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बदले बदले से सरकार नजर आते है.. ध्वजारोहण करने पहुंचे प्रभारी मंत्री के स्वागत में भाजपा नेताओ के फ्लेक्स बैनर विज्ञापन नदारत.. इधर नेता प्रतिपक्ष के स्वागत फ्लेक्स चर्चाओ में.. बदले हुए हालात में भाजपा नेताओं को मंत्री भार्गव और मलैया का ध्वजारोहण कार्यकाल याद आया..

प्रभारी मंत्री का भाजपा ऑफिस नहीं जाने के चर्चे

दमोह। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रभारी मंत्री गोविंद राजपूत के दमोह आने और भाजपा ऑफिस जाए बिना वापस चले जाने दूसरी ओर भाजपा नेताओं के बजाय एक कांग्रेस नेता द्वारा श्री राजपूत के स्वागत में शहर की सड़कों को फ्लेक्स से सजाए जाने और स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में भाजपा पदाधिकारियों को कोई खास तवज्जो नहीं दिए जाने जैसे हालातों ने वरिष्ठ कैबिनेटमंत्री गोपाल भार्गव और पूर्व मंत्री जयंत मलैया के ध्वजारोहण कार्यकाल में भाजपाईयो को दी जाने वाली अहमियत की यादों को ताजा कर दिया है।


 "बदले बदले से सरकार नजर आते हैं जिनके बिना नही सजती थी कोई महफ़िल उनके जाने के वाद वे बहुत याद आते हैं"। वरिष्ठ भाजपा नेता और कैबिनेट मंत्री गोपाल भार्गव तथा तत्कालीन मंत्री जयंत मलैया जब ध्वजारोहण करने के लिए आते थे तो प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारी इनके साथ पहुंचने वाले पार्टी नेताओं की आव भगत में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते थे। लेकिन बदले हुए हालात में भाजपा पदाधिकारी कब कार्यक्रम में पहुंचे और कब उठ कर चले गए इस ओर ध्यान देने वाला भी शायद कोई नहीं बचा है। 
ध्वजारोहण करने आए मंत्री जी भाजपा ऑफिस जाने के बजाए सागर वापस लौटे..
स्वतंत्रता दिवस पर जिला भाजपा कार्यालय में एकत्रित हुए पार्टी पदाधिकारियों को उम्मीद थी कि पूर्व के वर्षों की तरह ध्वजारोहण करने के लिए पहुंचने वाले प्रभारी मंत्री पहले पार्टी कार्यालय आएंगे और उसके बाद तहसील ग्राउंड पर ध्वजारोहण करने के लिए जाएंगे लेकिन उम्मीद इस बार परवान नहीं चढ़ सकी।  ध्वजारोहण करने के लिए दमोह पहुंचे प्रभारी मंत्री गोविंद सिंह राजपूत राष्ट्रीय आयोजन में शामिल होने के बाद वापस सागर रवाना हो गए। इस दौरान उनके स्वागत करने के लिए ना तो भाजपा नेता पदाधिकारी आतुर दिखे और ना मंत्री जी ही भाजपा ऑफिस पहुंचे। 

दरअसल कार्यक्रम समाप्ति पर जब मंत्री जी को भाजपा पदाधिकारियों की याद आई तब तक जिला अध्यक्ष प्रीतम सिंह लोधी के साथ उनकी टीम भाजपा ऑफिस वापस लौट गई थी। वही पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया और पूर्व सांसद चंद्रभान सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल जैसे पुराने नेता भी खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे थे। क्यो की परेड निरीक्षण के बाद मंच पर वापिस जाते मंत्री ने उनके पास आकर मिलना तो दूर उनकी तरफ देखा तक नही। कार्यक्रम के बाद जब मंत्री जी को पार्टी नेताओं की याद आई तब तक वह जा चुके थे। ऐसे में पार्टी पदाधिकारियों की अनुपस्थिति में शायद मंत्री जी को भी बिन बुलाए मेहमान की तरह भाजपा ऑफिस जाना उचित नहीं लगा और सागर वापस लौट गए। 

उपरोक्त हालात को देखकर कहा जा सकता है कि नई नवेली भाजपा संगठन की टीम में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। अनुभवी नेताओं की कमी के साथ भाजपा की नई टीम में प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से विद्यार्थी परिषद के समय से जुड़े युवा नेताओ तथा केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल की सिफारिश पर जगह पाने वाले नेताओं की भरमार बनी हुई है। लेकिन उनको सत्ता में होने के बावजूद प्रशासनिक स्तर पर वैसा तवज्जो मिलता नजर नहीं आ रहा जैसा भाजपा की पुरानी टीम को मिलता रहा है। वैसे भी भाजपा की नई टीम बनने के बाद शहर में जितने भी बधाई के फ्लेक्स  लगी है उनमें प्रभारी मंत्री गोविंद राजपूत की तस्वीर कही भी कहीं देखने को नहीं मिली है। ऐसे में कहा जा सकता है कि नई टीम ने जहा प्रभारी मंत्री को महत्व देना जरूरी नही समझा वही प्रभारी मंत्री ने भी इस टीम को तवज्जो नही दी।
भाजपा पदाधिकारियों को पहले जैसी प्रशासनिक तवज्जो नही मिलने की वजह..?
 मप्र में कमलनाथ सरकार को धराशयी करके काबिज हुई शिवराज सरकार में सिंधिया समर्थक मंत्रियों का दबदबा किसी से छिपा नहीं है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के लिए सिंधिया समर्थकों को बर्दाश्त करना जहां नियति बना हुआ है वही मुख्यमंत्री बनने की चाह रखने वाले केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल को भी श्री सिंधिया के अलावा उनके समर्थक प्रदेश सरकार के मंत्रियों को अनेक अवसरों पर हाथों हाथ लेते देखा गया हैं। भूपेंद्र सिंह की जगह गोविंद सिंह को दमोह का प्रभारी मंत्री बनाया जाना भी प्रहलाद पटेल की पसंद माना गया है। ऐसे में यदि सिंधिया समर्थक मंत्री स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण करने के लिए आए और पार्टी के दफ्तर में नहीं जाएं तो इसे क्या कहा जाए..?

मंत्री जी के स्वागत में भाजपा के बजाय कांग्रेस नेता के स्वागत फ्लेक्स बने चर्चाओं में..

इस बार स्वतंत्रता दिवस के अमृत महोत्सव पर जिले के प्रभारी मंत्री गोविंद राजपूत ध्वजारोहण करने के लिए दमोह आए थे। लेकिन जिला भाजपा की ओर से मंत्री जी के स्वागत के फ्लेक्स बैनर से लेकर अखबार चैनल आदि में विज्ञापन आदि नजर नही आये। दूसरी और एक युवा कांग्रेस नेता जो एक मामले में भूमिगत बने हुए हैं उनके द्वारा शहर भर में मंत्री गोविंद राजपूत के स्वागत में लगवाए गए फ्लेक्स चर्चाओं का विषय रहे। इस तरह के स्वागत फ्लेक्स घंटाघर से लेकर भाजपा ऑफिस और कीर्ति स्तंभ से लेकर जगह-जगह लगे हुए थे। जबकि भाजपाइयों द्वारा मंत्री श्री राजपूत के स्वागत में कहां पर फ्लेक्स लगवाए गए वह तलाशने पर भी नजर नहीं आ रहे थे।

 कुल मिलाकर बदले हुए हालात में भाजपा के पुराने वरिष्ठ नेताओं से लेकर नए पदाधिकारियों को अब अधिकारी कर्मचारी कोई खास तवज्जो देते नजर नहीं आ रहे है। जिसकी तीन बजह समझ मे आ रही हैं। पहली सांसद और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के इर्द-गिर्द भाजपा की पूरी राजनीति का केंद्रित हो जाना। दूसरी सिंधिया समर्थक मंत्री गोविंद राजपूत को जिले का प्रभार मिलने के बाद उनका अपने ही अंदाज में चलना। तीसरी भाजपा संगटन की नई टीम का प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से सीधे संपर्क के कॉन्फिडेंस में रहकर मनमानी कार्यप्रणाली को अपनाना। शायद नहीं सब वजह से आज राष्ट्रीय पर्व के आयोजन में भाजपा जिलाध्यक्ष सहित अन्य नेताओं को वैसा महत्त्व मिलता नहीं दिखा जैसा पहले मिलता रहा है।
ऐसे में भाजपा नेताओं को मंत्री गोपाल भार्गव और जयंत मलैया के ध्वजारोहण अवसरों पर प्रशासनिक स्तर पर मिलने वाली तवज्जो की याद आना लाजमी है। पिक्चर अभी बाकी है..

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