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गणाचार्य श्री विरागसागर एवं श्री श्री रावतपुरा सरकार का मंगल मिलन.. हर घर चरखा छाएगा, इंडिया भारत कहलाएगा.. मुनिश्री निरंजनसागर.. बागेश्वर धाम सरकार पर बोली-किशोरी वैष्णवी गर्ग.. यज्ञादि से देवताओं की तृप्ती एवं वातावरण की शुद्धि होती है-रवि शास्त्री महाराज

 गणाचार्य श्री विराग सागर जी एवं श्री श्री रावतपुरा सरकार का मंगल मिलन       

दमोह। पथरिया नगर के पारसनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर में विराजित जैन आचार्य श्री108 विराग सागर जी महाराज ससंघ विराजमान है जहाँ दोपहर 12 बजे वैष्णव सम्प्रदाय के बड़े संत श्री श्री रावतपुरा सरकार का आगमन एवं भेंट आचार्य श्री से हुई
जहां दोनों संतो के बीच धर्म चर्चा हुई साथ ही 1 फरवरी से आयोजित महामहोत्सव में आमंत्रण हेतु समिति के अध्यक्ष नरेंद्र जैन गुरुकृपा रायपुर ने आग्रह अनुरोध किया साथ ही आचार्य श्री ने सरकार के लिए साहित्य भेंट किया। 
महामंत्री सत्यपाल जैन ने बताया संतश्री रावतपुरा सरकार ने महोत्सव में समिलित होने ही अनुमति प्रदान की । साथ ही मंगलवार की सुबह पूज्य आचार्य श्री 108 विभव सागर जी एवं आचार्य श्री108 विमर्श सागर जी महाराज समेत 60 साधुओं का मंगल प्रवेश महोत्सव हेतु नगर में 9 बजे होगा।
हर घर घर चरखा छाएगा, इंडिया भारत कहलाएगा.. मुनि श्री निरंजन सागर जी
दमोह । सुप्रसिद्ध जैन सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर में संत शिरोमणि आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज के प्रभावक शिष्य मुनि श्री निरंजन सागर जी महाराज ने प्रवचन देते हुए कहा भारत आज तक अपने अस्तित्व को नहीं पा पाया है ।किसी भी देश की पहचान का प्रमुख अंग उसका नाम है ।उसकी स्वयं की भाषा है। उसकी स्वयं की आहार शैली। उसकी अपनी वेशभूषा है । उसकी अपनी शिक्षा पद्धति है ।उसकी अपनी औषध विद्या है ।परंतु आज हम सभी आवश्यकताओं पर विदेशों पर निर्भर होते जा रहे।  विदेशी वस्तु की गुणवत्ता उसके गुण धर्म आदि का विचार ना करते हुए एक आकर्षण वश उस ओर ध्यान न देकर एक अंधी दौड़ में दौड़े जा रहे हैं ।गांधी जी ने जो स्वप्न देखा था वह भारत प्रति भारत का स्वप्न है । घर हाथ हथकरघा और भारतीय पद्धति का रोजगार ।उस के माध्यम से सत्य और अहिंसा की ऐसी नींव रखी जानी है जिसे कोई भी हिलाना सके। 
आज का नवयुवक विदेशी जीवन शैली को अपनाने की होड़ में दौड़ रहा है ।यह अंत हीन दौड हमें हमारे संस्कारों से, हमारे देश से, हमारे धर्म से ,कोसों दूर करती जा रही है। आज का नवयुवक जो देश का भविष्य कहलाता है, स्वयं अपने भविष्य के बारे में चिंतन से रहित होकर मात्र वर्तमान की चकाचौंध भरी ऐसी जीवनशैली जी रहा है जिसका कोई और छोर नहीं है। उद्देश्य से भटका हुआ नवयुवक वर्ग ही भारत की वर्तमान की सबसे बड़ी समस्या है ।जिससे मात्र गांधी जी के विचारों को अपनाकर ही हम इस विकट समस्या से मुक्ति पा सकते हैं। गांधीजी जैसा व्यक्तित्व कभी मरण को प्राप्त नहीं हो सकता है। गांधी जी आज भी भारत की आत्मा में बसे हुए हैं। वर्तमान में राष्ट्रहित चिंतक आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महामुनिराज ने इंडिया नहीं भारत बोलो ,स्वदेशी रोजगार ,भारतीय भाषा, भारतीय वस्त्र शैली, भारतीय औषध विज्ञान ,भारतीय शिक्षा पद्धति, भारतीय कृषि का पुनरुत्थान आदि विषयों को अपने उपदेश का विषय बनाया और उनके प्रभावक राष्ट्र चिंतन से प्रभावित होकर एक बड़ा नवयुवक वर्ग उनके उपदेश को पूर्ण करने तत्पर हुआ ।जिसका परिणाम है पूर्णायु औषधालय, प्रतिभास्थली विद्यापीठ, भाग्योदय चिकित्सालय, दयोदय गौशाला, श्रमदान हथकरघा केंद्र, शांति धारा दुग्ध योजना आदि प्रकल्प आज भारतीयता को जीवंत कर हमें पूर्ण स्वदेशीयता के साथ साथ सत्य और अहिंसा को पुनर्स्थापना करने में लगे हुए हैं। आज ऐसा लगता है वह दिन दूर नहीं जब गांधी जी का भारत अपनी खोई हुई पहचान पुनः पा जाएगा।
 
बागेश्वर धाम सरकार पर बोली -किशोरी वैष्णवी गर्ग’
दमोह।
सकल असाटी समाज द्वारा असाटी वार्ड संस्कार भवन में चल रही कथा के चतुर्थ दिवस में किशोरी वैष्णवी गर्ग ने बताया कि हम आप सभी को सदा उसका साथ देना चाहिए. जो हमारी सनातन धर्म को आगे ले जा रहा है, उसकी ध्वजा को आगे ले जा रहा है तथा सनातन धर्म के अनुयायियों को एक कर रहा है. सदा हम आप सभी को उसका साथ देना चाहिए और अगर कोई हमारे साधु-संतों का हमारे ग्रंथों का हमारे देवी देवताओं का विरोध करता है. तो हमें आगे आकर अपने साधु-संतों का अपने ग्रंथों का अपने भगवान का विरोध नहीं सुनना चाहिए
वैष्णवी गर्ग ने यह भी बताया कि आज भी इस समय में भी सिद्धियां होती हैं. क्योंकि जिस तरह से अंधकार है रोशनी भी है जिस तरह से इस धरती पर पाप है. तो पुण्य भी है जिस तरह से भगवान हैं तो भूत प्रेत भी हैं तो उनको दूर करने के लिए अनेकों अनेक दुखों को दूर करने के लिए सिद्धियां भी इस धरा धाम पर मौजूद हैंश्रीमद् भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ के चैथे दिवस श्रद्धालु कृष्ण रंग में रंगे नजर आए. कृष्ण जन्मोत्सव आनन्द और धूम-धाम से मनाया गया कृष्ण झाकियों ने सभी का मन मोह लिया.प्रसंग के दौरान श्रद्धालु नंदलाला प्रकट भये आज, बृज में लडुआ बंटे३, नन्द के घर आनन्द भयो, जय कन्हैया लाल३, आना आना रे आना नंदलाल आज हमारे आंगन में जैसे भजनों पर झूमते रहे, नन्द और यशोदा के लाला की जय के उद्घोष कथा पांडाल में गूंजते रहे. जन्मोत्सव के उपरांत विधिवत कृष्ण पूजन के बाद मिठाई का वितरण किया गया
 भए प्रगट कृपाला दीनदयाला..अराध्य प्रभु श्री राम के जन्मोत्सव के साथ कथा के दूसरे पड़ाव का शुभारम्भ हुआ।भगवान श्री राम के जन्म और उनके जीवन चरित्र का बखान करते हुए कथावाचक किशोरी वैष्णवी गर्ग ने कहा कि भगवान राम का जीवन चरित्र हमें सिखाता है कि मित्रों के साथ मित्र जैसा, माता-पिता के साथ पुत्र जैसा, सीता जी के साथ पति जैसा, भाइयों के साथ भाई जैसा, सेवकों के साथ स्वामी जैसा, गुरू के साथ शिष्य जैसा व्यवहार कैसे किया जाता है। जो भगवान राम के जीवन चरित्र को अपने जीवन में चरितार्थ करेगा उसके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे। राम राज्य में मनुष्य के अतिरिक्त जीव-जंतु में परपस्पर प्रेम और सद्भाव से रहते थे, इस दौरान राम-जानकी विवाह का प्रसंग भी सुनाया गया
 ठाकुर जी से जोड़ो संबधों की डोरी..भक्त और भगवान के सबंधो को बताते हुए कथावाचक किशोरी वैष्णवी गर्ग ने बताया कि हम जीवन भर किसी न किसी संबधों की डोरी से बंधे हुए रहते हैं, लेकिन यदि भगवान से निकट आना है तो संबधो की डोरी ठाकुर जी के साथ जोड़नी पड़ेगी, उनसे कोई रिश्ता जोड़ लो. जहां जीवन में कमी है, वहीं ठाकुर जी को बैठा दो. वे जरूर उस संबंध को निभाएंगे. असाटी समाज दमोह ने कथा श्रवण करने की अपील की है मुख्य यजमान श्रीमती राधारानी डालचंद असाटी जबलपुर नाका, श्रीमती मुन्नी खेमचंद्र असाटी जबलपुर नाका (गुंजी वाले रिटायर्ड शिक्षक), कुसुम विष्णु प्रसाद असाटी शोभा नगर, आशा स्वर्गीय नाथूराम नायक असाटी वार्ड 1, श्रीमती सरोज रमेश (सुंदरलाल) असाटी वार्ड 1, मधु स्वर्गीय मदन असाटी असाटी वार्ड नंबर 1, विद्या स्व. श्री राम प्रसाद असाटी असाटी वार्ड 1, सुनीता स्वर्गीय श्री पंचम लाल इंदिरा कॉलोनी, ममता रामेश्वर असाटी इमलाई, सुमन स्वर्गीय मदनलाल असाटी इमलाई, श्रीमती प्रभा स्वर्गीय माधव प्रसाद असाटी है।
 
यज्ञादि से देवताओं की तृप्ती एवं वातावरण की शुद्धि होती है - आचार्य पंडित रवि शास्त्री महाराज
दमोह। भगवती बड़ी देवी मंदिर में चल रहे सम्पुटित शतचण्डी महायज्ञ के नवमें दिन विधि से पूजन पूर्णाहूति सम्पन्न हुई यज्ञ के मुख्य यजमान पंडित सतीश तिवारी देवी सिंह राजपूत मनीष मिश्रा बसन्त खरे प्रेमशंकर राय कुलदीप मिश्रा उषा तिवारी अनीता असाटी के द्वारा यज्ञ की पूर्णाहुति की गई। यज्ञ के यज्ञाचार्य पंडित रवि शास्त्री महाराज ने बताया कि सम्पूर्ण राष्ट्र कल्याण के लिए यह आयोजन किया गया था जिसमे मेरे यजमानो के द्वारा सहयोग किया गया उन्होने बताया कि यज्ञ करने से देवताओं की तृप्ति एवं वातावरण की शुद्धि होती है। घर में मौजूद सभी कीटाणु और जीवाणु नष्ट हो जाते हैं और घर का शुद्धिकरण होता है।  हवन करने से शरीर के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं। वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। आत्मा की शुद्धि करने में हवन काफी लाभकारी है।  मन-मस्तिष्क में सकरात्मक शक्ति का संचार होता है। वायु प्रदुषण से छुटाकरा पाने में भी हवन लाभदायक है। बुरी बला को टालने में और मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए शुभ है। 
हवन करने के लिए उस दिन की तिथि और वार की संख्या को जोड़ें और उसमें 1 को जमा करें।  इसके बाद निकले कुल जोड़ को 4 से भाग दें।  यदि शेष 3 या 0 निकले तो उस दिन अग्निवास पृथ्वी पर माना जाएगा। इस दिन हवन करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी और यह हवन भी बहुत कल्याणकारी माना जाएगा। शेष 2 बचने पर उस दिन का अग्निवास पाताल में माना जाता है और इस दिन हवन किये जाने से जातक को धन का भारी नुक्सान उठाना पड़ता है। शेष अगर 1 बचे तो उस दिन का अग्निवास आकाश में होगा और इस दिन हवन किये जाने से अल्प आयु होती है। ध्यान रहे कि वार का पता लगाने के लिए रविवार से दिन की और शुक्ल प्रतिपदा से तिथि की गणना करी जानी चाहिए। जिस प्रकार शुभ कार्य को करने से पहले हवन करना अनिवार्य बताया गया है उसी प्रकार हवन क्रिया में शंख की पावन ध्वनि का होना भी अनिवार्य है। हवन करने से घर में मौजूद सभी कीटाणु और जीवाणु नष्ट हो जाते हैं और घर का शुद्धिकरण होता है। हवन करने से शरीर के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं। वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती हैआत्मा की शुद्धि करने में हवन काफी लाभकारी है।  मन-मस्तिष्क में सकारात्मक शक्ति का संचार होता है।वायु प्रदुषण से छुटाकरा पाने में भी हवन लाभदायक है। बुरी बला को टालने में और मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए शुभ है। 
 

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