बाढ़ ग्रस्त पठाघाट पुल को जान जोखिम में डालकर साइकिल को कंधों पर रखकर पार करते रहे ग्रामीण
दमोह। महंगाई और ग्रामीण विकास के इस दौर में ग्रामीण इलाकों में आज भी साइकिल की प्रासंगिकता और उपयोगिता बनी हुई है। शायद यही वजह है कि बाढ़ ग्रस्त पुल को पार करते समय भी लोग जन जान जोखिम में डालकर रेलिंग विहीन पुल को बाढ़ की लहरों के बीच पार करने के दौरान अपनी सुख दुख की साथी साइकिल को कंधों तथा जूता चप्पलों को हाथ मे उठाकर ले जाते हुए नजर आते है।
ग्रामीण विकास के दावों की कलई खोलती है तस्वीरें दमोह जिले के तेंदूखेड़ा जनपद क्षेत्र अंतर्गत पठाघाट पुल की है। जहां बीती रात से हो रही बारिश के बाद तहसील मुख्यालय से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रेलिंग विहीन पुल के बाढ़ ग्रस्त होने में देर नहीं लगी। देखते ही देखते पुल के ऊपर से लहरें उफान मारने लगी और 3 फुट से अधिक पानी आ गया लेकिन अपने घर जाने की मजबूरी में लोगों के पास में इंतजार से अधिक जान जोखिम में डालकर पुल को पार करना जरूरी बनता नजर आया।
इस दौरान अनेक लोग अपनी साइकिल को कंधों पर उठाकर बाढ़ ग्रस्त पुल की लहरों को चीरते हुए जान जोखिम में डालकर आते जाते रहे। दो युवक एक दूसरे का हाथ थामें यह दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे की तर्ज पर बाढ़ ग्रस्त पुल को पार करते हुए देखें वही उनके हाथों में उनके जूते भी नजर आ रहे थे। उल्लेखनीय है की पठा घाट के इस पुल से पिछली साल ऐसे ही साइकिल उठाकर निकलते समय एक ग्रामीण बाढ़ के पानी में बह गया था जिसका शव करीब महीने भर बाद हाथी घाट में मिला था।
दरअसल ग्रामीण विकास के दावों के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों तथा पुराने रपटा नुमा पुलों की हालत जस की तस बनी हुई है वहीं विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन पर करोड़ों खर्च के बावजूद बावजूद ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति भी पहले की तरह ही दयनीय बनी हुई है। यही वजह है कि आज भी गांव के लोगों के लिए साइकिल आवागमन का मुख्य साधन है वही ऐसे हालात में साइकिल जिंदगी पर भारी पड़ती नजर आई है।
गुरुवार को सामने आये इन हालातों की खबर लगने पर तेंदूखेड़ा से पहले होमगार्ड के एक सिपाही को आवागमन रोकने के लिए भेजा गया लेकिन जब ग्रामीण जन नहीं माने तो बाद में तेंदूखेड़ा थाना प्रभारी ने पुलिस अमले को मौके पर भेजा और पुल के एक तरफ बैरिकेट्स रखवा कर आवागमन को रुकवाने की कोशिश की इसके बावजूद लोगों का जान जोखिम में डालकर आना जाना लगा रहा। तेंदूखेड़ा से विशाल रजक की रिपोर्ट
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