घण्टाघर पर प्रदर्शन करने वालो पर मामला दर्ज करने के खिलाफ कोतवाली कैंपस में प्रदर्शन ज्ञापन..
दमोह। पुलिस अधिकारी कर्मचारियों की युवा टीम द्वारा उत्साह में आकर लिए जाने वाले निर्णय तथा कार्यवाही विभिन्न संगठनों के लिए ज्ञापन प्रदर्शन को आंदोलित करने का अवसर देरी नजर आ रही है वही वरिष्ठ अधिकारियों को मैदान में उतर कर मोर्चा संभालने को भी मजबूर कर रही है। कल घंटाघर से अचानक झंडे उतरवाने की कार्रवाई के दौरान जहां तनातनी बनी रही थी वही पिछले दिनों घंटाघर पर हुए प्रदर्शन मामले में महिलाओं सहित साहू समाज के लोगों पर बलवा आदि धाराओं की रिपोर्ट दर्ज किए जाने से भी आज तनातनी भरी हालात घण्टो बने रहे।
मोहर्रम रक्षाबंधन जन्माष्टमी पर्व के पहले विभिन्न हिंदू संगठनों के साथ साहू समाज के लोग सड़क पर उतर कर प्रदर्शन करते नारे लगाते कोतवाली पहुच गए। जहाँ एसपी ने स्वयं ज्ञापन लेकर कार्रवाई का भरोसा दिया तब कहीं मामला शांत होता नजर आया।
दरअसल 12 अगस्त को एक छात्रा के कॉलेज से गायब हो जाने के बाद परिजन संदेही आरोपी की रिपोर्ट दर्ज कराने कोतवाली पहुंचे थे। लेकिन पुलिस ने उनकी रिपोर्ट दर्ज करने के बजाय सिर्फ गुम इंसान कायम किया था। वही छात्रा की बरामदगी के बाद उसके बयानों के आधार पर रिपोर्ट की बात कही थी। जिसके बाद विभिन्न संगठनों को लव जिहाद जैसी आशंका जताने से लेकर प्रदर्शन का मौका मिल गया था। वही घंटों बाद भी पुलिस द्वारा आरोपित युवक के खिलाफ अपहरण की एफ आई आर दर्ज नहीं किए जाने पर पीड़ित परिजनों के साथ साहू समाज व हिंदू संगठन के लोगों ने घंटाघर पहुंचकर घंटाघर तक विरोध प्रदर्शन किया था।
बाद में भोपाल में आरोपित युवक के साथ छात्रा की बरामदगी हो जाने पर छात्रा ने जहां स्वेच्छा से युवक के साथ जाने का बयान दिया था। जिस पर पुलिस ने आरोपित युवक को बिना कार्रवाई के छोड़ दिया था। यह मामला यहीं खत्म हो गया था लेकिन वहीं इस मामले में कार्यवाही की मांग को लेकर प्रदर्शन करने वाले महिलाओं सहित करीब 50 लोगों के खिलाफ बलवा और अन्य धाराओं में कोतवाली पुलिस के उत्साही अधिकारियों ने एफ आई आर दर्ज करने के बाद कल इसकी जानकारी भी वायरल कर दी।
जिस के बाद गुरुवार को घंटों शहर में जो तनातनी का माहौल बना रहा है सबके सामने है। विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगों के साथ साहू समाज एवं उपरोक्त छात्रा के परिजनों ने टाउन हॉल में बैठक की तथा उसके बाद कोतवाली का घेराव करके गिरफ्तारी देने के लिए ढोल धमाके के साथ यह सब लोग निकल पड़े। साथ में एसपी को देने के लिए एक ज्ञापन भी यह लोग लिए हुए थे। प्रदर्शन की जानकारी पुलिस प्रशासन को पहले से होने की वजह से घंटाघर से लेकर कोतवाली के बीच में चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल को भारी संख्या में तैनात कर दिया गया था।
एसपी एडिशनल एसपी भी मोर्चा संभालने पहुंच गए थे। जिससे पहले प्रदर्शनकारियों को कोतवाली के बाहर रोकने की कोशिश की गई लेकिन जब नारेबाजी प्रदर्शन चलता रहा तो कोतवाली कैंपस का गेट खोल कर सभी को परिसर के अंदर जाने दिया गया। यहां भी नारेबाजी के बीच हिंदू संगठन और साहू समाज केवरिष्ठ लोगों से एसपी डीआर तैनीवार ने चर्चा कर के आश्वस्त किया तब कहीं यह मामला शांत हो सका।
कल घंटाघर से झंडे हटवाने के दौरान भी बन गए थे तनातनी भरे हालात..
घंटाघर पर विभिन्न पर्व त्योहारों के अवसर पर संबंधित समाज के झंडे धर्म ध्वजाए पोस्टर बैनर आदि लगवाए जाने की परंपरा बीसों साल से चली आ रही है। वैसे भी प्रदर्शन के मामले में घंटाघर क्षेत्र सांप्रदायिक सौहार्द्र का प्रतीक माना जाता रहा है। लेकिन कल पहली बार ऐसा हुआ जब मुहर्रम के मौके पर मुस्लिम समाज के कुछ युवाओं द्वारा लगवाए गए झंडों को नगर पालिका प्रशासन के कर्मचारी द्वारा हटाया जाने लगा। जिसके बाद कुछ मुस्लिम युवाओं ने पहुंचकर इस पर आपत्ति दर्ज कराई। जिससे तनातनी के हालात बनते देर नहीं लगी। वहीं कोतवाली टीआई झंडा लगाने की परमिशन नहीं होने की बात करके मामले को रफा-दफा कराते नजर आए। लेकिन तब भी इस बात को सवाल उठते रहे कि इसके पहले तो कभी ऐसा नहीं हुआ।
त्योहार के मौके पर संवेदनशीलता के साथ कार्यवाही करने ध्यान दिया जाना जरूरी..
इस वर्ष मोहर्रम रक्षाबंधन जन्माष्टमी जैसे पर्वों के पहले कोरोना केसों की संख्या जीरो हो जाने से सर्व समाज को सकून व पारंपरिक उत्साह के साथ से त्योहार मनाने का मौका मिल गया है। लेकिन पुलिस की युवा टीम के इस तरह के उत्साही रवैया की वजह से जो हालात बन रहे हैं उनको भले ही वरिष्ठ अधिकारी अभी तक संभालने में सफल रहे हो लेकिन इस तरह के अति उत्साह पूर्ण कार्यवाही के पूर्व यदि वरिष्ठ अधिकारियों से मार्गदर्शन लिया जाता रहे तो शहर के माहौल के हिसाब से बेहतर रहेगा। क्योंकि किसी भी प्रकार की स्थिति खराब होने पर विरोधियों को जहां सत्तारूढ़ दल पर उंगली उठाने का मौका मिलेगा वही कार्रवाई की गाज भी बाद में स्थानीय पुलिस अधिकारियों पर ही गिरने की नौबत आएगी। इसलिए पहले से ही यदि संवेदनशीलता मामलों में वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में कार्रवाई की जाए तो बेहतर रहेगा..
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