घटयात्रा से विधान वेदी प्रतिष्ठा समारोह का शुभारंभ
दमोह। श्री पारसनाथ दिगंबर जैन नन्हे मंदिर जी में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की शिष्या आर्यिका रत्न मृदुमति माताजी के ससंघ सानिध्य में धार्मिक आयोजन लगातार जारी है। आचार्य श्री के आशीर्वाद और माता जी के सानिध्य में श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान एवं महावीर वेदी प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन 21 से 29 मई तक किया जा रहा है।
जिसके शुभारंभ अवसर पर शनिवार को जैन धर्मशाला से घटयात्रा निकाली गई। जो नगर के प्रमुख मार्गों से होकर मन्दिर जी पहुची। जहा कार्यक्रम विधान स्थल शुद्धि उपरांत समवशरण में श्रीजी की स्थापना कर माताजी के सानिध्य में अभिषेक शांतिधारा पूजन संपन्न हुआ। इसके बाद विधान के वहां पात्रों का चयन किया गया। जिसमे अमन गिरीश नायक को सौधर्म इंद्र, पंकज सौरभ नायक को कुबेर इंद्र, राजू शैलेंद्र नायक को चक्रवर्ती, विवेक सिद्धार्थ नायक को महा यज्ञ नायक, संतोष जैन अविनाशी को ईशान इंद्र, सुनील वेजिटेरियन को माहेंद्र, अवध जैन को सनत इंद्र, राजेन्द्र अटल को यज्ञ नायक बनकर विधान पूजन का सौभाग्य अर्जित हुआ। प्रतिष्ठाचार्य शुभम भैया के निर्देशन में होने वाले विधान के ध्वजारोहण करने का सौभाग्य अशोक जैन ढाना वाला परिवार को प्राप्त हुआ।
प्रथम दिवस संपन्न घट यात्रा, वेदी शुद्धि, अभिषेक शांतिधारा ध्वजारोहण आदि कार्यक्रमों में जैन पंचायत के अध्यक्ष सुधीर सिंघई, नन्हे मंदिर समिति के अध्यक्ष गिरीश नायक, महामंत्री चक्रेश सराफ,कोषाध्यक्ष राजकुमार रानू, राजेश हिनौती, सुनील बड़े राय, मनीष राजश्री, केसर जैन, संजय सराफ, संजीव शाकाहारी, सुनील वेजीटेरियन, सुशील मैनेजर सहित मन्दिर जी के आसामियों की सहभागिता रही। 22 मई को सुबह 6 बजे से अभिषेक शांतिधारा नित्य पूजन विधान एवं आर्यिका श्री म्रदु मति माता जी के मंगल प्रवचन होगे। शाम को महा आरती संपन्न होगी। सिद्ध चक्र महामंडल विधान एवं वेदी प्रतिष्ठा समारोह में सकल जैन समाज में शामिल होने की अपील नन्हे मंदिर समिति द्वारा की गई है।
मुनिश्री तरुण सागर जी की जन्म भूमि पहुचे मुनि श्री
गुंहची पहुंचने के उपरांत पूज्य मुनि श्री ने तरुण सागर जी महाराज के बारे में अनेक दृष्टांत उद्घाटित किए एवं मुनि श्री ने उस स्थान पर जिस स्थान पर पूज्य मुनि तरुण सागर महाराज का जीवन व्यतीत हुआ वहां पर पहुंचकर एक अद्भुत आनंद की अनुभूति प्राप्त की। उन्होंने कहा कि आप के एक छोटे से ग्राम से एक क्रांतिकारी राष्ट्रसंत हुए हैं हमें इस पर गर्व होना चाहिए भले ही वह आज हमारे बीच में नहीं है लेकिन उन्होंने जो मिसाल कायम की है वह हमारे लिए सदैव अनुकरणीय है।
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