बारेलाल की पाकिस्तान से हो गई वतन वापसी..
दमोह। फिल्म स्टाइल में डेढ़ साल पहले पाकिस्तान बॉर्डर को पार करने के बाद वहां की पुलिस के हत्थे चढ़ जाने वाले मंदबुद्धि बारेलाल की वतन वापसी कराने में केंद्र सरकार सफल रही है उसके घर वापसी से मां बाप ही खुशियां जहां वापस लौट आई हैं वही उनके आर्थिक हालात सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन की कलई खोलते नजर आ रहे हैं।
दमोह जिले के नोहटा थाना अंतर्गत पटी शिशपुर गांव निवासी सुब्बी आदिवासी का मंदबुद्धि बेटा बारेलाल अक्सर घर से भाग जाता था तथा घूम फिर कर वापस भी आ जाता था। 19 नवंबर 2019 को वह एक अन्य शख्स के साथ पाकिस्तान बॉर्डर पार करके बहावलपुर पहुंच गया और बाद में वह आपकी पुलिस के हत्थे चढ़ने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया जिसकी खबर मीडिया के जरिए दमोह तक पहुंची और स्थानीय प्रशासन से लेकर शासन के सक्रिय होने के साथ बारेलाल की वतन वापसी के प्रयास शुरू किए गए।
डेढ़ साल के प्रयासों के बाद आखिरकार विदेश और गृह मंत्रालय के अधिकारियों की मेहनत रंग लाई और बारेलाल को अटारी बॉर्डर के जरिए वापस भारत भेज दिया गया। जहां से उसे अमृतसर पुलिस के हवाले कर दिया गया। जिसकी सूचना दमोह एसपी ऑफिस पहुंचने और फिर नोहटा थाने से पुलिस टीम बारेलाल के भाई पदम और पिता सुब्बी को लेकर अमृतसर पहुंची। जहां से उसे 26 जून को नोहटा थाने लाया गया।
नोहटा थाने से इसकी जानकारी वायरल होने पर राज एक्सप्रेस की टीम ने सबसे पहले इस खबर को आज के अंक में अपडेट किया। जिसके बाद 27 जून को पटी शिशपुर गांव में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से बारेलाल और परिजनों का इंटरव्यू लेने के लिए पहुंचने वालों की भीड़ लगी रही। इस दौरान बारेलाल ने टूटी फूटी भाषा में अपने साथ घटित आधे अधूरे हालात बयान किये। बारेलाल की घर वापसी के बाद परिजनों की जहां खुशियां वापस लौट आई हैं वही गांव वालों में भी उत्साह का माहौल देखने को मिल रहा है। लेकिन बारेलाल के परिवार के आर्थिक बदतर हालात सुधारने की ओर स्थानीय शासन प्रशासन क्या ध्यान देगा ? यह सबसे बड़ा सवाल बन गया है।
पंचायती राज के तहत पटी शीशपुर गांव में सरकार के रिकॉर्ड के मुताबिक पिछले वर्षों में लाखों के काम हुए हैं वही मनरेगा तथा अन्य योजनाओं तहत लाखों के रोजगार मूलक कार्य भी कराए गए हैं। लेकिन गांव के साथ बारे लाल के परिवार के हालात बताते हैं कि कागजी कार्रवाई और कमीशन बाजी में ही अन्य पंचायतों की तरह यहां सरकारी राशि चट हो गई है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल फिर यही उठ रहा है की बारेलाल की घर वापसी के बाद उसके परिवार के आर्थिक हालात सुधारने के लिए क्या कलेक्टर और जिला पंचायत के अधिकारी कोई कारगर कदम उठाते है अथवा नही..?
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