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मप्र के पूर्व मंत्री वरिष्ठ भाजपा नेता के निवास पर पूर्व केंद्रीय मंत्री के साथ कांग्रेस नेताओं का जमाबड़ा चर्चाओं में.. कांग्रेसी नेताओ के साथ अरुण यादव पहुंचे मलैया निवास

 मप्र के दमोह जिला मुख्यालय से रात के अंधेरे में राजनीतिक चर्चाओं की गर्माहट वाली खबर निकल कर सामने आई है यहां भाजपा के वरिष्ठ नेता पार्टी में उपेक्षित पूर्व मंत्री जयंत मलैया के निवास पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस मैं उपेक्षित नेता अरुण यादव का पहुंचना सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। 

 दमोह सर्किट हाउस से कांग्रेस नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव को भाजपा से निलंबित नेता तथा प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया द्वारा स्वयं का ड्राइव करके अपने साथ अपने आवास पर रात के अंधेरे में ले जाने के घटनाक्रम ने सियासी गर्माहट को बढ़ा दिया है। इस दौरान पूर्व वित्त मंत्री श्री मलैया के आवास से जो तस्वीरें सामने आई है उनमें जिला कांग्रेस अध्यक्ष मनु मिश्रा से लेकर प्रदेश कांग्रेस के सचिव मानक पटेल, परम यादव, पूर्व मंत्री रत्नेश सालोमन के बेटे आदित्य सालोमन, शहर कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल ठाकुर, अनुनय श्रीवास्तव, राजेश तिवारी आदि भी सिद्धार्थ मलैया व अरुण यादव के साथ बैठे नजर आ रहे हैं। 

भाजपा में उपेक्षित चल रहे मलैया परिवार और कांग्रेस में अनदेखी के शिकार अरुण यादव के साथ कांग्रेसी नेताओं के मलैया निवास पर पहुंचने की खबर लगते ही मीडिया कर्मियों के पहुंचने में भी देर नहीं लगी। हालांकि मीडिया से चर्चा के दौरान दोनों नेताओं ने पुराने व्यक्तिगत संबंध होने की बात करके राजनीतिक अटकलों की हवा निकालने में देर नहीं की।

दरअसल अरुण यादव जबलपुर विधायक संजय यादव के यहां से शोक संवेदना व्यक्त करके भोपाल लौट रहे थे इस दौरान पूर्व मंत्री जयंत मलैया के अस्वस्थ होने की खबर पर उन्होंने कुशल क्षेम जाने उनके बेटे सिद्धार्थ को फोन लगाया था जिसके बाद सिद्धार्थ उन्हें लेने सर्किट हाउस पहुंच गए तथा कार ड्राइव करके अपने घर ले आए। इस दौरान सिद्धार्थ का कहना था कि यादव से उनकी बहुत पुराने व्यक्तिगत संबंध है जिन को राजनीति से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। 

काग्रेस नेताओं से मलैया परिवार के पुराने नजदीकी संबंधों के एक और खुलासे ने पूर्व मंत्री के कार्यकाल में उपेक्षित रहे भाजपा नेताओं को यह कहने का फिर से मौका दे दिया है की श्री मलैया के कार्यकाल में भाजपाइयों से ज्यादा कांग्रेसियों को मलाई खाने का मौका मिला है.


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