महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन, अक्षरवार्ता अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका एवं संस्था कृष्ण बसंती द्वारा संयुक्त रूप से 27 फरवरी को अभिरंग नाट्यगृह में राष्ट्रीय संगोष्ठी सह व्याख्यान सम्पन्न हुए। यह संगोष्ठी इक्कीसवीं सदी का भारत : उपलब्धि, चुनौतियां और समाधान (संस्कृति, शिक्षा, साहित्य, चिंतन और समाज के परिप्रेक्ष्य में) विषय पर अभिकेंद्रित थी। कार्यक्रम में अक्षरवार्ता अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका एवं संस्था कृष्ण बसंती द्वारा अवगत अवार्ड 2022 प्रदान किए गए। संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली के कुलपति प्रो. नागेश्वर राव, कार्यक्रम के अध्यक्ष महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलपति प्रो सी जे विजय कुमार मेनन एवं विशिष्ट अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा थे। प्रारंभ में संगोष्ठी एवं अवगत अवार्ड की संकल्पना डॉ. मोहन बैरागी ने प्रस्तुत की।
मुख्य अतिथि इग्नू के कुलपति प्रो नागेश्वर राव ने कहा कि इक्कीसवीं सदी में शिक्षा के विस्तार के लिए स्वयं आधारित शिक्षा को महत्व देना होगा। इसके लिए भारत सरकार द्वारा स्वयं पोर्टल की संकल्पना की गई है। इस पोर्टल पर दो करोड़ से अधिक लोगों ने पंजीयन करवाया है। वर्तमान में जी ई आर 26 प्रतिशत है, जिसे बढ़ाकर वर्ष 2035 तक 50 प्रतिशत किया जाना है। जी ई आर बढ़ाने के लिए प्रभावपूर्ण व्यवस्था की जा रही है। तकनीक का प्रयोग करते हुए जीईआर बढ़ाया जाएगा। जीईआर में वृद्धि के लिए तीन गुना विश्वविद्यालय प्रारंभ करने होंगे। भारत सरकार द्वारा डिजिटल यूनिवर्सिटी बनाए जाने की संकल्पना की गई है। अक्षर वार्ता पत्रिका हिंदी माध्यम से स्तरीय शोध प्रकाशन में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
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