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भाजपा से निलंबित चल रहे सिद्धार्थ मलैया ने.. पालिका चुनाव के पहले BJP छोड़ी.. समर्थक निर्दलीय प्रत्याशी बनकर लडेंगे चुनाव..पत्रकार वार्ता में नजर आ रहे नेताओं पर सस्पेंश बरकरार..

 पत्रकार वार्ता में नजर आ रहे नेताओं पर सस्पेंश बरकरार..

दमोह। साल भर पहले हुए दमोह विधानसभा उपचुनाव के नतीजों के बाद भाजपा से निलंबित कर दिए गए सिद्धार्थ मलैया ने आखिरकार भरे मन से भाजपा को अलविदा कह दिया है। उनके भाजपा छोड़ने की घोषणा ऐसे समय में सामने आई है जब नगरीय निकाय चुनाव के प्रत्याशी चयन मैं भाजपा नेता उलझे हुए हैं। इस बार भाजपा की नगर पालिका चुनाव प्रत्याशी चयन प्रक्रिया पर्दे के पीछे से दमोह सांसद व केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल के आसपास केंद्रित रहने से इस बात की बहुत ज्यादा संभावना जताई जा रही थी कि सिद्धार्थ समर्थक पार्षदों को भी भाजपा टिकट से वंचित रहना पड़ सकता है। ऐसे में सिद्धार्थ के भाजपा छोड़ने से यह तय हो गया है कि बीजेपी टिकट से वंचित उनके समर्थक निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर पालिका चुनाव के मैदान में नजर आएंगे और सिद्धार्थ उनका खुलकर साथ निभाएंगे।

भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री वर्तमान में नगरीय निकाय प्रत्याशी चयन समिति के संभागीय सदस्य जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया को तेरह महीने पूर्व भाजपा के करीब आधा दर्जन मंडल अध्यक्षों के साथ पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। पिछले साल मई में हुए विधानसभा उपचुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी राहुल सिंह की करारी हार के बाद पार्टी हाईकमान ने उनके खिलाफ यह कार्रवाई की थी। पार्टी से निलंबित होने के बाद उन्होंने अपना जवाब तय समय में प्रदेश पदाधिकारियों को सौंप दिया था इसके बावजूद उनके निलंबन को खत्म करने कोई निर्णय नहीं लिया गया था दूसरी ओर स्थानीय संगठन पदाधिकारियों द्वारा लगातार उपेक्षा का दौर जारी था। यहां तक की मलैया समर्थक पार्षदों की टिकट काटने की तैयारी भी कर ली गई थी ऐसे में सिद्धार्थ का भाजपा छोड़ने का निर्णय सही समय पर उठाया जाता ही कदम कहा जा सकता है। 

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सिद्धार्थ मलैया द्वारा बुलाई गई पत्रकार वार्ता के दौरान जिला भाजपा के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र सिंघई, पूर्व उपाध्यक्ष अखिलेश हजारी पूर्व महामंत्री रमन खत्री, पूर्व मीडिया प्रभारी कपिल सोनी के अलावा निलंबित चल रहे पूर्व मंडल अध्यक्ष मनीष तिवारी व कुछ अन्य नेता नजर आए हैं। लेकिन इनके द्वारा भाजपा से इस्तीफा दिए जाने की जानकारी सामने नहीं आई है। सिर्फ युवा कार्यकर्ता नीलेश सिंघई द्वारा ही इस्तीफा दिए जाने की प्रति सोशल मीडिया पर वायरल की गई है। कुल मिलकर सिद्धार्थ कि भाजपा छोड़ने से पार्टी संगठन पदाधिकारी नेताओं को भले ही कोई फर्क ना पड़े लेकिन पालिका चुनाव में इसका असर भाजपा के पार्षदों की संख्या में पड़ेगा इतना अभी से तय है। हालांकि इसके बाद भाजपा जिला अध्यक्ष प्रीतम सिंह लोधी का जो बयान सामने आया उसको सुनकर कहा जा सकता है कि पार्टी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। 

 

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