हाईवे पर कमजोर चचरु से हार्ड साइड शोल्डर कार्य..
दमोह। जबलपुर टीकमगढ़ ओरछा झांसी मार्ग को एमपीआरडीसी से लेकर नेशनल हाईवे के सुपुर्द कर दिए जाने के बाद इसका उन्नयन कार्य 2 साल से चल रहा है। इस नेशनल हाईवे के तहत आने वाले दमोह हीरापुर सड़क का डामरीकरण के बाद अब साइड सोल्डर कार्य में गुणवत्ता की अनदेखी की जा रही है।
यह नजारा दमोह जिला मुख्यालय से चंद किलोमीटर दूर इमलाई सीमेंट प्लांट के सामने का है जहां पर दिन रात हैवी वाहनों का आवागमन लगा रहता है इन दिनों यहां पर दमोह हीरापुर सड़क निर्माण तहत साइड शोल्डर का कार्य किया चल रहा है। जिसमें कमजोर चचरु का उपयोग किया जा रहा है जो जरा सी बारिश में दबने के साथ कीचड़ गड्डो भरे हालात निर्मित करेगी।
दरअसल नेशनल हाईवे के मापदंडों के अनुरूप यहां पर 12 सीबीआर के तहत क्रेशर मटेरियल का उपयोग करके कार्य होना चाहिए था लेकिन अधिकारियों की अनदेखी और ठेकेदार की मनमानी के चलते सात सीबीआर से भी कमजोर कार्य कराया जा रहा है जो की आमतौर पर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़कों के साइड सोल्डर में होता है। जब यह सड़क नेशनल हाईवे में आ चुकी है तो यहां पर ऐसा कमजोर काम किसके इशारे पर किया जा रहा है इसकी जांच होना आवश्यक है।
उल्लेखनीय है कि नरसिंहगढ़ सीमेंट फैक्ट्री में 10 से 40 टन के हेवी लोड वाले वाहन दिन-रात आते जाते रहते हैं ऐसे में कमजोर सड़क के साथ कमजोर साइड सोल्डर उखड़ते और धसते देर नहीं लगेगी। उपरोक्त हालात को ध्यान में रखकर प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री श्री गोपाल भार्गव से अपेक्षा और मांग की जाती है कि उपरोक्त साइड सोल्डर कार्य को नए सिरे से करवाने के निर्देश जारी करें। जिससे नेशनल हाईवे के मापदंडों के अनुरूप क्रेशर मटेरियल से 12 सीबीआर के साइड शोल्डर बन सके और वाहनों की आवाजाही में बारिश के दिनों में भी सुगमता बनी रहे।
इस संदर्भ में एमपीआरडीसी के ईई सुनील कलारा को जब जानकारी दी गई उनका कहना था कि 2 साल पहले ही यह सड़क नेशनल हाईवे को सौंप दी गई है तथा कोई कुरैशी जी यह कार्य देख रहे हैं। जबकि कुरैशी जी से संपर्क करने पर उनका मोबाइल नो रिप्लाई जाता रहा जिससे उनका पक्ष नहीं मिल सका है। यहां पर कहां से और किन के द्वारा अवैध रूप से खनन करके यह चचरु रूपी मुरम डाली जा रही है इसकी जानकारी के साथ कल फिर मिलते हैं। पिक्चर अभी बाकी है
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