67 की उमर में तलाक की राह पर चल पड़े थे दंपत्ति
दमोह। पति पत्नी के रिश्ते के बीच में जब वो आ जाती है दो नौबत आपसी लड़ाई झगड़े के साथ अंत में तलाक तक पहुंच जाती है। ऐसे में यदि अच्छे मीडिएशन के साथ समझदार और सुलहकर्ता नहीं मिले हैं तो अग्नि के सामने लिए गए सात फेरो की गांठ खुलते देर नही लगती। ऐसे ही कुछ हालात के बीच रिश्तो में आई दरार को आखिरकार फेवीकोल के मजबूत जोड़ से एक कर दिए जाने का सुखद मामला सामने आया है।
शादी के लगभग 38 साल हो जाने के बाद 67 वर्ष की उम्र में पति द्वारा अपनी 63 वर्षीय पत्नी को तलाक देने की अर्जी कुटम्ब न्यायालय में दाखिल की गई थी। जबकि पक्षकारों के बाकायदा शादीशुदा संतानों के साथ दोनो के पोते पोतियां भी थी। पति स्वयं राज पत्रित अधिकारी होकर वीआरएस ले चुके थे। दोनो पक्षो के मध्य लगभग 04 वर्ष पूर्व नौकरानी की एंट्री हो जाने के बाद विवाद उत्पन्न हुआ। दरसल पत्नी का आरोप था के पति उनकी अनुपस्थिति में नौकरानी के संपर्क में रहता है।
जबकि पति का मानना था के नौकरानी महज घर मे बने मंदिर की सेवा करने आती है। बस इत्ती सी बात दोनो के बीच के 38 साल के सात फेरों के वचनों को कब लील गए पता ही नहीं लगा। मामला तलाक की स्थिति में आ गया। पति द्वारा तलाक की अर्जी दाखिल की गई।
मामला मीडिएशन में पहुंचा तो अधिवक्ता मनीष नगाइच व हमीद खान ने प्रधान न्यायाधीश भगवत प्रसाद पांडेय के साथ मिलकर दोनो पक्षो की काउंसलिंग की और मीडिएशन में दोनों पक्षो को विस्तार से सुनने के बाद दोनों पक्षो में सुलह की स्थिति निर्मित हो गई लगभग 02 सालो तक चले तलाक के मुकदमे को एक बार फिर समाप्त करने मिडिएशन कारगर रहा।
वही न्यायालय के सुलह केंद्र में दोनों पक्षों ने अपनी अपनी गलतियां मानी और आपस मे फिर एक दूसरे को वरमाला डालकर अपने 38 सालों के दामपत्य सम्बन्धो को बचाया मिडिएशन सुलह कार्यवाही में अधिवक्ता आसिफ शेख, पुष्पेंद्र अठ्या की महती भूमिका रही।
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