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कुंडलपुर से मुनि पुंगव सुधासागर, अजित सागर व अन्य संघों का विहार.. इधर आचार्य श्री ने दमोह छोड़ सागर जिले में प्रवेश किया..आचार्यश्री का रात्रि विश्राम मुहली क्षेत्र में..

 कुंडलपुर महा महोत्सव सानंद संपंन होने के बाद आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्यों का बारी बारी से बड़ेबाबा के क्षेत्र से अन्य क्षेत्रों के लिए विहार जारी है। इसी कड़ी में बुधवार शाम मुनि पुंगव सुधा सागर जी का कुंडलपुर से विहार हो गया। इस दौरान मुनिश्री अजितसागर जी सहित अनेक मुनिराज तथा आर्यिका संघ ने कुछ दूर तक जाकर मुनि पुंगव को ससंघ विदा किया। 

बाद में अजित सागर जी सहित कुछ अन्य मुनि संघों का भी कुंडलपुर से पटेरा तरफ विहार हुआ।  मुनि पुंगव के साथ मुनिश्री पूज्य सागर ऐलक धैर्य सागर जी, छुल्लक गम्भीर सागर जी महाराज का मंगल विहार सिद्ध क्षेत्र कुण्डलपुर से 9 मार्च को दोपहर बाद कटनी की ओर हुआ। जबकि मुनिश्री अजित सागर के साथ दो ऐलक महाराज का विहार दमोह तरफ तथा सौम्य सागर महाराज के संघा का विहार जबेरा के लिए हुआ है।

आचार्य श्री विद्यासागर जी का सागर जिले में प्रवेश
दमोह।
सिद्ध क्षेत्र कुण्डलपुर में इस सदी के सबसे बड़े कुण्डलपुर महामहोत्सव के सम्पन्न होने और बड़े बाबा के मस्तकाभिषेक के शुभारंभ का सौभाग्य देने वाले संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का दमोह जिले में प्रवेश 26 नवम्बर 2021 को हुआ था और आज 9 मार्च को विहार होते हुए सागर जिले की सीमा में मंगल प्रवेश हुआ।आचार्य श्री को नवधा भक्तिपूर्वक पूजन करके आहार देने का सौभाग्य ब्रह्मचारी भैया लोगों को बुधवार को झापन गांव में प्राप्त हुआ,

दोपहर बाद 2 बजे आचार्य श्री का संघ सहित बिहार झापन से सागर जिले के नौरादेही अभ्यारण्य के गांव मुहली की ओर हुआ, जहां रात्रि विश्राम होने की सम्भावना है। मीडिया प्रभारी महेन्द्र जैन ने बताया कि सिद्ध क्षेत्र कुण्डलपुर में आचार्य श्री विद्यासागर जी के संघ में मुनि संघ और आर्यिका माताजी के साथ सकल जैन समाज को 5 दिसम्बर 2021 से 2 मार्च 2022 तक लगभग 87 दिन तक विराजमान रहकर धर्म लाभ प्राप्त हुआ।

सभी धर्मों के लोगों को अपनी दिव्य देशना प्रदान की और इस सदी के जैन धर्म के आयोजन को भव्यता प्रदान करते हुए सभी धर्मों के लोगों को एक ऐसा संदेश दिया जिसका अनुशरण करके भारत को विश्व गुरु बना सकता है आचार्य श्री विद्यासागर जी ने गाय की रक्षा करने, स्वदेशी शिक्षा को बढ़ावा देने, मातृभाषा को अपनाने का संदेश दिया। जैन धर्म के अनुयायी को भी अब मंदिर निर्माण से अधिक पर्यावरण संरक्षण, गौशाला स्थापित करने, स्वाबलंबी शिक्षा के लिए प्रतिभा स्थली, आयुर्वेद चिकित्सा के विकास में योगदान करने का  संदेश दिया। ज्ञात हो कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने जिले के ग्रामीण क्षेत्र गुबरा से प्रवेश जिले प्रवेश किया था और विहार भी झापन से हुआ।

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