गुरू पूर्णिमा पर चातुर्मास स्थापन के साक्षी बनेगे हजारों भक्त
बुंदेलखंड के प्रथम जैनाचार्य श्री108 विराग सागर जी महाराज संघ सहित अपनी जन्मभूमि पथरिया में विराजमान है। पूज्य गणाचार्य का इस बर्ष का वर्षा योग विरागोदय क्षेत्र में होने जा रहा है। जिसकों लेकर सभी तैयारियों पूरी हो जाने के साथ भक्तजनों के बीच अपूर्ण उत्साह का माहौल देखने को मिल रहा है।गुरू पूर्णिमा पर गुरूवर के चातुर्मास स्थापन के साक्षी बनेने हजारों की संख्या में भक्तजनों का पथरयिा पहुचना जारी है।
पथरिया नगर में निर्माणाधीन जैन तीर्थ क्षेत्र विरागोदय में नगर गौरव बुंदेलखंड के प्रथम जैनाचार्य श्री108 विराग सागर जी महाराज विराजमान है।जहाँ प्रतिदिन अभिषेक, शांतिधारा,पूजन गुरुदेव के प्रवचन का लाभ भक्त ले रहे हैं। सावन माह से प्रारंभ होने वाले चातुर्मास में दीपावली तक आचार्य संघ का सानिध्य नगर वाशियो को प्राप्त होगा। आचार्य श्री के चातुर्मास का प्रारंभ कलश स्थापना 13 जुलाई दोपहर 2 बजे से प्रारंभ होगी जिसमें पूरे भारतवर्ष से सैंकड़ों श्रद्धालुओं का जमावड़ा होगा साथ ही 14 जुलाई से 48 दिवसीय भक्ताबर महामंडल विधान भी प्रारंभ होगा।
विरागोदय महामहोत्सव 2023 के अध्यक्ष प्रकाश सराफ ने बताया कि 13 जुलाई को आयोजित होने वाले चातुर्मास कलश स्थापना समारोह में कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल, मध्यप्रदेश के कैविनेट मंत्री गोपाल भार्गव, जयंत मलैया,विधायक रामबाई परिहार, पूर्व विधायक लखन पटेल,जिला सदस्य रंजीता गौरव पटैल,विनीता रॉव ब्रजेंद्र,लक्ष्मण सिंह समेत नगर के सभी गणमान्य नागरिक को आमंत्रित किया है। क्षेत्र में बाहर से पधारे श्रद्धालुओं की आवास और भोजन की समुचित व्यवस्था की गई है।
धर्म के प्रति रुचि या भाव सम्यकत्व है..विराग सागर जी
पथरिया में विराजित भारत गौरव परम पूज्य राष्ट्रीय संत गणाचार्य श्री विराग सागर जी महामुनि राज ने धर्म सभा में श्रद्धालुओं को अपनी अमृतमयी वाणी से संबोधित करते हुए कहा कि भगवान ने कहा है कि यदि तुम अपना कल्याण करना चाहते हो तो धर्म के मार्ग पर चलो तीर्थंकरों ने सम्यक दर्शन/सम्यक ज्ञान और सम्यक चरित्र को धर्म का मार्ग कहा है,इनका पालन करना/ धर्म करना धर्म पर चलने का मार्ग है उन्होंने कहा है -"धम्म रूई समन्तम" अर्थात धर्म के प्रति रुचि या भाव सम्यकत्व है रुचि हमेशा अंदर से होती है पर जिसके अंदर धर्म के प्रति श्रद्धा रुचि होती है वह तो सोचता है कि कब मौका मिले कि मैं धर्म के मार्ग पर चल कर अपना कल्याण करूं। जिसे रूचि होती है वह जंगलों में जाकर भी धर्म की सुनने के लिए आतुर रहता है। अपने जीवन को धर्म मय बनाने के लिए अपनी आत्मा का कल्याण करने के लिए भगवान का दर्शन, पूजन, जाप एवं व्रत संयम नियम को रुचि के साथ करें तभी आत्म कल्याण संभव है। परम पूज्य गणाचार्य श्री की अष्टद्रव्य से पूजन का सौभाग्य श्री दिगंबर जैन जेरठ मंदिर महिला मंडल को प्राप्त हुआ पाठशाला के बच्चों ने गुरु भक्ति के भजनों को सुंदर प्रस्तुति दी। परम पूज्य गणाचार्य ने सभी को अपना मंगल आशीर्वाद प्रदान किया
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