विश्व प्रसिद्ध जैन धर्म के तीर्थ बड़े बाबा और छोटे बाबा की स्थली कुंडलगिरी कुण्डलपुर में 12 फरवरी 2022 से इस सदी के विशाल कुण्डलपुर महामहोत्सव का शुभारम्भ बड़े बाबा की जाप, नमोकर मंत्र, पूजन अभिषेक से होगा।कुंडलपुर में महोत्सव में इस युग के सर्वश्रेष्ठ संत शिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज एवं लगभग उनके 250 से शिष्यों के सान्निध्य में पंचकल्याण्क प्रतिष्ठा महोत्सव के साक्षी बनेंगे , जिसमें निर्यापक श्रमण मुनि श्री समयसागर जी, निर्यापक मुनि श्री योगसागर जी, निर्यापक मुनि श्री पुंगव सुधासागर जी महाराज के आशीर्वाद से और ब्रा विनय भैया के निर्देशन में किया जा रहा हैं।
मुनिश्री सुधासागर, योगसागर जी ने निरीक्षण किया
कुंडलपुर में 12 से 23 फरवरी तक होने वाले महा महोत्सव का शुभारंभ 12 फरवरी को बड़े बाबा के जप अनुष्ठान से होंगा। 14 फरवरी को ध्वजारोहण एवं घट यात्रा संपंन होगी। 15 फरवरी को सकलीकरण की क्रियाओं उपरांत 16 फरवरी से पंच कल्याणक प्रारंभ होगे। जिसकों लेकर सभी तैयारियां अंतिम चरण में पहुच गई है।
मुनि पुंगव सुधासागर जी, निर्यापक मुनि योग सागर जी के साथ अन्य मुनिराजों ने विभिन्न स्थलों पर पहुचकर कार्यो का निरीक्षण किया तथा संबंधित प्रभारियों को मार्ग दर्शन प्रदान किया। उल्लेखनीय है कि पंच कल्याणक महोत्सव के लिए पांडाल एवं मंच निर्माण कार्य जहां तेजी से चल रहा है वहीं सड़क चौड़ीकरण के बाद डामरीकरण भी अंतिम चरण में है। महापात्रों के आवास टेंट, विद्युत एवं जल व्यवस्था कार्य भी पूर्णता की ओर है।
विकसित नहीं हो सकते हो तो विकासोन्मुखी बनो~आचार्य श्री
आज आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने भक्तों को संदेश देते हुए कहा कि पौधों में ऐसी कौन सी बुद्धि होती है जिससे प्रतिकूलता और अनुकूलता की समझ होती है। जब हम पौधे को गमले में रखकर खाद्य पानी मिट्टी अनुपात में मिश्रण करते हुए उसमें समय समय पर पानी देते है अन्य कोई घास को निकालते हैं, पौधे की जड़े बढ़ जाती है तो गमले से नीचे निकलकर राशन की खोज कर लेती है और उसी तरफ जाती है जिस ओर अनुकूलता है, पर दुखी प्राणी हैं जो दुखों से मुक्ति की खोज में निकलता है पर गमले रूपी स्वरूप को छोड़कर निकल नहीं पाता।
कुण्डलपुर में निर्माणाधीन सहस्त्र कूट जिनालय में विराजमान होनी वाली 1008 प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। यह प्रतिमाएं विभिन्न धातु से निर्मित है एवं विदेशों से निर्माण होकर आई है। सिद्ध क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष संतोष सिंघई का कहना है कि मंत्रों में सबसे बड़ा महामंत्र है नवकार महामंत्र। नवकार महामंत्र का जाप करने से मन स्थित होता है। बुद्धि बढ़ती है और आत्मा पवित्र होती है, हमारे विचारों में शुद्धता आती है। परमात्मा से मिलने की इच्छा जागृत होती है। महामंत्र में सभी अरिहंतों, गुरुदेवों, सिद्ध देवों को प्रणाम करते हुए आराधना की जाती है। जो कोई नवकार महामंत्र का जाप करता है उसे कोई और मंत्र जप करने की जरूरत नहीं है..
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