देवाधीदेव श्री 1008 जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ भगवान के जन्म एवं तप कल्याणक के पवन अवसर पर देश दनिया के साथ बड़े बाबा के धाम कुंडलपुर सहित दमोह जिले के विभिन्न क्षेत्रों में धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन जैन मंदिरों से लेकर धर्म स्थलों पर किया गया। इस अवसर पर मुनि तथा आर्यिका संघ का सानिध्य में भक्तों को प्राप्त हुआ। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री अजीत सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में दमोह नगर के श्री पारसनाथ दिगंबर जैन नन्हे मंदिर जी में विविध कार्यक्रम आयोजित हुए वही निर्यापक मुनि श्री समता सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में लकलका तथा आसपास के ग्रामीण जनों को आदिनाथ जयंती पर धर्म लाभ अर्जित हुआ।
कुंडलपुर में आदिनाथ भगवान जन्म कल्याणक
दमोह। कुंडलपुर में विराजमान बड़े बाबा आदिनाथ भगवान का जन्म कल्याणक महोत्सव बहुत उत्साह पूर्वक मनाया गया। प्रातः काल प्रभात फेरी के पश्चात बड़े बाबा का मस्तकाभिषेक किया गया आदिनाथ जयंती पर बड़े बाबा का प्रथमाभिषेक करने का सौभाग्य जयपुर के भक्तजनों को प्राप्त हुआ उन्होंने शांतिधारा करने का भी सौभाग्य प्राप्त किया। इस मौके पर आर्यिका उपशांत मति माताजी, आर्यिका श्री गुडमति माताजी, आर्यिका श्री अकंप मति माताजी एवं आर्यिका श्री आदर्श मति माताजी का संघ सहित मंगल सानिध्य प्राप्त हुआ।
इस अवसर पर आर्यिका श्री ने अपने मंगल प्रवचनों में कहा कि जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ भगवान जोकि ना सिर्फ हमारे धर्म के संस्थापक हैं वरन उन्होंने ही वर्ण व्यवस्था एवं कर्म व्यवस्था का शुभारंभ किया भगवान आदिनाथ जी ने ही मानव जाति को ऋषि बनो अथवा कृषि करो का नारा दिया भगवान ने युग के आदि में संपूर्ण मानव जाति के कल्याण के लिए मोक्ष मार्ग प्रदर्शित किया एवं अशी मशी कृषि शिल्प एवं वाणिज्य कला आदि का पाठ पढ़ाया वर्तमान युग में अधिकांश व्यक्ति महावीर भगवान को जैन धर्म का संस्थापक मानते हैं जबकि वास्तविकता में जैन धर्म का प्रादुर्भाव करोड़ों वर्ष पूर्व युग के आदि में ऋषभदेव आदिनाथ भगवान के द्वारा किया गया था जो प्रथम तीर्थंकर थे और महावीर भगवान ने अंतिम तीर्थंकर के रूप में जैन धर्म की अहिंसा की पताका को फहराया अहिंसा धर्म की नीव भगवान आदिनाथ के समय में रख दी गई थी उनके सुपुत्र भरत और बाहुबली थे उन्हीं भरत के नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा जोकि चक्रवर्ती राजा थे जिन्होंने छह खंडों को जीतकर अपना आधिपत्य जमाया था।
दमोह में मुनिश्री अजितसागर जी के सानिध्य में
दमोह। भगवान आदिनाथ जन्मकल्याणक के भगवान का मस्तकाभिषेक शांति धारा एवं श्री आदिनाथ विधान का भव्य आयोजन नन्हे मन्दिर में पूज्य मुनिश्री अजितसागर जी महाराज के सान्निध्य में किया गया। भगवान के पालना सभी ने झुलाया।
दमोह। श्री1008 आदिनाथ दिगंबर जैन कांच मंदिर जी मे प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी मूलनायक आदिनाथ भगवान का जन्मकल्याणक जन्मजयंती का कार्यक्रम आयोजित हुआ। प्रातःकालीन वेला में कांच मंदिर जी के मूलनायक भगवान श्री 1008 आदिनाथ स्वामी का रजत कलशों से मस्तकाभिषेक हुआ। प्रथम महामस्तकाभिषेक करने का सौभाग्य श्री इंजी.आर के जैन को प्राप्त हुआ। मूलनायक आदिनाथ भगवान के मस्तक पर शांतिधारा करने का सौभाग्य बाँसा निवासी श्री श्रेयांस जैन एवं महेंद्र चंदेरिया शिक्षक को प्राप्त हुआ,साथ ही मनोज जैन मीनू ने भी शांतिधारा करने का सौभाग्य प्राप्त किया।
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