्रमण पर आये हुए है टीम के मुखिया जी. एस. यादव एवं उनके
सहयोगियों ने पहले दिन ही हमारे कार्यालय प्रभारी राना उराव से यह पूछा कि
हमारे लिये खानापीना, होटल खर्च के अलावा और क्या व्यवस्था है. तब श्री
राना ने इसकी सूचना मुझे अगले दिन दिनांक 03 फरवरी 16 को मौखिक रूप से
बताया श्री राना द्वारा किसी भी प्रकार की रिश्वत देने से इकार करने पर
जी.एस. यादव व उनके उपरिवर्णित साथियों के द्वारा ऑडिट हेतु मांगे गए समस्त
दस्तावेज उपलब्ध कराने के बावजूद भी अनावश्यक रूप से परेशान करना शुरू कर
दिया।
ऑडिट के मुखिया एवं सदस्यों ने अपरोक्ष रूप से विद्यालय के कर्मियों
से सुविधा शुल्क के रूप में रिश्वत की मांग शुरू कर दी. इसके उपरांत 04 मई
16 को जी.एस. यादव ने स्वयं मुझसे थोड़ा सिमगपइसम होने को कहा उनसे इसका
तात्पर्य पूछने पर उन्होंने मुझसे सीधे ही 20,000 रूपये रिश्वत की मांग की.
संपूर्ण कार्यवाही पश्चात आरोपी जी. एस. यादव, सीनियर ऑडीटर, ए.जी. ऑडिट
शाखा ग्वालियर के द्वारा रिश्वत माँग किया जाना प्रथम दृष्टया पाए जाने पर
एवं आवेदक द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्रों के आधार पर आरोपी के विरूद्ध अपराध
पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया. माननीय न्यायालय द्वारा प्रकरण के
विचारण उपरांत अभियोजन द्वारा दस्तावेजी साक्ष्य एवं मौखिक साक्ष्य व तर्क
माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किये गये एवं अभियोजन के तर्कों से सहमत
होते हुए माननीय न्यायालय द्वारा दिनांक 21 फरवरी 2023 को पारित निर्णय
में आरोपी जी. एस.यादव, एल के श्रीवास्तव, अशोक पाल को दोषसिद्ध पाते 04-04
वर्ष का सश्रम कारावास एवं 14000-14000अर्थदंड से दंडित किया गया.
न्यायालय ने चैक बाउंस के मामले में किया दोषमुक्त
दमोह। अभियुक्त संतोष पटैल निवासी सकतपुर (नरसिंहगढ़) में दिनांक 26.03.2015 को एक अशोक लीलेन्ड ट्रक क्रमांक एमपी 34 एच 0115 राशि 9,48,000 का लोन परिवादी इंडसइंड बैक लिमि. दमोह से लेकर क्रय किया था जिसमें से आरोपी ने संपूर्ण किश्तों की अदायगी इंडसइंड बैक लिमि. दमोह में जमा कर दी थी। इंडसइंड बैक लिमि. ने आरोपी को उपरोक्त ट्रक फायनेंस करने के पूर्व उपरोक्त ऋण की राशि के प्रतिभूति बतौर आरोपी से भारतीय स्टेट बैंक नरसिंहगढ़ शाखा के 5 कोरे चैक हस्ताक्षर युक्त इस शर्त पर ले लिये थे कि जब आरोपी इंडसइंड बैक लिमि. का संपूर्ण कर्ज अदा कर देगा तब उसे उसके हस्ताक्षर युक्त कोरे चैक परिवादी द्वारा वापिस कर दिये जावेगे।
दमोह। अभियुक्त संतोष पटैल निवासी सकतपुर (नरसिंहगढ़) में दिनांक 26.03.2015 को एक अशोक लीलेन्ड ट्रक क्रमांक एमपी 34 एच 0115 राशि 9,48,000 का लोन परिवादी इंडसइंड बैक लिमि. दमोह से लेकर क्रय किया था जिसमें से आरोपी ने संपूर्ण किश्तों की अदायगी इंडसइंड बैक लिमि. दमोह में जमा कर दी थी। इंडसइंड बैक लिमि. ने आरोपी को उपरोक्त ट्रक फायनेंस करने के पूर्व उपरोक्त ऋण की राशि के प्रतिभूति बतौर आरोपी से भारतीय स्टेट बैंक नरसिंहगढ़ शाखा के 5 कोरे चैक हस्ताक्षर युक्त इस शर्त पर ले लिये थे कि जब आरोपी इंडसइंड बैक लिमि. का संपूर्ण कर्ज अदा कर देगा तब उसे उसके हस्ताक्षर युक्त कोरे चैक परिवादी द्वारा वापिस कर दिये जावेगे।
आरोपी ने इंडसइंड बैक लिमि. का जो ट्रक
खरीदने हेतु लिया था उसकी अदायगी उसने कर दी थी और फिर आरोपी ने इंडसइंड
बैक लिमि. दमोह से अपने हस्ताक्षर युक्त कोरे चैकों की मांग की थी किंतु
इंडसइंड बैक लिमि. दमोह द्वारा उसे उसके हस्ताक्षर युक्त कोरे चैक वापिस
नहीं किये गये थे और परिवादी ने आरोपी द्वारा दिये गये कोरे चैकों का
नाजायजा फायदा उठाकर परिवादी इंडसइंड बैक लिमि. दमोह ने आरोपी के विरूद्व
उसके द्वारा उसके भारतीय स्टेट बैंक शाखा नरसिंहगढ़ में खले खाते में से चैक
क्रमांक 125106 राशि 81240 रूपये का चैक बाउंस कराकर एक चैक बाउंस का
मामला श्रीमान प्रकाश कुमार उइके न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी दमोह के
न्यायालय में प्रस्तुत किया था जिसका परिवाद क्रमांक 372/16 था। आरोपी ने
उपरोक्त मामले में अपने बचाव में स्वयं की साक्ष्य में यह साक्ष्य दी थी कि
परिवादी ने आरोपी के विरूद्व उसके द्वारा लिये गये ऋण के प्रतिभूति बतौर
इंडसइंड बैक लिमि. दमोह ने आरोपी के भारतीय स्टेट बैंक नरसिंहगढ़ शाखा का
चैक क्रमांक 125106 कोरा व हस्ताक्षर युक्त ले लिया था तदुपरांत इंडसइंड
बैक लिमि. दमोह ने आरोपी के विरूद्व ऋण अदायगी के बाबजूद भी उपरोक्त चैक
बाउंस कराकर झूठे एवं मिथ्या आधारो पर चैक बाउंस का मामला प्रस्तुत कर दिया
था।
आरोपी संतोष पटैल के विद्वान अधिवक्ता पीआर पटैल, मयंक पटैल, विनोद
पटैल, अलका कोष्टी, अनूप कुमार एवं टीएल प्रजापति द्वारा परिवादी एवं उनके
साक्षियों से बारीकी से की गयी जिरह एवं बहस से सहमत होकर श्रीमान प्रकाश
कुमार उइके न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी दमोह ने अपने फैसला में आरोपी
अभियुक्त संतोष पटैल का दोषमुक्त कर दिया है।
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