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मैं मजबूर हूँ, बहुत मजबूर हूं.. भोपाल में एक इंजीनियर ने पत्नी बच्चों के साथ सुसाइड के पूर्व लिखा मार्मिक पत्र.. भूख भविष्य, बीमारी, फीस, घर खर्च और अन्य भुगतान मुंह बाए खड़े है.. मेरे पास BPL कार्ड भी नही है.. पत्नी ने घरेलू काम चालू किया था जो कोरोना मैं बंद हो चुका है..

 मैं मजबूर हूँ, बहुत मजबूर हूं..

भोपाल में एक इंजीनियर ने अपनी पत्नी, दो बेटों के साथ जान दे दी। उसने जो सुसाइड नोट छोड़ा, उसमें व्यथा लिखी है। मेरे ख्याल से ये व्यथा हर उस परिवार की होगी जो इन दिनों जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहा है। बेहद मजबूरी ही किसी व्यक्ति को ऐसा कदम उठाने के लिए मजबूर कर सकती है। 


पढ़िए उन्हीं के शब्दों में चार पन्ने के सुसाइड नोट की दर्दनाथ व्यथा..

वास्ते पुलिस अधिकारी महोदय,

मैं रवि ठाकरे, रंजना ठाकरे, अपने पुत्र चिराग ठाकरे और बेटी गुंजन ठाकरे के साथ मानसिक कष्टों के साथ विगत कई वर्षों से जीवन निर्वाह कर रहे थे, परंतु अब हम आर्थिक कारणों के साथ जिंदगी चलाने में असमर्थ हैं। हमारी आत्महत्या में किसी का कोई हाथ नहीं है। हम यह पूर्ण होश में लिखकर दे रहे हैं। हमारे पास कोई भी नौकरी नहीं है। कोई प्रॉपर्टी भी नहीं है और न कोई जीवन का उद्देश्य रह गया है। बच्चों का कोई अन्य सुविधा दे पा रहे अन्य बच्चों की तरह। हमारे पास भविष्य में केवल अंधेरा ही अंधेरा है। मेरी पत्नी और मैं मानसिक रूप से दिमाग से केवल खाली हो चुके हैं। काम में मन नहीं लगता। बच्चों की फीस नहीं भर पा रहे हैं। हम इसलिए आत्मघाती कदम उठा रहे हैं। मेरे बूढ़े सास-ससुर ने हमारे लिए बहुत कुछ किया है। वे 70-80 वर्ष के हैं, जो महाराष्ट्र में वर्धा जिले आर्वी तहसील के रहने वाले हैं। हमारा एक मकान सिग्नेचर 366 में G-303 है, जिसका पजेशन भी नहीं लिया है। वह स्टेट बैंक के पास गिरवी है। विगत कई वर्षों से 2012 से किस्तें जमा कर रहे हैं, पर अब किस्तें जमा कर पाने में असमर्थ हैं। 17 लाख रुपए लोन लिया था, जिसमें से अभी भी हमारे ऊपर करीब नकद 3 लाख और 8 सालों की किस्तें जमा कर चुके, पर मकान नहीं मिला। करीब 10 लाख लोन बाकी है।

बिंदु एवं वैष्णवी

मुझे एलएन मालवीया कंसल्टेंसी से 3 माह से वेतन नहीं मिला है। जो कुछ बचा है, जो मिलने वाला है। वह हम कोरे चैक साइन कर रहे हैं। वह उनको किसी भी प्रकार दे देना, ताकि दोनों लड़कियों की शादी हो सके। बैंक कोई अड़चन खड़ी ना करे।

मृत्यु पूर्व बयान में ये हम गुजारिश करते हैं कि हो सके तो किस्तों पर जो मकान खरीदा है, उसका पजेशन एंश्योर्ड है। किस्तें माफ कर गुड्‌डू मामा के नाम कर देना, ताकि लड़कियों की शादी की जा सके। अन्य रास्ता नहीं होने पर यह भयानक कदम उठाया है। मृत आत्मा पर इतनी दया करना।

गुड्‌डू/योगेश गावंडे

बॉबी/ कमलाकर गावंडे

इस डिप्रेशन में हम दोनों के होने के कारण

मैं आंखों से कमजोर हो गया, दिमाग कमजोर हो गया, बिना पूछे कोई काम नहीं कर सकता हूं। मेरी मानसिक ताकत, मेरी पत्नी की मानसिक हात खराब, रोजगार संकट से त्रस्त होकर मैं स्वयं में व मृत्यू का वरण करने के लिए बाध्य हो गए हैं।

मृत्यु पूर्व घोषणा

मेरे पास जो भी बचा है, वक कमलाकर राव, भाउराव गावंडे या उनके पुत्र योगेश गावंडे के नाम, पैसा, सामान गाड़ी, वस्तु सुपुर्द कर रहा हूं। कृपया उन्हें सौंप दिया जाए। मकान मालिक से भी माफी मांगते हैं। क्या लिखूं, क्या न लिखूं समझ नहीं आ रहा है। क्या करूं… समझ नहीं सकता। गलतियां होंगी, लेकिन मृत्यु पूर्व बयान को सही समझकर उलझनों को सुलझा देना। माफी सहित

कुछ संबंधियों के नंबर और नाम लिखे हैं। फिर लिखा है कि आप सब मिलकर संभाल लेना। हमारे सामने भूख, भविष्य, बीमारी, फीस, घर का खर्च, नौकरी और अन्य भुगतान जैसे मकान का किराया, पुस्तकें, कॉपियों का खर्च मुंहबाए खड़ा है। जिसका सामने करने की शक्ति अब ….. मेरे (रवि ठाकरे) के सामने खड़ी हैं। मैं इन खर्चों का सामना नहीं कर पा रहा हूं। मेरे ऊपर किसी को कोई कर्ज नहीं है। सबसे बड़ी समस्या नौकरी है। मेरे पास न BPL कार्ड है, पत्नी ने घरेलू बिजनेस चालू किया था, जो कोरोना में बंद हो चुका है।

मेरे बच्चे कॉर्मल स्कूल में पढ़ते हैं। उनके कम प्रतिशत, पूरी मेहनत से पढ़ाई की, लेकिन प्रतिशत कम आने पर भविष्य नहीं बना पाया। उनका भी भविष्य खराब कर दिया है। मैं डिप्लोमा इंजीनियर होने के बाद भी सभी को देखते हुए प्राइवेट नौकरी के कारण थोडी हुए पगार में इज्जत से जी रहा था, पर मैं मजबूर हो गया हूं।

बहुत मजबूर…. बहुत मजबूर

मेरी व्यथा को कोई समझ नहीं सकता। मैं सभी से सारे रिश्तेदारों से माफी मांगता हूं।

(सुसाइड नोट सोशल नेटवर्किंग साइट से कॉपी किया गया है। संभवतः पुलिस से साइट को मिला हो)

ओम शांति शांति शांति..

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1 Comments

  1. आने वाले समय में और भयावह स्थिति देखने को मिल सकती है

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