आचार्य श्री का रात्रि विश्राम बांदकपुर टोल नाके पर
कुंडलपुर में बड़े बाबा मंदिर निर्माण अवसर पर आचार्य भगवन विद्यासागर जी महाराज के विशाल संघ के सानिध्य में 11 दिवसीय पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव संपन्न होने के बड़े बाबा का मस्तकाभिषेक प्रतिदिन जारी है इधर कुंडलपुर से विभिन्न मुनि संघ के विहार के बाद आचार्य श्री विद्यासागर जी भी विहार कर चुके है। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के कुंडलपुर से बिहार के बाद बीती रात कुम्हारी ग्राम में मुन्ना पटेल के घर रात्रि विश्राम हुआ था। उम्मीद की जा रही थी कि गुरुवार को आचार्य श्री के कदम रैपुरा कटनी मार्ग की तरह बढ़ेंगे। लेकिन घाट पिपरिया की तरफ सुबह से विहार हो गया।
दमोह। निर्यापक मुनि श्री संभव सागर जी महाराज के संघ सहित दमोह नगर पहुंचने पर समाज के द्वारा भव्य अगवानी की गई। शाकाहार उपासना परिसंघ के प्रवक्ता सुनील वेजिटेरियन ने बताया कि मुनि संघ में 10 मुनिराज सम्मिलित है जिनमें दमोह गौरव निर्मोह सागर जी महाराज भी साथ चल रहे हैं कुंडलपुर महामहोत्सव में सहभागिता के पश्चात मुनि संघ आचार्य श्री की आज्ञा के अनुसार विभिन्न स्थानों को प्रस्थान कर रहे हैं प्रातः काल धर्मपुरा नाका पहुंचकर दिगंबर जैन पंचायत, जैन मिलन नन्हे मंदिर कमेटी एवं परिसंघ के सदस्यों ने मंगल अगवानी की मुनि संघ सिंघई एवं सेठ मंदिरों के दर्शन उपरांत नन्हे मंदिर जैन धर्मशाला पहुंचे जहां पर मुनि संघ को ग्रीष्मकालीन वाचना के लिए श्रीफल अर्पित करने के पश्चात जैन पंचायत के महामंत्री रूपचंद संगम ने शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य प्राप्त किया।
इस मौके पर आचार्य श्री की मंगल पूजन की गई सर्वप्रथम मुनि श्री निर्मोह सागर जी महाराज ने अपने मंगल प्रवचनों में कहा कि कुंडलपुर महा महोत्सव में दमोह नगर वासियों का बहुत ही उत्साह के साथ भरपूर सहयोग रहा है निर्यापक मुनि श्री संभव सागर जी महाराज ने कहा कि आचार्य श्री असंभव कार्य को भी संभव कर देते हैं पहले बड़े बाबा को नए स्थान पर उच्चासन पर बिठाना एवं उसके पश्चात इतना बड़ा महोत्सव आयोजित होना असंभव को संभव करना जैसा है दमोह वालों ने कुंडलपुर महोत्सव में अपने पूर्ण समर्पण के साथ योगदान से एक आदर्श प्रस्तुत किया है जैनियों के साथ-साथ अजैन लोगों ने भी बहुत उत्साह पूर्वक अपना सहयोग प्रदान किया महोत्सव एक ऐतिहासिक विशाल आयोजन के रूप में सदैव स्मरण किया जावेगा जिसमें अद्भुत घटनाएं घटित हुई जो इसके पूर्व कभी नहीं देखी गई थी बड़े बाबा के अतिशय एवं छोटे बाबा आचार्य विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद से यह सब संभव हो सका।
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