बटियागढ़ में भगवान का जन्म कल्याणक मनाया
दमोह
जिले के बटियागढ़ आचार्य विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद और मुनि श्री
सुब्रत सागर महाराज के सानिध्य में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन
भक्ति भाव के साथ चल रहा है। जिसके तीसरे दिन बालक आदि कुमार के जन्म के
बाद जन्म अभिषेक धूमधाम के साथ संपन्न मनाया गया।
इस
अवसर पर निकाली गई जन्म अभिषेक शोभायात्रा में सोधर्म इंद्र ऐरावत हाथी पर
बालक आदि कुमार को लेकर निकले। उन्होंने सुमेरु पर्वत पर ले जाकर पांडुक
शिला पर आदि कुमार के प्रथम जलाभिषेक करने का सौभाग्य प्राप्त किया। इस
दौरान धूमधाम से निकाली गई शोभायात्रा में विधान के महापात्रों के साथ
इन्द्र, इन्द्राणी भक्ति भाव के साथ झूमते नाचते हुए शामिल हुए। स्थानीय
विधायक रामबाई सिंह भी इन्द्राणीओ के साथ नृत्य करती नज़र आई।
इस
अवसर पर पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया, बिधायक रामबाई सिंह, पूर्व विधायक
लखन पटेल, भाजपा के पुत्व जिला अध्यक्ष नरेन्द्र व्यास, जिला पंचायत
उपाध्यक्ष प्रतिनिधि धमेन्द्र कटारे, मडल अध्यक्ष कपिल शुक्ला, आनन्द
त्रिवेदी, नरेंद कटारे सरपच, श्रीकांत पटेल सहित बड़ी संख्या में लोगो की
उपस्थिति रही।
पथरिया विरागोदय तीर्थ महामहोत्सव का आगाज
पथरिया विरागोदय तीर्थ महामहोत्सव का भव्य आगाज मंगलवार से
प्रारंभ हुआ आज के मंगल दिवस प्रारंभ हुआ गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी
आज्ञानुवर्ती शिष्य आचार्य विभव सागर जी के साथ भावलिंगी संत आचार्य
श्री108 विमर्श सागरजी समेत मुनि श्री विहर्ष सागर, मुनि विशोक सागर,मुनि
विभंजन सागर,मुनि विनिश्चल सागर,मुनि संस्कार सागर समेत 80 मुनिराज एवं
आर्यिका माता जी का मंगल आगमन हुआजहां आदिनाथ चौबीसी मंदिर से भव्य आगवानी
जलूश प्रारंभ हुआ जिसमें डी जे,बैंड पार्टी,महिला पुरूष दिव्य घोष,धार्मिक
परिवेश में बालक बालिका मंडल समेत हजारों की संख्या बाहर से आये हुए
श्रद्धालुओं का हुजूम साथ था।घर घर स्वागत के साथ चरण प्रक्षालन के साथ
श्री पारस नाथ जैन बड़ा मंदिर में विराजमान आचार्य श्री विराग सागर जी की
परिक्रमा कर नमोस्तु निवेदित किया।जयघोष से सारा आकाश गुंजायमान था।
वही
बुधवार से महामहोत्सव प्रारंभ होगा जिसमें प्रातः 7 बजे से बड़े मंदिर से
250 साधुओं के साथ विराज शोभायात्रा निकाली जाएगी जो कार्यक्रम स्थल
पहुंचेगी जहां आचार्य श्री108 विनम्र सागर जी ससंघ मंगलागवानी करेंगे।
रोहित जैन मीडिया प्रभारी ने कहा 1 फरवरी को सुबह 9 बजे लोकनिर्माण विभाग मंत्री गोपाल भार्गव, सागर विधायक शैलेन्द्र जैन
समेत अनेको बड़ी हस्तियां महोत्सव के शुभारंभ में शिरकत करेंगी।
कुंडलपुर ।सुप्रसिद्ध सिद्धक्षेत्र कुंडलपुर में प्रतिवर्षानुसार भरने वाला वार्षिक माघ मेला एक फरवरी से पांच फरवरी तक आयोजित किया गया है ।इस अवसर पर श्री दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र कुंडलगिरी कुंडलपुर सार्वजनिक न्यास 17 ह के सामान्य सभा की वार्षिक आम सभा की बैठक 4 फरवरी 2023 शनिवार को दोपहर 12:30 बजे से विद्या भवन कुंडलपुर में आयोजित की गई है। जिसमें विषयसूची अनुसार बिंदुओं पर निर्णय लिए जाएंगे। 5 फरवरी को जलविहार का कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
चक्रवर्ती पद से बढ़ा जैन धर्म है- आर्यिका विभाश्री माता जी
दमोह। इस लोक में सबसे शक्तिशाली वैभवशाली चक्रवर्ती जैसे पद की भी चाह जिन रहित धर्म के साथ धर्मी नहीं करता। चक्रवर्ती पद से बढ़ा वह धर्म को मानता है। स्त्रोता तीन तरह के होते है पथ्थर के तरह पिघलता नहीं दूसरे प्रकार में भक्त कपड़े की तरह गुरूचरणों में आते है बाहर की हवा लगते ही सूख जाते है तीसरे तरह शक्कर की भॉति होती है पानी में धुलमिल जाते है। साधर्मी को चक्रवर्ती पद नहीं चाहिए उसे तो जैन धर्म चाहिए। आज सारी दुनिया पैसे के पीछे पड़ी हुई है किंतु जीवन को नहीं सुधार रहा है पैसे से विस्तर तो खरीदा जा सकता है किंतु नींद नहीं खरीद सकते, भोजन खरीद सकते किंतु भुख नहीं, पुस्तके तो खरीद सकते है किंतु ज्ञान नहीं श्रद्वा नहीं खरीद सकते है। पैसे बहुत कुछ हो सकता है किंतु सब कुछ नहीं हो सकता। पैसा का उपयोग सिर्फ रोटी, कपड़ा और मकान के अलावा कुछ नहीं। सौने के गिलास से पानी पी सकते है किंतु प्यास को पानी से मिटती है। जीवन की सच्चाई है कुछ भी संग्रह कर लो यहीं छोड़कर जाना है शरीर का एक रोम भी हमारे साथ जाने वाला नहीं है। उपरोक्त उद्गार आर्यिका रत्न विभा श्री माता जी ने नन्हें मंदिर धर्मशाला में अभिव्यक्त कियें। इस मौके पर जैन पंचायत अध्यक्ष सुधीर सिंघई, गिरीश अहिंसा, सुनील वेजीटेरियन, शैलेन्द्र मयूर, पवन जैन, राजेन्द्र अटल, संदीप अभाना, रूपचंद, चक्रेश शाहपुर आदि की उपस्थिति रहीं।
दमोह। इस लोक में सबसे शक्तिशाली वैभवशाली चक्रवर्ती जैसे पद की भी चाह जिन रहित धर्म के साथ धर्मी नहीं करता। चक्रवर्ती पद से बढ़ा वह धर्म को मानता है। स्त्रोता तीन तरह के होते है पथ्थर के तरह पिघलता नहीं दूसरे प्रकार में भक्त कपड़े की तरह गुरूचरणों में आते है बाहर की हवा लगते ही सूख जाते है तीसरे तरह शक्कर की भॉति होती है पानी में धुलमिल जाते है। साधर्मी को चक्रवर्ती पद नहीं चाहिए उसे तो जैन धर्म चाहिए। आज सारी दुनिया पैसे के पीछे पड़ी हुई है किंतु जीवन को नहीं सुधार रहा है पैसे से विस्तर तो खरीदा जा सकता है किंतु नींद नहीं खरीद सकते, भोजन खरीद सकते किंतु भुख नहीं, पुस्तके तो खरीद सकते है किंतु ज्ञान नहीं श्रद्वा नहीं खरीद सकते है। पैसे बहुत कुछ हो सकता है किंतु सब कुछ नहीं हो सकता। पैसा का उपयोग सिर्फ रोटी, कपड़ा और मकान के अलावा कुछ नहीं। सौने के गिलास से पानी पी सकते है किंतु प्यास को पानी से मिटती है। जीवन की सच्चाई है कुछ भी संग्रह कर लो यहीं छोड़कर जाना है शरीर का एक रोम भी हमारे साथ जाने वाला नहीं है। उपरोक्त उद्गार आर्यिका रत्न विभा श्री माता जी ने नन्हें मंदिर धर्मशाला में अभिव्यक्त कियें। इस मौके पर जैन पंचायत अध्यक्ष सुधीर सिंघई, गिरीश अहिंसा, सुनील वेजीटेरियन, शैलेन्द्र मयूर, पवन जैन, राजेन्द्र अटल, संदीप अभाना, रूपचंद, चक्रेश शाहपुर आदि की उपस्थिति रहीं।
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